वैशाली की नगरवधू -चतुरसेन शास्त्री: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Adding category Category:आधुनिक साहित्य (को हटा दिया गया हैं।))
Line 22: Line 22:
[[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:चतुरसेन शास्त्री]]
[[Category:चतुरसेन शास्त्री]]
[[Category:आधुनिक साहित्य]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 07:45, 16 October 2011

आचार्य चतुरसेन शास्त्री (1891-1960 ई.) की सर्वश्रेष्ठ औपन्यासिक रचना है। यह उपन्यास दो भागों में हैं, जिसके प्रथम संस्करण दिल्ली से क्रमश: 1948 तथा 1949 ई. में प्रकाशित हुए। इस उपन्यास का कथात्मक परिवेश ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक है। इसकी कहानी बौद्ध काल से सम्बद्ध है और इसमें तत्कालीन लिच्छिवि संघ की राजधानी वैशाली की पुरावधू 'आम्रपाली' को प्रधान चरित्र के रूप में अवतरित करते हुए उस युग के हास-विलासपूर्ण सांस्कृतिक वातावरण को अंकित करने हुए चेष्टा की गयी है।

घटनाओं की प्रधानता

उपन्यास में घटनाओं की प्रधानता है किंतु उनका संघटन सतर्कतापूर्वक किया गया है और बौद्धकालीन सामग्री के विभिन्न स्रोतों का उपयोग करते हुए उन्हें एक हद तक प्रामाणिक एवं प्रभावोत्पादक बनाने की चेष्टा की गयी है। उपन्यास की भाषा में ऐतिहासिक वातावरण का निर्माण करने के लिए बहुत से पुराकालीन शब्दों का उपयोग किया गया है। कुल मिलाकर चतुरसेन की यह कृति हिन्दी के ऐतिहासिक उपन्यासों में उल्लेखनीय है।

सर्वश्रेष्ठ रचना
  • ‘वैशाली की नगरवधू’ चतुरसेन शास्त्री की सर्वश्रेष्ठ रचना है। यह बात कोई इन पंक्तियों का लेखक नहीं कह रहा, बल्कि स्वयं आचार्य शास्त्री ने इस पुस्तक के सम्बन्ध में उल्लिखित किया है -

मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूँ, और वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।

  • भूमिका में उन्होंने स्वयं ही इस कृति के कथानक पर अपनी सहमति दी है -

यह सत्य है कि यह उपन्यास है। परन्तु इससे अधिक सत्य यह है कि यह एक गम्भीर रहस्यपूर्ण संकेत है, जो उस काले पर्दे के प्रति है, जिसकी ओट में आर्यों के धर्म, साहित्य, राजसत्ता और संस्कृति की पराजय, मिश्रित जातियों की प्रगतिशील विजय सहस्राब्दियों से छिपी हुई है, जिसे सम्भवत: किसी इतिहासकार ने आँख उघाड़कर देखा नहीं है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख