चकबन्दी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} चकबन्दी वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
{{पुनरीक्षण}}
'''चकबन्दी''' वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा स्वामित्त्वधारी कृषकों को उनके इधर-उधर बिखरे हुए खेतों के बदले में उसी किस्म के कुल उतने ही आकार के एक या दो खेत लेने के लिए राजी किया जाता है।
चकबन्दी वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा स्वामित्त्वधारी कृषकों को उनके इधर-उधर बिखरे हुए खेतों के बदले में उसी किस्म के कुल उतने ही आकार के एक या दो खेत लेने के लिए राजी किया जाता है।
इस प्रकार चकबन्दी एक [[परिवार]] के बिखरे हुए खेतों को एक स्थान पर करने की प्रक्रिया है। लेकिन चकबन्दी करने में उसी प्रकार की भूमि मिले, जिस प्रकार की कृषक की भूमि भिन्न-भिन्न स्थानों पर है, ऐसा होना सम्भव नहीं है। उसको पहले से अच्छी या घटिया भूमि मिल सकती है। ऐसी स्थिति में भूमि का मूल्य लगाया जाता है। यदि उसको पहले से अच्छी भूमि मिलती है तो उसकी मात्रा कम होती है। इसके विपरीत, यदि भूमि पहले से घटिया मिलती है तो उसकी मात्रा अधिक होती है, लेकिन जब भूमि की कुल मात्रा को बढ़ाया नहीं जा सकता है तो फिर इसकी क्षतिपूर्ति रुपयों में आंकी जाती है, जिसको लेकर या देकर हिसाब बराबर किया जाता है।  
 
इस प्रकार चकबन्दी एक परिवार के बिखरे हुए खेतों को एक स्थान पर करने की प्रक्रिया है। लेकिन चकबन्दी करने में उसी प्रकार की भूमि मिले, जिस प्रकार की कृषक की भूमि भिन्न-भिन्न स्थानों पर है, ऐसा होना सम्भव नहीं है। उसको पहले से अच्छी या घटिया भूमि मिल सकती है। ऐसी स्थिति में भूमि का मूल्य लगाया जाता है। यदि उसको पहले से अच्छी भूमि मिलती है तो उसकी मात्रा कम होती है। इसके विपरीत, यदि भूमि पहले से घटिया मिलती है तो उसकी मात्रा अधिक होती है, लेकिन जब भूमि की कुल मात्रा को बढ़ाया नहीं जा सकता है तो फिर इसकी क्षतिपूर्ति रुपयों में आंकी जाती है, जिसको लेकर या देकर हिसाब बराबर किया जाता है।  
==प्रकार==
==प्रकार==
चकबन्दी दो प्रकार की होती है-
चकबन्दी दो प्रकार की होती है-
Line 13: Line 11:
==चकबन्दी की प्रगति==
==चकबन्दी की प्रगति==
भारत में 9 राज्यों को छोड़कर शेष सभी राज्यों में चकबन्दी सम्बन्धी क़ानून हैं, जिनके अन्तर्गत चकबन्दी की जा रही है। पंजाब व [[हरियाणा]] में चकबन्दी का कार्य पूरा किया जा चुका है। [[उत्तर प्रदेश]] में भी 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। शेष राज्यों में अभी आवश्यक गति आना बाकी है। अब तक देशभर में 1,633,47 लाख एकड़ भूमि की चकबन्दी कर दी गई है।
भारत में 9 राज्यों को छोड़कर शेष सभी राज्यों में चकबन्दी सम्बन्धी क़ानून हैं, जिनके अन्तर्गत चकबन्दी की जा रही है। पंजाब व [[हरियाणा]] में चकबन्दी का कार्य पूरा किया जा चुका है। [[उत्तर प्रदेश]] में भी 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। शेष राज्यों में अभी आवश्यक गति आना बाकी है। अब तक देशभर में 1,633,47 लाख एकड़ भूमि की चकबन्दी कर दी गई है।
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
[[Category:कृषि]]
[[Category:कृषि]]
[[Category:नया पन्ना अगस्त-2011]]
[[Category:गणराज्य संरचना कोश]]


__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 09:08, 31 July 2014

चकबन्दी वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा स्वामित्त्वधारी कृषकों को उनके इधर-उधर बिखरे हुए खेतों के बदले में उसी किस्म के कुल उतने ही आकार के एक या दो खेत लेने के लिए राजी किया जाता है। इस प्रकार चकबन्दी एक परिवार के बिखरे हुए खेतों को एक स्थान पर करने की प्रक्रिया है। लेकिन चकबन्दी करने में उसी प्रकार की भूमि मिले, जिस प्रकार की कृषक की भूमि भिन्न-भिन्न स्थानों पर है, ऐसा होना सम्भव नहीं है। उसको पहले से अच्छी या घटिया भूमि मिल सकती है। ऐसी स्थिति में भूमि का मूल्य लगाया जाता है। यदि उसको पहले से अच्छी भूमि मिलती है तो उसकी मात्रा कम होती है। इसके विपरीत, यदि भूमि पहले से घटिया मिलती है तो उसकी मात्रा अधिक होती है, लेकिन जब भूमि की कुल मात्रा को बढ़ाया नहीं जा सकता है तो फिर इसकी क्षतिपूर्ति रुपयों में आंकी जाती है, जिसको लेकर या देकर हिसाब बराबर किया जाता है।

प्रकार

चकबन्दी दो प्रकार की होती है-

  1. ऐच्छिक चकबन्दी
  2. अनिवार्य चकबन्दी।

ऐच्छिक चकबन्दी

ऐच्छिक चकबन्दी से अर्थ उस चकबन्दी से है, जिसमें चकबन्दी कराना कृषक की इच्छा पर निर्भर करता है। उस पर चकबन्दी कराने के लिए दबाव नहीं डाला जाता है। अत: इस प्रकार की चकबन्दी से अच्छे परिणाम निकलते हैं और बाद में विवाद भी खड़ा नहीं होता है। इस प्रकार की चकबन्दी की शुरुआत भारत में सबसे पहले पंजाब राज्य में 1921 में हुई थी, जहाँ पर सहकारी समितियों द्वारा यह कार्य किया गया था। पंजाब के समान ही अन्य राज्यों में भी इसी प्रकार के नियम बनाए गए, जिनमें यह व्यवस्था थी कि यदि गाँव के 90 प्रतिशत किसान चकबन्दी के लिए सहमत हों तो उस गाँव में ऐच्छिक चकबन्दी की अनुमति दी जा सकती है। ऐसी स्थिति में शेष 10 प्रतिशत को यह व्यवस्था मानने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। अभी गुजरात, मध्य प्रदेशपश्चिम बंगाल में ऐच्छिक चकबन्दी क़ानून है।

अनिवार्य चकबन्दी

अनिवार्य चकबन्दी से अर्थ उस चकबन्दी से है, जिसके अन्तर्गत कृषक को चकबन्दी अनिवार्य रूप से करानी पड़ती है। ऐसी चकबन्दी क़ानूनी चकबन्दी भी कहलाती है। ऐच्छिक चकबन्दी वाले राज्य गुजरात, मध्य प्रदेश व पश्चिम बंगाल हैं, जिन्हें छोड़कर आन्ध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, मेघालय, नागालैण्ड, त्रिपुरा, तमिलनाडु और केरल में चकबन्दी सम्बन्धी कोई क़ानून नहीं है। शेष सभी राज्यों में अनिवार्य चकबन्दी क़ानून लागू है।

चकबन्दी की प्रगति

भारत में 9 राज्यों को छोड़कर शेष सभी राज्यों में चकबन्दी सम्बन्धी क़ानून हैं, जिनके अन्तर्गत चकबन्दी की जा रही है। पंजाब व हरियाणा में चकबन्दी का कार्य पूरा किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश में भी 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। शेष राज्यों में अभी आवश्यक गति आना बाकी है। अब तक देशभर में 1,633,47 लाख एकड़ भूमि की चकबन्दी कर दी गई है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख