सतगाँव: Difference between revisions
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*सतगाँव [[गंगा नदी]] के तट पर स्थित एक बन्दरगाह था। कहा जाता है कि यहाँ पर राजा प्रियव्रत के सात पुत्र तपस्या करके [[ऋषि]] हुए थे, इसलिए इसका नाम सतगाँव या सप्तग्राम हुआ था। | *सतगाँव [[गंगा नदी]] के तट पर स्थित एक बन्दरगाह था। कहा जाता है कि यहाँ पर राजा प्रियव्रत के सात पुत्र तपस्या करके [[ऋषि]] हुए थे, इसलिए इसका नाम सतगाँव या सप्तग्राम हुआ था। | ||
*13वीं शताब्दी में मोरक्को निवासी [[इब्नबतूता]] सतगाँव आया था। | *13वीं शताब्दी में मोरक्को निवासी [[इब्नबतूता]] सतगाँव आया था। | ||
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*सतगाँव की रेशमी में रज़ाइयों को [[आगरा]] एवं पाटन भेजे जाने का वर्णन मिलता है। 1535 ई. के बाद सरसौती नदी का बहाव बदल जाने से तथा 1538 ई. में [[पुर्तग़ाल|पुर्तग़ालियों]] द्वारा हुगली की स्थापना के बाद सतगाँव का महत्त्व कम हो गया था। | *सतगाँव की रेशमी में रज़ाइयों को [[आगरा]] एवं पाटन भेजे जाने का वर्णन मिलता है। 1535 ई. के बाद सरसौती नदी का बहाव बदल जाने से तथा 1538 ई. में [[पुर्तग़ाल|पुर्तग़ालियों]] द्वारा हुगली की स्थापना के बाद सतगाँव का महत्त्व कम हो गया था। | ||
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Latest revision as of 14:20, 2 January 2015
सतगाँव अथवा सप्तग्राम पश्चिम बंगाल के हुगली ज़िले में मगरा के समीप एक प्राचीन स्थल है।
- सतगाँव गंगा नदी के तट पर स्थित एक बन्दरगाह था। कहा जाता है कि यहाँ पर राजा प्रियव्रत के सात पुत्र तपस्या करके ऋषि हुए थे, इसलिए इसका नाम सतगाँव या सप्तग्राम हुआ था।
- 13वीं शताब्दी में मोरक्को निवासी इब्नबतूता सतगाँव आया था।
- सतगाँव में मुसलमान शासकों की मुद्राएँ बहुतायत में प्राप्त हुई हैं, क्योंकि गौड़ के अलाउद्दीन हुसेनशाह के शासनकाल में सतगाँव शाही टकसाल का केन्द्र था।
- पूर्व मध्यकाल में सतगाँव पूर्वी भारत का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक नगर था।
- सतगाँव की रेशमी में रज़ाइयों को आगरा एवं पाटन भेजे जाने का वर्णन मिलता है। 1535 ई. के बाद सरसौती नदी का बहाव बदल जाने से तथा 1538 ई. में पुर्तग़ालियों द्वारा हुगली की स्थापना के बाद सतगाँव का महत्त्व कम हो गया था।
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