रश्मि -महादेवी वर्मा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Rashmi.jpg |चित्र का नाम=रश्मि का...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 26: Line 26:
'''रश्मि''' [[महादेवी वर्मा]] का दूसरा कविता संग्रह है। इसका प्रकाशन 1932 में हुआ। इसमें 1927 से 1931 देवी जी का चिंतन और दर्शन पक्ष मुखर होता प्रतीत होता है।
'''रश्मि''' [[महादेवी वर्मा]] का दूसरा कविता संग्रह है। इसका प्रकाशन 1932 में हुआ। इसमें 1927 से 1931 देवी जी का चिंतन और दर्शन पक्ष मुखर होता प्रतीत होता है।


==रश्मि (कविता)==
<poem>
चुभते ही तेरा अरुण बान!
बहते कन कन से फूट फूट,
मधु के निर्झर से सजल गान।


{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
        इन कनक रश्मियों में अथाह,
        लेता हिलोर तम-सिन्धु जाग;
        बुदबुद से बह चलते अपार,
        उसमें विहगों के मधुर राग;
 
बनती प्रवाल का मृदुल कूल,
जो क्षितिज-रेख थी कुहर-म्लान।
 
        नव कुन्द-कुसुम से मेघ-पुंज,
        बन गए इन्द्रधनुषी वितान;
        दे मृदु कलियों की चटक, ताल,
        हिम-बिन्दु नचाती तरल प्राण;
 
धो स्वर्णप्रात में तिमिरगात,
दुहराते अलि निशि-मूक तान।
 
        सौरभ का फैला केश-जाल,
        करतीं समीरपरियां विहार;
        गीलीकेसर-मद झूम झूम,
        पीते तितली के नव कुमार;
 
मर्मर का मधु-संगीत छेड़,
देते हैं हिल पल्लव अजान!
 
        फैला अपने मृदु स्वप्न पंख,
        उड़ गई नींदनिशि क्षितिज-पार;
        अधखुले दृगों के कंजकोष--
        पर छाया विस्मृति का खुमार;
 
रंग रहा हृदय ले अश्रु हास,
यह चतुर चितेरा सुधि विहान!
</poem>
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{महादेवी वर्मा की कृतियाँ}}
[[Category:नया पन्ना मार्च-2013]]
[[Category:पद्य साहित्य]][[Category:महादेवी वर्मा]][[Category:पुस्तक कोश]][[Category:काव्य कोश]][[Category:साहित्य कोश]]
 
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Revision as of 08:06, 31 March 2013

रश्मि -महादेवी वर्मा
कवि महादेवी वर्मा
प्रकाशक राजकमल प्रकाशन
प्रकाशन तिथि 1932
देश भारत
भाषा हिंदी
प्रकार काव्य संग्रह
मुखपृष्ठ रचना अजिल्द

रश्मि महादेवी वर्मा का दूसरा कविता संग्रह है। इसका प्रकाशन 1932 में हुआ। इसमें 1927 से 1931 देवी जी का चिंतन और दर्शन पक्ष मुखर होता प्रतीत होता है।

रश्मि (कविता)

चुभते ही तेरा अरुण बान!
बहते कन कन से फूट फूट,
मधु के निर्झर से सजल गान।

        इन कनक रश्मियों में अथाह,
        लेता हिलोर तम-सिन्धु जाग;
        बुदबुद से बह चलते अपार,
        उसमें विहगों के मधुर राग;

बनती प्रवाल का मृदुल कूल,
जो क्षितिज-रेख थी कुहर-म्लान।

        नव कुन्द-कुसुम से मेघ-पुंज,
        बन गए इन्द्रधनुषी वितान;
        दे मृदु कलियों की चटक, ताल,
        हिम-बिन्दु नचाती तरल प्राण;

धो स्वर्णप्रात में तिमिरगात,
दुहराते अलि निशि-मूक तान।

        सौरभ का फैला केश-जाल,
        करतीं समीरपरियां विहार;
        गीलीकेसर-मद झूम झूम,
        पीते तितली के नव कुमार;

मर्मर का मधु-संगीत छेड़,
देते हैं हिल पल्लव अजान!

        फैला अपने मृदु स्वप्न पंख,
        उड़ गई नींदनिशि क्षितिज-पार;
        अधखुले दृगों के कंजकोष--
        पर छाया विस्मृति का खुमार;

रंग रहा हृदय ले अश्रु हास,
यह चतुर चितेरा सुधि विहान!


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख