कर्ष: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:53, 6 September 2017
हिन्दी | आकर्षण, खिंचाव, अपनी ओर खींचना या घसीड़ना, आपस में होने वाला दुर्भाव या तनातनी, मन-मुटाव, रोष, खेत की जोताई रेखा या लकीर खींचना, बहेड़ा, एक पुरानी तौल जो 16 माशे की होती थी। |
-व्याकरण | पुल्लिंग, धातु |
-उदाहरण | यौवन दुर्धर्ष कर्ष-मर्ष से लड़ा।--सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (अनामिका, 14) |
-विशेष | कर्ष एक प्रकार का पुराना सिक्का है जिसे ‘दूण’ भी कहते थे। कर्ष कृ धातु से बना है जिसमें उकेरना, खींचना, लकीर खींचना, निकालना आदि भाव शामिल हैं। कार्षापण नामक स्वर्णमुद्रा के नामकरण में भी कर्ष ही है।[1] |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | उद्वहन, खिंचाई, ढुलाई, प्रवहन, गाटा, जुताई, जोत, नँधाई, कर्ष, कर्षू, कूँड, खूड, जोत रेखा |
संस्कृत | [कृष् (खींचना) +अच् / घञ्] |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | |
संबंधित लेख |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ निष्क से बना तनिष्क [सिक्का-17] (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) शब्दों का सफ़र। अभिगमन तिथि: 9 मार्च, 2011।