हरिप्रसाद चौरसिया: Difference between revisions

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*[http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/kidsworld/prompterpersonality/0907/14/1090714095_1.htm पं. हरिप्रसाद चौरसिया के बारे में]
*[http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/kidsworld/prompterpersonality/0907/14/1090714095_1.htm पं. हरिप्रसाद चौरसिया के बारे में]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==

Revision as of 14:26, 13 October 2012

हरिप्रसाद चौरसिया
पूरा नाम पंडित हरिप्रसाद चौरसिया
जन्म 1 जुलाई, 1938
जन्म भूमि इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र बांसुरी वादक और संगीतकार
मुख्य फ़िल्में चांदनी, डर, लम्हे, सिलसिला, फासले, विजय आदि
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण, पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादमी
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी इन्होंने पंडित शिवशंकर शर्मा के साथ मिलकर ‘शिव-हरि’ नाम से कुछ हिन्दी फिल्मों में मधुर संगीत भी दिया।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
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पंडित हरिप्रसाद चौरसिया (अंग्रेज़ी: Pt. Hariprasad Chaurasia, जन्म: 1 जुलाई, 1938) भारत के प्रसिद्ध बाँसुरी वादक हैं। पं. हरिप्रसाद चौरसिया को कला क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 2000 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। भारतीय बांसुरी वादन कला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने में पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की भूमिका प्रशंसनीय है।

जीवन परिचय

पंडित हरिप्रसाद चौरसिया का जन्म 1 जुलाई, 1938 को इलाहाबाद में हुआ था। इनके पिता पहलवान थे। उनकी माता का निधन उस समय हो गया। जब वह पांच साल के ही थे। हरिप्रसाद चौरसिया का बचपन गंगा किनारे बनारस में बीता। उनकी शुरुआत तबला वादक के रूप में हुई। अपने पिता की मर्जी के बिना ही पंडित हरिप्रसाद जी ने संगीत सीखना शुरु कर दिया था। वह अपने पिता के साथ अखाड़े में तो जाते थे लेकिन कभी भी उनका लगाव कुश्ती की तरफ नहीं रहा।

संगीत की शिक्षा

अपने पड़ोसी पंडित राजाराम से उन्होंने संगीत की बारीकियां सीखीं। इसके बाद बांसुरी सीखने के लिए वह वाराणसी के पंडित भोलानाथ प्रसाना के पास गए। संगीत सीखने के बाद उन्होंने काफी समय ऑल इंडिया रेडियो के साथ भी काम किया। thumb|left|पंडित हरिप्रसाद चौरसियासंगीत में उत्कृष्टता हासिल करने की खोज उन्हें बाबा अलाउद्दीन ख़ाँ की सुयोग्य पुत्री और शिष्या अन्नापूर्णा देवी की शरण में ले गयी, जो उस समय एकांतवास कर रही थीं और सार्वजनिक रूप से वादन और गायन नहीं करती थीं। अन्नपूर्णा देवी की शागिर्दी में उनकी प्रतिभा में और निखार आया और उनके संगीत को जादुई स्पर्श मिला।[1]

कार्यक्षेत्र

पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने बांसुरी के जरिए शास्त्रीय संगीत को तो लोकप्रिय बनाने का काम किया ही, संतूर वादक पंडित शिवशंकर शर्मा के साथ मिलकर ‘शिव-हरि’ नाम से कुछ हिन्दी फिल्मों में मधुर संगीत भी दिया। इस जोड़ी की फिल्में हैं- चांदनी, डर, लम्हे, सिलसिला, फासले, विजय और साहिबान। पंडित चौरसिया ने एक तेलुगु फिल्म ‘सिरीवेनेला’ में भी संगीत दिया। जिसमें नायक की भूमिका उनके जीवन से प्रेरित थी। इस फिल्म में नायक की भूमिका 'सर्वदमन बनर्जी' ने निभायी थी और बांसुरी वादन उन्होंने ही किया था। इसके अलावा पंडित जी ने बालीवुड के प्रसिद्ध संगीतकारों सचिन देव बर्मन और राहुल देव बर्मन की भी कुछ फिल्मों में बांसुरी वादन किया।[2]

सम्मान एवं पुरस्कार

पंडित हरिप्रसाद चौरसिया को कई अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया। इन्हें फ्रांसीसी सरकार का ‘नाइट आफ दि आर्डर आफ आर्ट्स एंड लेटर्स’ पुरस्कार और ब्रिटेन के शाही परिवार की तरफ से भी उन्हें सम्मान मिला है। इसके अतिरिक्त कई राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं -


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया (हिन्दी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 13 अक्टूबर, 2012।
  2. पंडितजी पर था बांसुरी का जुनून (हिन्दी) समय लाइव। अभिगमन तिथि: 13 अक्टूबर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

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