देवराष्ट्र: Difference between revisions

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*पहले विद्वानों का विचार था कि, देवराष्ट्र [[महाराष्ट्र]] का ही पर्याय है।
*पहले विद्वानों का विचार था कि, देवराष्ट्र [[महाराष्ट्र]] का ही पर्याय है।
*समुद्रगुप्त की दिग्विजय में [[दक्षिण भारत]] का लगभग पूरा भाग ही सम्मिलित माना गया था।
*समुद्रगुप्त की दिग्विजय में [[दक्षिण भारत]] का लगभग पूरा भाग ही सम्मिलित माना गया था।
*अब [[फ्रांस|फ्रांसीसी]] विद्वान 'जू वो डुब्रिल' के मत के आधार पर यह उपकल्पना ग़लत कही जाती है।
*अब [[फ्रांस|फ्रांसीसी]] विद्वान् 'जू वो डुब्रिल' के मत के आधार पर यह उपकल्पना ग़लत कही जाती है।
*फ़्रांसीसी विद्वान का मत है कि, [[समुद्रगुप्त]] वास्तव में दक्षिण के केवल पूर्वी समुद्रतट तथा [[मध्य प्रदेश]] के पूर्वी भाग तक ही पहुँचा था।
*फ़्रांसीसी विद्वान् का मत है कि, [[समुद्रगुप्त]] वास्तव में दक्षिण के केवल पूर्वी समुद्रतट तथा [[मध्य प्रदेश]] के पूर्वी भाग तक ही पहुँचा था।
*मालाबार तथा [[कोयम्बटूर]] के ज़िले तथा [[खानदेश]] और [[महाराष्ट्र]] के प्रांत उसकी दिग्विजय-यात्रा के मार्ग के बाहर थे।
*मालाबार तथा [[कोयम्बटूर]] के ज़िले तथा [[खानदेश]] और [[महाराष्ट्र]] के प्रांत उसकी दिग्विजय-यात्रा के मार्ग के बाहर थे।



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देवराष्ट्र एक ऐतिहासिक प्रदेश था, जिसकी स्थिति आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम ज़िले में निर्धारित की जाती है। यहाँ के राजा कुबेर को सम्राट समुद्रगुप्त (लगभग 330 से 375 ई.) ने अपने दक्षिणापथ अभियान में पराजित करने के बाद उसके अपहृत राज्य को उसे लौटा दिया था। इतिहासकार स्मिथ के अनुसार यह राज्य महाराष्ट्र प्रदेश में था, किन्तु नयी खोजों के अनुसार यह भारत के पूर्वी तट पर विजगापाट्टम ज़िले में स्थित बताया गया है।

  • समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में दक्षिणापथ के बारह राज्यों की सूची में देवराष्ट्र का भी नाम है।
  • देवराष्ट्र के राजा का नाम 'कुबेर' (देवराष्ट्रककुबेर) था।
  • पहले विद्वानों का विचार था कि, देवराष्ट्र महाराष्ट्र का ही पर्याय है।
  • समुद्रगुप्त की दिग्विजय में दक्षिण भारत का लगभग पूरा भाग ही सम्मिलित माना गया था।
  • अब फ्रांसीसी विद्वान् 'जू वो डुब्रिल' के मत के आधार पर यह उपकल्पना ग़लत कही जाती है।
  • फ़्रांसीसी विद्वान् का मत है कि, समुद्रगुप्त वास्तव में दक्षिण के केवल पूर्वी समुद्रतट तथा मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग तक ही पहुँचा था।
  • मालाबार तथा कोयम्बटूर के ज़िले तथा खानदेश और महाराष्ट्र के प्रांत उसकी दिग्विजय-यात्रा के मार्ग के बाहर थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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