जीवी -पन्नालाल पटेल: Difference between revisions

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*इस उपन्यास के साल-सवा साल के कथा-काल में ग्राम्य-जीवन की सरलता, निश्छलता, अन्ध-विश्वास और बात पर मर मिटने की वृत्ति पग-पग पर प्रकट होती है।
*इस उपन्यास के साल-सवा साल के कथा-काल में ग्राम्य-जीवन की सरलता, निश्छलता, अन्ध-विश्वास और बात पर मर मिटने की वृत्ति पग-पग पर प्रकट होती है।
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Latest revision as of 07:03, 24 March 2017

जीवी -पन्नालाल पटेल
लेखक पन्नालाल पटेल
मूल शीर्षक 'जीवी'
कथानक उपन्यास की कथावस्तु राजस्थान और गुजरात के सीमा-प्रदेशवर्ती एक गाँव पर आधारित है।
प्रकाशक भारतीय साहित्य संग्रह
देश भारत
पृष्ठ: 300
भाषा गुजराती
प्रकार उपन्यास
प्रकाशित वर्ष 2011
पुस्तक क्रमांक 8485

'जीवी' गुजराती भाषा में लिखा गया प्रसिद्ध उपन्यास है, जिसकी रचना गुजराती साहित्यकार पन्नालाल पटेल द्वारा की गई है। यह उपन्यास राजस्थान और गुजरात के सीमा-प्रदेशवर्ती एक गाँव पर आधारित है और इसमें आंचलिक उपन्यासों की परम्परा का नितान्त स्वाभाविक तथा अत्यन्त भव्य रूप देखने को मिलता है।[1]

  • इस उपन्यास के साल-सवा साल के कथा-काल में ग्राम्य-जीवन की सरलता, निश्छलता, अन्ध-विश्वास और बात पर मर मिटने की वृत्ति पग-पग पर प्रकट होती है।
  • उपन्यास की भाषा ठेठ ग्रामीण है, जिसमें लेखक ने अनेक बहुमूल्य अनुभव सूक्तियों के रूप में पिरो दिए हैं।
  • लेखक का कथाशिल्प अद्वितीय है। मेले से ही उपन्यास का आरम्भ होता है और मेले से ही अन्त।
  • उपन्यास का वातावरण खेत, खलिहान, मचान और कुएँ को लेकर चलता है और लोक-गीतों ने उसे और भी मादक बना दिया है।
  • पन्नालाल पटेल ने पात्रों के अन्तर्द्वन्द्व के साथ आदर्शवाद का ऐसा अपूर्व संगम इस 'जीवी' उपन्यास में किया है कि अच्छे-अच्छे मनोविश्लेषण-प्रधान उपन्यास-लेखक आश्चर्यचकित होकर रह जायें।
  • कथा की गति बड़ी ही स्वाभाविक है और एक भी वाक्य या शब्द व्यर्थ नहीं है। सारा उपन्यास साँचे में ढला हुआ-सा लगता है।
  • लेखक ने भारतीय ग्राम्यजीवन की झलक देने में अद्भुत संयम और प्रशंसनीय कौशल से काम लिया है। कदाचित् इसीलिए यह भारतीय आंचलिक उपन्यासों में अपने ढंग की श्रेष्ठतम रचना है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जीवी (हिन्दी) itunes.apple.com। अभिगमन तिथि: 24 मार्च, 2017।

बाहरी कड़ियाँ

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