खिलखिलाहट -काका हाथरसी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''खिलखिलाहट''' हिन्दी के प्रसिद्ध हास्य कवि [[काका ह...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{सूचना बक्सा पुस्तक
|चित्र=Khilkhilahat-Kaka-Hathrasi.jpg
|चित्र का नाम='खिलखिलाहट' का आवरण पृष्ठ
|लेखक=
|कवि=[[काका हाथरसी]]
|मूल_शीर्षक = खिलखिलाहट
|मुख्य पात्र =
|कथानक =
|अनुवादक =
|संपादक =
|प्रकाशक =डायमंड पॉकेट बुक्स
|प्रकाशन_तिथि =
|भाषा = [[हिन्दी]]
|देश = [[भारत]]
|विषय =
|शैली =हास्य
|मुखपृष्ठ_रचना =
|विधा =
|प्रकार =
|पृष्ठ = 168
|ISBN =81-288-0612-2
|भाग =
|विशेष =
|टिप्पणियाँ =
}}
'''खिलखिलाहट''' [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध हास्य [[कवि]] [[काका हाथरसी]] की कुछ चुनिन्दा कविताओं का संग्रह है। काका हाथरसी को हिन्दी हास्य कवि के रूप में ख्याति प्राप्त है। उनकी हास्य कविताएँ जहाँ एक ओर हँसाती और गुदगुदाती हैं, वहीं दूसरी ओर अनेकों सामाजिक बुराइयों पर भी कुठाराघात करती हैं।
'''खिलखिलाहट''' [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध हास्य [[कवि]] [[काका हाथरसी]] की कुछ चुनिन्दा कविताओं का संग्रह है। काका हाथरसी को हिन्दी हास्य कवि के रूप में ख्याति प्राप्त है। उनकी हास्य कविताएँ जहाँ एक ओर हँसाती और गुदगुदाती हैं, वहीं दूसरी ओर अनेकों सामाजिक बुराइयों पर भी कुठाराघात करती हैं।
==कवि के अनुसार==
==कवि के अनुसार==

Revision as of 06:46, 20 June 2013

खिलखिलाहट -काका हाथरसी
कवि काका हाथरसी
मूल शीर्षक खिलखिलाहट
प्रकाशक डायमंड पॉकेट बुक्स
ISBN 81-288-0612-2
देश भारत
पृष्ठ: 168
भाषा हिन्दी
शैली हास्य

खिलखिलाहट हिन्दी के प्रसिद्ध हास्य कवि काका हाथरसी की कुछ चुनिन्दा कविताओं का संग्रह है। काका हाथरसी को हिन्दी हास्य कवि के रूप में ख्याति प्राप्त है। उनकी हास्य कविताएँ जहाँ एक ओर हँसाती और गुदगुदाती हैं, वहीं दूसरी ओर अनेकों सामाजिक बुराइयों पर भी कुठाराघात करती हैं।

कवि के अनुसार

बहुत दिनों से इच्छा थी कि अपने कवि-साथियों को एक बार फिर एक स्थल पर एकत्र किया जाए। कवि सम्मेलनों में व्यस्त रहने के कारण सब एक मंच पर एकत्र हो सकें, यह तो संभव नहीं था, किंतु अपनी सिद्ध-प्रसिद्ध रचनाओं के साथ उन्हें एक पुस्तक में संगृहीत किया जाए, यह विचार बार-बार मस्तिष्क में आने लगा था। हमने अपना यह विचार प्रिय डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल के सामने रखा। फिर हम दोनों अपने इस कार्य में जुट गए। जिस समय सारा मौसम उदास-उदास था, हम पाठकों के लिए खिलखिलाने की सामग्री जुटा रहे थे, मनहूसियत मिटाने का सुअवसर ला रहे थे। अब यह अवसर आ गया है। हास्य-व्यंग्य के सिद्ध-प्रसिद्ध साथियों की खिलखिलाती रचनाओं का संकलन 'खिलखिलाहट'।

खिल-खिल खिल-खिल हो रही, श्री यमुना के कूल
अलि अवगुंठन खिल गए, कली बन गईं फूल
कली बन गईं फूल, हास्य की अद्भुत माया
रंजोग़म हो ध्वस्त, मस्त हो जाती काया
संगृहीत कवि मीत, मंच पर जब-जब गाएँ
हाथ मिलाने स्वयं दूर-दर्शन जी आएँ


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख