पराशर: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replace - '[[category' to '[[Category') |
m (1 अवतरण) |
(No difference)
|
Revision as of 05:22, 26 March 2010
पराशर / Parashar
- मुनि शक्ति के पुत्र तथा वसिष्ठ के पौत्र का नाम पराशर था।
- बड़े होने पर जब उसे पता चला कि उसके पिता को वन में राक्षसों ने खा लिया था तब वह क्रुद्ध होकर लोकों का नाश करने के लिए उद्यत हो उठा।
- वसिष्ठ ने उसे शांत किया किंतु क्रोधाग्नि व्यर्थ नही जा सकती थी, अत: समस्त लोकों का पराभव न करके पराशर ने राक्षस सत्र का अनुष्ठान किया। सत्र में प्रज्वलित अग्नि में राक्षस नष्ट होने लगे।
- कुछ निर्दोष राक्षसों को बचाने के लिए महर्षि पुलस्त्य आदि ने पराशर से जाकर कहा-'ब्राह्मणों को क्रोध शोभा नहीं देता। शक्ति का नाश भी उसके दिये शाप के फलस्वरूप ही हुआ। हिंसा ब्राह्मण का धर्म नहीं है।' समझा-बुझाकर उन्होंने पराशर का यज्ञ समाप्त करबा दिया तथा संचित अग्नि को उत्तर दिशा में हिमालय के आसपास वन में छोड़ दिया। वह आज भी वहां पर्व के अवसर पर राक्षसों, वृक्षों तथा पत्थरों को जलाती है। [1]
टीका-टिप्पणी