क़ाज़ी-उल-क़ुज़ात: Difference between revisions
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Revision as of 08:13, 3 August 2014
क़ाज़ी-उल-क़ुज़ात पद दीवान-ए-रसालत विभाग के अंतर्गत आता था।
भारत के इतिहास में सल्तनत काल के सुल्तान के बाद न्याय का सर्वोच्च अधिकारी क़ाज़ी-उल-क़ुज़ात होता था। प्रायः मुक़दमे इसी के न्यायालय में शुरू किये जाते थे। यह अपने से नीचे के क़ाज़ियों के निर्णय पर फिर से विचार करने का अधिकार रखता था। प्रायः यह पद सद्र-उस-सदुर के पास ही रहता था। मुहम्मद बिन तुग़लक़ यदि क़ाज़ी के निर्णय से संतुष्ठ नहीं होता था तो, उस निर्णय को बदल देता था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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