अजमेर: Difference between revisions

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==उद्योग और व्यापार==
==उद्योग और व्यापार==
सड़क व रेल मार्गों से जुड़ा अजमेर नमक, अभ्रक, कपड़े व कृषि उत्पादों का प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है और यहाँ पर तिलहन, होज़री, ऊन, जूते, साबुन व दवा निर्माण से जुड़े छोटे-छोटे अनेक उद्योग हैं। अजमेर कपड़ों की रंगाई व बुनाई तथा अपने हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है।
सड़क व रेल मार्गों से जुड़ा अजमेर नमक, अभ्रक, कपड़े व कृषि उत्पादों का प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है और यहाँ पर तिलहन, होज़री, ऊन, जूते, साबुन व दवा निर्माण से जुड़े छोटे-छोटे अनेक उद्योग हैं। अजमेर कपड़ों की रंगाई व बुनाई तथा अपने हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है।
==पर्यटन स्थल==
====पुष्कर====
अजमेर से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है यहाँ पर कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भी आते हैं। हजारों हिन्दु लोग इस मेले में आते हैं। व अपने को पवित्र करने के लिए [[पुष्कर झील]] में स्नान करते हैं। इस समय यहाँ पर पशु मेला भी आयोजित किया जाता है, यह मेला विश्व प्रसिद्ध है इसे देखने के लिए विदेशी सैलानी बडी संख्या में पहुँचते हैं, यहाँ दुनिया के एक मात्र जगतपिता [[ब्रह्मा]] जी का मंदिर ओर प्रजापति मन्दिर समेत कई छोटे बडे मंदिर हैं।
====ख्वाज़ा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह====
दरगाह अजमेर शरीफ का भारत में बड़ा महत्व है। खास बात यह भी है कि ख्वाज़ा पर हर धर्म के लोगों का विश्वास है। यहाँ आने वाले जायरीन चाहे वे किसी भी मजहब के क्यों न हों, ख्वाज़ा के दर पर दस्तक देने जरूर आते हैं। यह स्टेशन से 2 किमी़. दूर घनी आबादी के बीच स्थित है। अंदर सफेद संगमरमरी शाहजहांनी मस्जिद, बारीक कारीगरी युक्त बेगमी दालान, जन्नती दरवाजा, बुलंद दरवाजा ओर 2 अकबरकालीन देग हैं इन देगों में काजू, बादाम, पिस्ता, इलायची, केसर के साथ चावल पकाया जाता है और गरीबों में बाँटा जाता है।
====आनासागर झील====
अजमेर शहर के बीच बनी यह सुंदर कृतिम झील यहाँ का सबसे रमणीक स्थल है। इस झील का निर्माण राजा अरणोराज ने 1135 से 1150 के बीच करवाया था। राजा अरणोराज सम्राट [[पृथ्वीराज चौहान]] के पिता थे। बाद में मुग़ल शासक ने इसके किनारे एक शाही बाग़ बनवाया जिसे दौलत बाग़ व सुभाष उद्यान के नाम से जाना जाता है। साथ ही यहाँ शाहजहाँ ने झील की पाल पर संगमरमर की सुंदर बारहदरी का निर्माण करवा कर इस झील की सुन्दरता में चार चाँद लगा दिए। यहाँ मनोरंजन के लिए बच्चों के लिए झूले, मिनी ट्रेन और बोटिंग अदि की सुविधा है।
====तारागड़ का किला====
इस क़िले का निर्माण 11वीं सदी में सम्राट अजय पाल चौहान ने मुग़लों के आक्रमणों से रक्षा हेतु करवाया था। यह क़िला दरगाह के पीछे की पहाड़ी पर स्थित है। मुग़ल काल में यह क़िला सामरिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण था मगर अब यह सिर्फ़ नाम का क़िला ही रह गया है। यहाँ सिर्फ़ जर्जर बुर्ज, दरवाजे और खँडहर ही शेष बचे हैं। क़िले में एक प्रसिद्ध दरगाह और 7 पानी के झालरे भी बने हुए हैं। यहाँ एक मीठे नीम का पेड़ भी है कहा जाता है कि जिन लोगों को संतान नही होती यदि वो इसका फल खा लें तो उनकी यह तमन्ना पूरी हो जाती है।
====ढाई दिन का झोपडा====
यह दरगाह से आगे कुछ ही दूरी पर स्थित है इस खंडहरनुमा इमारत मैं 7 मेहराब एंव हिन्दु-मुस्लिम कारीगिरी के 70 खंबे बने हैं तथा छत पर भी शानदार कारीगिरी की गई है।
====सोनी जी की नसियाँ====
करोली के लाल पत्थरों से बना यह खूबसूरत दिगंबर मंदिर जैन तीर्थंकर आदिनाथ का मंदिर है। लाल पत्थरों से बना होने के कारण इसे लाल मंदिर भी कहा जाता है। इसमें एक स्वर्ण नगरी भी है जिसमें [[जैन धर्म]] से सम्बंधित पोराणिक दृश्य, अयोध्या नगरी, प्रयागराज के दृश्य अंकित हैं। यह स्वर्ण नगरी अपनी बारीक़ कारीगिरी और पिच्चीकारी के लिये प्रसिद्ध है।
====अकबर का क़िला====
यह राजकीय संग्रहालय भी है। यह नया बाजार मैं स्थित है यहाँ प्राचीन मूर्तीयाँ, सिक्के, पेंटिंग्स, कवच आदि रखे हुए हैं। अंग्रेज़ों ने यहीं से जनवरी 1616 में मुग़ल बादशाह जहाँगीर से भारत में व्यापार करने की इजाजत माँगी थी।


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Revision as of 11:57, 23 June 2010

अजमेर शहर, मध्य राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में स्थित है। अजमेर तारागढ़ की पहाड़ी, जिसके शिखर पर क़िला है, निचली ढलानों पर यह शहर स्थित है। पर्वतीय क्षेत्र में बसा अजमेर अरावली पर्वतमाला का एक हिस्सा है, जिसके दक्षिण-पश्चिम में लूनी व पूर्वी हिस्से में बनास की सहायक नदियाँ बहती हैं।

स्थापना

राजा अजयदेव चौहान ने 1100 ई. में अजमेर की स्थापना की थी। सम्भव है, कि पुष्कर अथवा अनासागर झील के निकट होने से अजयदेव ने अपनी राजधानी का नाम अजयमेर (मेर या मीर—झील, जैसे कश्यपमीर=काश्मीर) रखा हो। उन्होंने तारागढ़ की पहाड़ी पर एक क़िला गढ़-बिटली नाम से बनवाया था। जिसे कर्नल टाड ने अपने सुप्रसिद्ध ग्रंथ में राजपूताने की कुँजी कहा है।

इतिहास

  • अजमेर में, 1153 में प्रथम चौहान-नरेश बीसलदेव ने एक मन्दिर बनवाया था, जिसे 1192 ई. में मुहम्मद ग़ोरी ने नष्ट करके उसके स्थान पर अढ़ाई दिन का झोंपड़ा नामक मस्ज़िद बनवाई थी।
  • कुछ विद्वानों का मत है, कि इसका निर्माता क़ुतुबुद्दीन ऐबक़ था।
  • कहावत है, कि यह इमारत अढ़ाई दिन में बनकर तैयार हुई थी, किन्तु ऐतिहासिकों का मत है, कि इस नाम के पड़ने का कारण इस स्थान पर मराठा काल में होने वाला अढ़ाई दिन का मेला है। इस इमारत की क़ारीगरी विशेषकर पत्थर की नक़्क़ाशी प्रशंसनीय है।
  • इससे पहले सोमनाथ जाते समय (1124 ई0) में महमूद ग़ज़नवी अजमेर होकर गया था।
  • मुहम्मद ग़ौरी ने जब 1192 ई. में भारत पर आक्रमण किया, तो उस समय अजमेर पृथ्वीराज के राज्य का एक बड़ा नगर था।
  • पृथ्वीराज की पराजय के पश्चात दिल्ली पर मुसलमानों का अधिकार होने के साथ अजमेर पर भी उनका क़ब्ज़ा हो गया, और फिर दिल्ली के भाग्य के साथ-साथ अजमेर के भाग्य का भी निपटारा होता रहा।
  • 1193 में दिल्ली के गुलाम वंश ने इसे अपने अधिकार में ले लिया।

मुग़ल सम्राट अकबर को अजमेर से बहुत प्रेम था, क्योंकि उसे मुईनुद्दीन चिश्ती की दरग़ाह की यात्रा में बड़ी श्रृद्धा थी। एक बार वह आगरा से पैदल ही चलकर दरग़ाह की ज़ियारत को आया था। मुईनुद्दीन चिश्ती 12वीं शती ई. में ईरान से भारत आए थे। अकबर और जहाँगीर ने इस दरग़ाह के पास ही मस्ज़िदें बनवाई थीं। शाहजहाँ ने अजमेर को अपने अस्थायी निवास-स्थान के लिए चुना था। निकटवर्ती तारागढ़ की पहाड़ी पर भी उसने एक दुर्ग-प्रासाद का निर्माण करवाया था, जिसे विशप हेबर ने भारत का जिब्राल्टर कहा है। यह निश्चित है, कि राजपूतकाल में अजमेर को अपनी महत्वपूर्ण स्थिति के कारण राजस्थान का नाक़ा समझा जाता था। अजमेर के पास ही अनासागर झील है, जिसकी सुन्दर पर्वतीय दृश्यावली से आकृष्ट होकर शाहजहाँ ने यहाँ पर संगमरमर के महल बनवाए थे। यह झील अजमेर-पुष्कर मार्ग पर है। 1878 में अजमेर क्षेत्र को मुख्य आयुक्त के प्रान्त के अजमेर-मेरवाड़ रूप में गठित किया गया और दो अलग इलाक़ों में बाँट दिया गया। इनमें से बड़े में अजमेर और मेरवाड़ उपखण्ड थे तथा दक्षिण-पूर्व में छोटा केकरी उपखण्ड था। 1956 में यह राजस्थान राज्य का हिस्सा बन गया।

संस्कृत साहित्य

अजमेर में, चौहान राजाओं के समय में संस्कृत साहित्य की भी अच्छी प्रगति हुई थी। पृथ्वीराज के पितृव्य विग्रहराज चतुर्थ के समय के संस्कृत तथा प्राकृत में लिखित दो नाटक, ललित-विग्रहराज नाटक और हरकली नाटक छः काल संगमरमर के पटलों पर उत्कीर्ण प्राप्त हुए हैं। ये पत्थर अजमेर की मुख्य मस्ज़िद में लग हुए हैं। मूलरूप से ये किसी प्राचीन मन्दिर में जड़े गए होंगे।

वास्तु धरोहर

यहाँ की वास्तु धरोहरों में एक प्राचीन जैन मन्दिर (लगभग 1200 ई. पू. में इसे एक मस्ज़िद में बदल दिया गया), ख़्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती (मृ. 1236) की सफ़ेद संगमरमर से निर्मित दरग़ाह और अब संग्रहालय बन चुका अकबर का महल (1556 से 1605 तक मुग़ल बादशाह) शामिल है। यह शहन राजपूतों (ऐतिहासिक राजपूताना के क्षत्रिय शासक) के ख़िलाफ़ मुसलमान शासकों की सैन्य चौकी था। शहर की उत्तरी दिशा में 11वीं सदी में बनी एक झील है, जिसके तट पर शाहजहाँ (शासन काल, 1628-1658) ने संगमरमर की छतरियाँ बनवाई थीं।

कृषि और खनिज

कृषि यहाँ का मुख्य व्यवसाय है और मुख्यतः मक्का, गेंहूँ, बाजरा, चना, कपास, तिलहन, मिर्च व प्याज़ उगाए जाते हैं। यहाँ पर अभ्रक, लाल स्फटिक घातु और इमारती पत्थर की खुदाई होती है।

उद्योग और व्यापार

सड़क व रेल मार्गों से जुड़ा अजमेर नमक, अभ्रक, कपड़े व कृषि उत्पादों का प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है और यहाँ पर तिलहन, होज़री, ऊन, जूते, साबुन व दवा निर्माण से जुड़े छोटे-छोटे अनेक उद्योग हैं। अजमेर कपड़ों की रंगाई व बुनाई तथा अपने हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है।

पर्यटन स्थल

पुष्कर

अजमेर से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है यहाँ पर कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भी आते हैं। हजारों हिन्दु लोग इस मेले में आते हैं। व अपने को पवित्र करने के लिए पुष्कर झील में स्नान करते हैं। इस समय यहाँ पर पशु मेला भी आयोजित किया जाता है, यह मेला विश्व प्रसिद्ध है इसे देखने के लिए विदेशी सैलानी बडी संख्या में पहुँचते हैं, यहाँ दुनिया के एक मात्र जगतपिता ब्रह्मा जी का मंदिर ओर प्रजापति मन्दिर समेत कई छोटे बडे मंदिर हैं।

ख्वाज़ा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह

दरगाह अजमेर शरीफ का भारत में बड़ा महत्व है। खास बात यह भी है कि ख्वाज़ा पर हर धर्म के लोगों का विश्वास है। यहाँ आने वाले जायरीन चाहे वे किसी भी मजहब के क्यों न हों, ख्वाज़ा के दर पर दस्तक देने जरूर आते हैं। यह स्टेशन से 2 किमी़. दूर घनी आबादी के बीच स्थित है। अंदर सफेद संगमरमरी शाहजहांनी मस्जिद, बारीक कारीगरी युक्त बेगमी दालान, जन्नती दरवाजा, बुलंद दरवाजा ओर 2 अकबरकालीन देग हैं इन देगों में काजू, बादाम, पिस्ता, इलायची, केसर के साथ चावल पकाया जाता है और गरीबों में बाँटा जाता है।

आनासागर झील

अजमेर शहर के बीच बनी यह सुंदर कृतिम झील यहाँ का सबसे रमणीक स्थल है। इस झील का निर्माण राजा अरणोराज ने 1135 से 1150 के बीच करवाया था। राजा अरणोराज सम्राट पृथ्वीराज चौहान के पिता थे। बाद में मुग़ल शासक ने इसके किनारे एक शाही बाग़ बनवाया जिसे दौलत बाग़ व सुभाष उद्यान के नाम से जाना जाता है। साथ ही यहाँ शाहजहाँ ने झील की पाल पर संगमरमर की सुंदर बारहदरी का निर्माण करवा कर इस झील की सुन्दरता में चार चाँद लगा दिए। यहाँ मनोरंजन के लिए बच्चों के लिए झूले, मिनी ट्रेन और बोटिंग अदि की सुविधा है।

तारागड़ का किला

इस क़िले का निर्माण 11वीं सदी में सम्राट अजय पाल चौहान ने मुग़लों के आक्रमणों से रक्षा हेतु करवाया था। यह क़िला दरगाह के पीछे की पहाड़ी पर स्थित है। मुग़ल काल में यह क़िला सामरिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण था मगर अब यह सिर्फ़ नाम का क़िला ही रह गया है। यहाँ सिर्फ़ जर्जर बुर्ज, दरवाजे और खँडहर ही शेष बचे हैं। क़िले में एक प्रसिद्ध दरगाह और 7 पानी के झालरे भी बने हुए हैं। यहाँ एक मीठे नीम का पेड़ भी है कहा जाता है कि जिन लोगों को संतान नही होती यदि वो इसका फल खा लें तो उनकी यह तमन्ना पूरी हो जाती है।

ढाई दिन का झोपडा

यह दरगाह से आगे कुछ ही दूरी पर स्थित है इस खंडहरनुमा इमारत मैं 7 मेहराब एंव हिन्दु-मुस्लिम कारीगिरी के 70 खंबे बने हैं तथा छत पर भी शानदार कारीगिरी की गई है।

सोनी जी की नसियाँ

करोली के लाल पत्थरों से बना यह खूबसूरत दिगंबर मंदिर जैन तीर्थंकर आदिनाथ का मंदिर है। लाल पत्थरों से बना होने के कारण इसे लाल मंदिर भी कहा जाता है। इसमें एक स्वर्ण नगरी भी है जिसमें जैन धर्म से सम्बंधित पोराणिक दृश्य, अयोध्या नगरी, प्रयागराज के दृश्य अंकित हैं। यह स्वर्ण नगरी अपनी बारीक़ कारीगिरी और पिच्चीकारी के लिये प्रसिद्ध है।

अकबर का क़िला

यह राजकीय संग्रहालय भी है। यह नया बाजार मैं स्थित है यहाँ प्राचीन मूर्तीयाँ, सिक्के, पेंटिंग्स, कवच आदि रखे हुए हैं। अंग्रेज़ों ने यहीं से जनवरी 1616 में मुग़ल बादशाह जहाँगीर से भारत में व्यापार करने की इजाजत माँगी थी।