मेरी तेरी उसकी बात: Difference between revisions
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Revision as of 14:16, 23 December 2012
मेरी तेरी उसकी बात
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लेखक | यशपाल |
मूल शीर्षक | मेरी तेरी उसकी बात |
प्रकाशक | लोकभारती प्रकाशन |
प्रकाशन तिथि | 1 जनवरी , 2004 |
देश | भारत |
पृष्ठ: | 570 |
भाषा | हिंदी |
विधा | उपन्यास |
मुखपृष्ठ रचना | सजिल्द |
'मेरी तेरी उसकी बात' यशपाल का एक प्रसिद्ध उपन्यास है। यह उपन्यास 'साहित्य अकादमी' द्वारा पुरस्कृत है।
कथानक
इस उपन्यास की पृष्ठभूमि अगस्त 1942 का ‘भारत छोड़ो आन्दोलन' है। परन्तु यह कहानी दो पीढ़ियों से क्रान्ति की वेदना को अदम्य बनाते वैयक्तिक, पारिवारिक, सामाजिक और साम्रप्रदायिक विषमताओं का स्पष्टीकरण भी है। यशपाल की दृष्टि में क्रांति का अर्थ केवल शासकों के वर्ण-पोशाक का बदल जाना ही नहीं परन्तु जीवन में जीर्ण रूढ़ियों की सड़ांध से उत्पन्न व्याधियों और सभी प्रकार की असह्य बातों का विरोध भी हैं।
नारी स्वतंत्रता के समर्थक
यशपाल अपनी आरम्भिक रचनाओं से ही नारी विषमताओं के मुखरतम विरोधी और उसकी पूर्ण स्वतंत्रता के समर्थक रहे हैं। इस रचना में यह बात उन्होंने और सबल तथा निश्शंक स्वर में कही है। उपन्यास का कथा विस्तार राजनैतिक विस्फोट से ब्रिटिश शासन से मुक्त तक ही नहीं बल्कि देश को अवश रखने के लिए विदेशी नीति द्वारा बोये विष-बीजों के अविशिष्ट प्रभावों पर्यन्त भी है, जिनके बिना भारतीय नर-नारी की मुक्ति असम्भव है।
अन्ततः वह कथा केवल क्रान्ति की मशीन नर-नारियों की नहीं बल्कि उन पात्रों की मानवीय समस्याओं, जीवन की नैसर्गिक उमंगों आवश्यकताओं और संस्कारों के द्वन्द्वों की भी है। पूरा उपन्यास आदि से अन्त तक रोचक है। आगामी पचासों वर्षों तक यह उपन्यास भारतीय कथाकारों के लिए मार्ग दर्शक रहेगा।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मेरी तेरी उसकी बात (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 23 दिसम्बर, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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