धीरज ठाकरान: Difference between revisions
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Revision as of 07:43, 5 November 2014
धीरज ठाकरान को भारत के प्रमुख पहलवानों में गिना जाता है। उन्होंने देश के लिए खेलते हुए कई उपलब्धियाँ प्राप्त की थीं। इनका असली नाम वीरेंदर ठाकरान है पर ग्रामीण क्षेत्र में ये धीरज के नाम से लोकप्रिय है। उनकी बहन प्रीतम ठाकरान भारतीय हॉकी टीम की कप्तान रह चुकी हैं।
परिचय
धीरज ठाकरान का जन्म गुड़गाँव, हरियाणा के निकट झाड़सा गाँव में 1970 में हुआ था। इनके पिता का नाम भरत सिंह ठाकरान था। हरियाणा राज्य को यदि पहलवानों की भूमि कहा जाये तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। यहाँ के हर ज़िले में कोई नो कोई मशहूर पहलवान मिल जायेगा। ऐसे ही एक गाँव झाड़सा में कई मशहूर पहलवान हुए हैं, जिन्होंने हर स्तर पर अपने गाँव और देश का नाम रोशन किया। इनमे से एक पहलवान धीरज (वीरेंद्र ठाकरान) ने भी भारत का नाम हर जगह रोशन किया है। thumb|220px|धीरज ठाकरान
धीरज की सगी बहन श्रीमती प्रीतम सिवाच (शादी से पहले प्रीतम ठाकरान) भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान और देश की प्रतिभावान खिलाडियों में एक रही हैं। कुल मिलाकर ठाकरान परिवार ने देश के लिए होनहार खिलाडी पैदा किये हैं।
कुश्ती प्रेम
गाँव के हंसराम पहलवान और धीरज ठाकरान के पिता भरत सिंह में अच्छी दोस्ती थी। हंसराम ने धीरज के कुश्ती प्रेम को देखते हुए उनको स्वयं गुरु हनुमान के अखाड़े में छोड़ा। ये भी गुरु हनुमान के प्रिय शिष्यों में से एक थे। बाद में इन्होंने भारतीय रेल में अपनी नोकरी की शुरुआत की। ये भारतीय रेल विभाग के उत्कृष्ठ पहलवानों में गिने जाते थे।
कॉमनवेल्थ गेम्स
सन 1995 में इन्होंने भारत में आयोजित सैफ खेलो में स्वर्ण पदक जीता। इससे पहले वे सन 1991 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीत चुके थे।
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