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==सागौन वन==
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निलम्बुर दुनिया के सबसे पुराने सागौन वन के लिए जाना जाता है, जो शहर से मात्र 2 कि.मी. की दूरी पर कोनोली प्लॉट पर उगाये गए हैं। यह स्थान यहां की जनजातीय बस्तियों, दुनिया के प्रथम सागौन संग्रहालय, विशाल वर्षा वन, जलप्रपात तथा प्राचीन 'कोविलाकोम'<ref>महाराजों का निवास</ref> के लिए भी जाना जाता है।<ref name="aa">{{cite web |url= https://www.keralatourism.org/hindi/destination/destination.php?id=84|title= निलम्बुर|accessmonthday=25 जून|accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=केरल पर्यटन|language= हिन्दी}}</ref>
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====ऐतिहासिक तथ्य====
====ऐतिहासिक तथ्य====
सागौन के वन का नाम 'एच. वी. कोनोली' के नाम पर रखा गया है, जो [[अंग्रेज़]] शासन के दौरान मलाबार ज़िले के कलेक्टर हुआ करते थे। इन्होंने ही संपूर्ण नीलाम्बर क्षेत्र में सागौन का वन लगवाया था। कोलोनी के कनिष्ठ पद पर काम करने वाले चातू मेनन ने नन्हे पौधों के रोपण के कठिन कार्य को अपनी देखरेख में पूरा किया था। बाद में उनका [[अंतिम संस्कार]] कोनोली के प्लॉट पर उगे सागौन वन में ही किया गया था।
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==सागौन संग्रहालय==
==सागौन संग्रहालय==
सागौन का सबसे पुराना वृक्ष 'कन्निमरी' कोनोली प्लॉट का एक विशेष आकर्षण है। यह भूखंड अरुवकोडे में चालियार नदी के किनारे 2.31 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला है, जहां नौकाओं के जरिए पर्यटकों को नदी के पार ले जाया जाता है। निलम्बुर शहर से चार कि.मी. की दूरी पर स्थित गुडल्लूर मार्ग पर दुनिया का प्रथम सागौन संग्रहालय स्थित है। यह संग्रहालय 'केरल वन अनुसंधान संस्थान' का एक उपकेंद्र है। दो मंजिले भवन में स्थित इस संग्रहालय में पर्यटक ऐतिहासिक, कलात्मक तथा वैज्ञानिक महत्व की वस्तुओं को देख सकते हैं, जहां उनको सागौन की लकड़ी के बारे में हर प्रकार की जानकारी दी जाती है।
सागौन का सबसे पुराना वृक्ष 'कन्निमरी' कोनोली प्लॉट का एक विशेष आकर्षण है। यह भूखंड अरुवकोडे में चालियार नदी के किनारे 2.31 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला है, जहां नौकाओं के द्वारा पर्यटकों को नदी के पार ले जाया जाता है। निलम्बुर शहर से चार कि.मी. की दूरी पर स्थित गुडल्लूर मार्ग पर दुनिया का प्रथम सागौन संग्रहालय स्थित है। यह संग्रहालय 'केरल वन अनुसंधान संस्थान' का एक उपकेंद्र है। दो मंजिले भवन में स्थित इस संग्रहालय में पर्यटक ऐतिहासिक, कलात्मक तथा वैज्ञानिक महत्व की वस्तुओं को देख सकते हैं, जहां उनको सागौन की लकड़ी के बारे में हर प्रकार की जानकारी दी जाती है।
====नेडुमकयम====
====नेडुमकयम====
निलम्बुर शहर से महज 18 कि.मी. की दूरी पर स्थित नेडुमकयम को वर्षा वनों के लिए जाना जाता है। यहां पर्यटकों को [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] द्वारा निर्मित लकड़ी के रेस्ट हाउस से लेकर [[हाथी]], हिरण जैसे जानवर दिखाई पड़ेंगे। वन क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले यहां वन विभाग की अनुमति लेनी पड़ती है। मौजूदा वन क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए इस इलाके में कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। घने वन से होकर जीप में बैठकर यहां से आधे घंटे की दूरी पर स्थित मनचेरी भी पहुंच सकते हैं, जो 'चोलाई नाइकर्स'<ref>एक प्राचीन जनजाति</ref> का गृह स्थल माना जाता है। यहां वलमथोडे के पहाड़ के ऊपर एक और जनजाति बस्ती बसी है, जहाँ पर्यटक [[कोझीकोड ज़िला|कोझीकोड]] से अरीकोड-मुक्कम सड़क मार्ग द्वारा जा सकते हैं।<ref name="aa"/>
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Revision as of 13:10, 25 June 2014

निलम्बुर केरल के शानदार पर्यटन स्थलों में से एक है, जो उत्तर केरल के मल्लपुरम ज़िले के मल्लपुरम शहर से 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह स्थान सागौन वृक्षों के घने जंगलों के लिए प्रसिद्ध है। निलम्बुर से कुछ ही दूरी पर विश्व का प्रथम 'सागौन संग्रहालय' स्थित है। पर्यटक यहाँ ऐतिहासिक, कलात्मक तथा वैज्ञानिक महत्त्व की अनेक वस्तुओं को देख सकते हैं।

सागौन वन

निलम्बुर विश्व के सबसे पुराने 'सागौन वन' के लिए जाना जाता है, जो शहर से मात्र 2 कि.मी. की दूरी पर कोनोली प्लॉट पर उगाये गए हैं। यह स्थान यहां की जनजातीय बस्तियों, दुनिया के प्रथम सागौन संग्रहालय, विशाल वर्षा वन, जलप्रपात तथा प्राचीन 'कोविलाकोम'[1] के लिए भी जाना जाता है।[2]

ऐतिहासिक तथ्य

सागौन के वन का नाम 'एच. वी. कोनोली' के नाम पर रखा गया है, जो अंग्रेजी शासन के दौरान मालाबार ज़िले के कलेक्टर हुआ करते थे। इन्होंने ही संपूर्ण नीलाम्बर क्षेत्र में सागौन का वन लगवाया था। कोलोनी के कनिष्ठ पद पर काम करने वाले चातू मेनन ने नन्हे पौधों के रोपण के कठिन कार्य को अपनी देखरेख में पूरा किया था। बाद में उनका अंतिम संस्कार कोनोली के प्लॉट पर उगे सागौन वन में ही किया गया था।

सागौन संग्रहालय

सागौन का सबसे पुराना वृक्ष 'कन्निमरी' कोनोली प्लॉट का एक विशेष आकर्षण है। यह भूखंड अरुवकोडे में चालियार नदी के किनारे 2.31 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला है, जहां नौकाओं के द्वारा पर्यटकों को नदी के पार ले जाया जाता है। निलम्बुर शहर से चार कि.मी. की दूरी पर स्थित गुडल्लूर मार्ग पर दुनिया का प्रथम सागौन संग्रहालय स्थित है। यह संग्रहालय 'केरल वन अनुसंधान संस्थान' का एक उपकेंद्र है। दो मंजिले भवन में स्थित इस संग्रहालय में पर्यटक ऐतिहासिक, कलात्मक तथा वैज्ञानिक महत्व की वस्तुओं को देख सकते हैं, जहां उनको सागौन की लकड़ी के बारे में हर प्रकार की जानकारी दी जाती है।

नेडुमकयम

निलम्बुर शहर से महज 18 कि.मी. की दूरी पर स्थित नेडुमकयम को वर्षा वनों के लिए जाना जाता है। यहां पर्यटकों को अंग्रेज़ों द्वारा निर्मित लकड़ी के रेस्ट हाउस से लेकर हाथी, हिरण जैसे जानवर दिखाई पड़ेंगे। वन क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले यहां वन विभाग की अनुमति लेनी पड़ती है। मौजूदा वन क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए इस इलाके में कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। घने वन से होकर जीप में बैठकर यहां से आधे घंटे की दूरी पर स्थित मनचेरी भी पहुंच सकते हैं, जो 'चोलाई नाइकर्स'[3] का गृह स्थल माना जाता है। यहां वलमथोडे के पहाड़ के ऊपर एक और जनजाति बस्ती बसी है, जहाँ पर्यटक कोझीकोड से अरीकोड-मुक्कम सड़क मार्ग द्वारा जा सकते हैं।[2]

कोविलाकोम

निलम्बुर शहर 'कोविलाकोम' अर्थात "प्राचीन काल के स्थानीय राजाओं या शासकों के निवास स्थल", के अपने समूह के लिए भी मशहूर है। ये संरचना अपने सुंदर भित्ति चित्र तथा काष्ठ कला के लिए प्रसिद्ध है। निलम्बुर पट्टू एक प्राचीन उत्सव है, जो फ़रवरी के महीने में अपने कलमपट्टू या फर्श पर बनाई जाने वाली रंगोली के लिए जाना जाता है।

कैसे पहुंचें

केरल के इस शानदार स्थान तक पहुँचने के लिए-

  • निकटतम रेलवे स्टेशन निलम्बुर शोरनूर, निलम्बुर रेलवे लाइन का टर्मिनस है।
  • निकटतम हवाई अड्डा कोझीकोडहै, जो मल्लपुरम शहर से 26 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाराजों का निवास
  2. 2.0 2.1 निलम्बुर (हिन्दी) केरल पर्यटन। अभिगमन तिथि: 25 जून, 2014।
  3. एक प्राचीन जनजाति

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