संयोगिता: Difference between revisions

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*जब राजकुमारी संयोगिता के स्वयंवर का आयोजन किया गया, तब पृथ्वीराज चौहान के अपमान के लिए महल में दरबान के स्थान पर पृथ्वीराज की प्रतिमा लगाई गई।
*जब राजकुमारी संयोगिता के स्वयंवर का आयोजन किया गया, तब पृथ्वीराज चौहान के अपमान के लिए महल में दरबान के स्थान पर पृथ्वीराज की प्रतिमा लगाई गई।
*स्वयंवर में सही समय पर पहुँचकर पृथ्वीराज चौहान संयोगिता का हरण कर ले जाते हैं।  
*स्वयंवर में पहुँचकर पृथ्वीराज चौहान राजकुमारी संयोगिता का हरण कर ले जाते हैं।  
*इस अपमान का बदला लेने के लिए जयचन्द्र [[मुहम्मद ग़ोरी]] से मिल गया और बाद में उसने ग़ोरी को पृथ्वीराज पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया।
*इस घटना से दोनों राजाओं में इतनी अधिक शत्रुता पैदा हो गई कि जयचन्द्र ने [[मुस्लिम]] आक्रमणकारी [[मुहम्मद ग़ोरी]] से हाथ मिलाकर उसे पृथ्वीराज पर हमला करने का निमंत्रण दिया।
*1192 ई. में [[तराइन का युद्ध|तराइन]] के दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज पराजित हुआ और उसने स्वयँ का प्राणांत कर लिया।
*दो वर्ष बाद सन 1194 ई. में चन्दावर के युद्ध में तुर्क विजेता मुहम्मद ग़ोरी ने जयचन्द्र को भी हराया और मार डाला।


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Revision as of 06:37, 6 October 2012

संयोगिता कन्नौज के महाराज जयचन्द्र की पुत्री थी। पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेमकथा राजस्थान के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। जयचन्द्र ने संयोगिता के विवाह हेतु स्वयंवर का आयोजन किया था, किंतु पृथ्वीराज चौहान से शत्रुता के कारण उसने उसे स्वयंवर का निमंत्रण नहीं भेजा।

  • जब राजकुमारी संयोगिता के स्वयंवर का आयोजन किया गया, तब पृथ्वीराज चौहान के अपमान के लिए महल में दरबान के स्थान पर पृथ्वीराज की प्रतिमा लगाई गई।
  • स्वयंवर में पहुँचकर पृथ्वीराज चौहान राजकुमारी संयोगिता का हरण कर ले जाते हैं।
  • इस घटना से दोनों राजाओं में इतनी अधिक शत्रुता पैदा हो गई कि जयचन्द्र ने मुस्लिम आक्रमणकारी मुहम्मद ग़ोरी से हाथ मिलाकर उसे पृथ्वीराज पर हमला करने का निमंत्रण दिया।
  • 1192 ई. में तराइन के दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज पराजित हुआ और उसने स्वयँ का प्राणांत कर लिया।
  • दो वर्ष बाद सन 1194 ई. में चन्दावर के युद्ध में तुर्क विजेता मुहम्मद ग़ोरी ने जयचन्द्र को भी हराया और मार डाला।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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