कल्पवृक्ष: Difference between revisions

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Revision as of 07:39, 4 April 2013

कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक विशेष वृक्ष है। पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है, वह पूर्ण हो जाती है। पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में से कल्पवृक्ष भी एक था।

  • हिन्दुओं का यह विश्वास है कि कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर जिस वस्तु की भी याचना की जाती है, वही मिलती है।
  • कल्पवृक्ष को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है, जैसे-
  1. कल्पद्रुप
  2. कल्पतरु
  3. सुरतरु देवतरु
  4. कल्पलता
  • पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन से प्राप्त यह वृक्ष देवराज इन्द्र को दे दिया गया था और इन्द्र ने इसकी स्थापना 'सुरकानन' में कर दी थी।
  • कल्पवृक्ष के विषय में यह भी कहा जाता है कि इसका नाश कल्पांत तक नहीं होता।
  • 'तूबा' नाम से ऐसे ही एक वृक्ष का वर्णन इस्लाम के धार्मिक साहित्य में भी मिलता है, जो सदा 'अदन'[1] में फूलता-फलता रहता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (मुस्लिमों के स्वर्ग का उपवन)

बाहरी कड़ियाँ

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