Template:विशेष आलेख: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 3: Line 3:
|-
|-
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
<div style="padding:3px">[[चित्र:Mahatma-Gandhi-1.jpg|right|border|100px|महात्मा गाँधी|link=गाँधी युग]]</div>
<div style="padding:3px">[[चित्र:Shradh-Kolaj.jpg|right|border|100px|श्राद्ध]]</div>
<poem>
<poem>
         ''''[[गाँधी युग]]'''' [[महात्मा गाँधी]] के अपने सत्य, [[अहिंसा व्रत|अहिंसा]] एवं [[सत्याग्रह]] के साधनों से भारतीय राजनीतिक मंच पर [[1919]] ई. से [[1948]] ई. तक के कार्यकाल को माना जाता है। जे. एच. होम्स ने गाँधी जी के बारे में कहा कि- "गाँधी जी की गणना विगत युगों के महान व्यक्तियों में की जा सकती है। वे अल्फ़्रेड, वाशिंगटन तथा लैफ़्टे की तरह एक महान राष्ट्र निर्माता थे। उन्होंने बिलबर फ़ोर्स, गैरिसन और लिंकन की भांति [[भारत]] को दासता से मुक्त कराने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। वे सेंट फ़्राँसिस एवं टॉलस्टाय की अहिंसा के उपदेशक और [[बुद्ध]], [[ईसा मसीह|ईसा]] तथा जरथ्रुस्त की तरह आध्यात्मिक नेता थे।" गाँधी जी भारत के उन कुछ चमकते हुए सितारों में से एक थे, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता एवं राष्ट्रीय एकता के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। [[गाँधी युग|... और पढ़ें]]</poem>
         '''[[श्राद्ध]]''' पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक हैं। [[हिन्दू धर्म]] के अनुसार, प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ में [[माता]]-[[पिता]], पूर्वजों को [[नमस्कार]] या प्रणाम करना हमारा कर्तव्य है, हमारे पूर्वजों की वंश परम्परा के कारण ही हम आज यह जीवन जी रहे हैं। [[ब्रह्म पुराण]] ने श्राद्ध की परिभाषा इस प्रकार की है- 'जो कुछ उचित काल, पात्र एवं स्थान के अनुसार उचित (शास्त्रानुमोदित) विधि द्वारा पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को दिया जाता है', वह श्राद्ध कहलाता है। श्राद्ध-कर्म में पके हुए [[चावल]], [[दूध]] और [[तिल]] को मिश्रित करके [[पिण्ड (श्राद्ध)|पिण्ड]] बनाते हैं, उसे 'सपिण्डीकरण' कहते हैं। पिण्ड का अर्थ है शरीर। यह एक पारंपरिक विश्वास है, जिसे विज्ञान भी मानता है कि हर पीढ़ी के भीतर मातृकुल तथा पितृकुल दोनों में पहले की पीढ़ियों के समन्वित 'गुणसूत्र' उपस्थित होते हैं। [[श्राद्ध|... और पढ़ें]]</poem>
----
----
<center>
<center>
Line 11: Line 11:
|-
|-
| [[चयनित लेख|पिछले आलेख]] →
| [[चयनित लेख|पिछले आलेख]] →
| [[गाँधी युग]] ·
| [[चैतन्य महाप्रभु]] ·  
| [[चैतन्य महाप्रभु]] ·  
| [[भारतीय संस्कृति]]  
| [[भारतीय संस्कृति]]  
|}</center>
|}</center>
|}<noinclude>[[Category:विशेष आलेख के साँचे]]</noinclude>
|}<noinclude>[[Category:विशेष आलेख के साँचे]]</noinclude>

Revision as of 14:36, 27 September 2015

एक आलेख

        श्राद्ध पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार, प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ में माता-पिता, पूर्वजों को नमस्कार या प्रणाम करना हमारा कर्तव्य है, हमारे पूर्वजों की वंश परम्परा के कारण ही हम आज यह जीवन जी रहे हैं। ब्रह्म पुराण ने श्राद्ध की परिभाषा इस प्रकार की है- 'जो कुछ उचित काल, पात्र एवं स्थान के अनुसार उचित (शास्त्रानुमोदित) विधि द्वारा पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को दिया जाता है', वह श्राद्ध कहलाता है। श्राद्ध-कर्म में पके हुए चावल, दूध और तिल को मिश्रित करके पिण्ड बनाते हैं, उसे 'सपिण्डीकरण' कहते हैं। पिण्ड का अर्थ है शरीर। यह एक पारंपरिक विश्वास है, जिसे विज्ञान भी मानता है कि हर पीढ़ी के भीतर मातृकुल तथा पितृकुल दोनों में पहले की पीढ़ियों के समन्वित 'गुणसूत्र' उपस्थित होते हैं। ... और पढ़ें


पिछले आलेख गाँधी युग · चैतन्य महाप्रभु · भारतीय संस्कृति