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-सर्वोदय
-सर्वोदय
||वह राज्य जो अपने नागरिकों को अधिकतम सामाजिक सुविधाएं प्रदान करता है, कल्याणकारी राज्य कहलाता है। डेविड मार्श अपनी पुस्तक 'द वेलफेयर स्टेट' में कल्याणकारी राज्य की विशेषता बताते हुए कहते है कि ऐसा राज्य अपने नागरिकों को रोजगार, न्यूनतम आय, शिक्षा का  अधिकार तथा अशक्तता की स्थिति में संरक्षण का अधिकार और सामुदायिक आश्रय प्रदान करने का प्रयास करता है।
||वह राज्य जो अपने नागरिकों को अधिकतम सामाजिक सुविधाएं प्रदान करता है, कल्याणकारी राज्य कहलाता है। डेविड मार्श अपनी पुस्तक 'द वेलफेयर स्टेट' में कल्याणकारी राज्य की विशेषता बताते हुए कहते है कि ऐसा राज्य अपने नागरिकों को रोजगार, न्यूनतम आय, शिक्षा का  अधिकार तथा अशक्तता की स्थिति में संरक्षण का अधिकार और सामुदायिक आश्रय प्रदान करने का प्रयास करता है।


{"हमारी राजनीतिक प्रणाली में मंत्री, जो एक उच्च राजनीतिक पद का अध्यक्ष होता है, केवल काठ की गुड़िया के समान है।" यह किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-73,प्रश्न-54
{"हमारी राजनीतिक प्रणाली में मंत्री, जो एक उच्च राजनीतिक पद का अध्यक्ष होता है, केवल काठ की गुड़िया के समान है।" यह किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-73,प्रश्न-54
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+[[राज्यपाल]]
+[[राज्यपाल]]
-मुख्य सचिव
-मुख्य सचिव
||संविधान के अनुच्छेद 154(1) के अनुसार राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी, जिसका प्रयोग वह इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।
||[[संविधान]] के अनुच्छेद 154(1) के अनुसार राज्य की कार्यपालिका शक्ति [[राज्यपाल]] में निहित होगी, जिसका प्रयोग वह इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।




{भारत में निर्वाचन परिणाम की घोषणा के कितने दिन पश्चात एवं उम्मीदवार को अपना निर्वाचन व्यय संबंधित अधिकारी को सौंप देने चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-155,प्रश्न-110
{[[भारत]] में निर्वाचन परिणाम की घोषणा के कितने दिन पश्चात एवं उम्मीदवार को अपना निर्वाचन व्यय संबंधित अधिकारी को सौंप देने चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-155,प्रश्न-110
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-20 दिन
-20 दिन
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-40 दिन
-40 दिन
-50 दिन
-50 दिन
||लोक प्रतिनिधित्व अधीनियम, 1951 की धारा 77 के अनुसार, भारत में निर्वाचन परिणाम की घोषणा के 30 दिन के अंदर उम्मीदवार को स्वयं अथवा अपने प्राधिकृत प्रतिनिधि द्वारा अपना निर्वाचन व्यय संबंधित अधिकारी को सौंप देना चाहिए।
||लोक प्रतिनिधित्व अधीनियम, 1951 की धारा 77 के अनुसार, [[भारत]] में निर्वाचन परिणाम की घोषणा के 30 दिन के अंदर उम्मीदवार को स्वयं अथवा अपने प्राधिकृत प्रतिनिधि द्वारा अपना निर्वाचन व्यय संबंधित अधिकारी को सौंप देना चाहिए।


{"माजवाद से अभिप्राय आय की समानता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-61,प्रश्न-59
{"समाजवाद से अभिप्राय आय की समानता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-61,प्रश्न-59
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-सैलरस
-सैलरस
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-राबर्ट
-राबर्ट
+बर्नार्ड शॉ
+बर्नार्ड शॉ
||समाजवाद से अभिप्राय आय की समानता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।" यह कथन जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का है। जॉर्ज बनार्ड शॉ ब्रिटेन के फेवियन सोसाइटी के प्रमुख विचारक थे। ये समाजवादी (फेबियन) विचारक के साथ-साथ मसहूर लेखक भी थे। 'मैन एण्ड सुपरमैन, तथा पिग्मेलियन इनकी प्रमुख रचनाएं है। इन्हें 1925 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार भी प्रदान किया गया था।
||समाजवाद से अभिप्राय आय की समानता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।" यह कथन जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का है। जॉर्ज बनार्ड शॉ ब्रिटेन के फेवियन सोसाइटी के प्रमुख विचारक थे। ये समाजवादी (फेबियन) विचारक के साथ-साथ मशहूर लेखक भी थे। 'मैन एण्ड सुपरमैन, तथा पिग्मेलियन इनकी प्रमुख रचनाएं है। इन्हें [[1925]] में [[साहित्य]] के क्षेत्र में [[नोबेल पुरस्कार]] भी प्रदान किया गया था।


{"मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व के लबादे में नौकरशाही पनपती है।" यह कथन है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-76,प्रश्न-75
{"मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व के लबादे में नौकरशाही पनपती है।" यह कथन है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-76,प्रश्न-75
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+रैम्ये म्योर का
+रैम्जे म्योर का
-हरमन फाइनर का
-हरमन फाइनर का
-मैक्स वेबर का
-मैक्स वेबर का
-लास्की का
-लास्की का
||रैम्ये म्योर के अनुसार "हमारी शासन प्रणाली में नौकरशाही की शाक्ति बहुत ज्यादा है चाहे वह प्रशासन हो, विधायन हो या वित्त हो। वह मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व के लबादे में फ्रेंकेन्सटीन के दैत्य की भांति पनपी और विकसित हुई है और अब वह अपने पैदा करने वाले को ही खा जाना चाहती है"।
||रैम्जे म्योर के अनुसार "हमारी शासन प्रणाली में नौकरशाही की शाक्ति बहुत ज्यादा है चाहे वह प्रशासन हो, विधायन हो या वित्त हो। वह मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व के लबादे में फ्रेंकेन्सटीन के दैत्य की भांति पनपी और विकसित हुई है और अब वह अपने पैदा करने वाले को ही खा जाना चाहती है"।


{"शक्ति बंदूक की नली से निकलती है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-56,प्रश्न-33
{"शक्ति बंदूक की नली से निकलती है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-56,प्रश्न-33
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-तिलक
-तिलक
-लेनिन
-लेनिन
-भगत सिंह
-[[भगत सिंह]]
+माओत्से तुंग
+माओत्से तुंग
||"शक्ति बंदूक की नली से निकलती है।" यह कथन मओत्से तुंग का है। माओत्से-तुंग को मार्क्सवादी को यूरोपीय से एशियाई रूप देने के लिए जाना जाता है।
||"शक्ति बंदूक की नली से निकलती है।" यह कथन मओत्से तुंग का है। माओत्से-तुंग को मार्क्सवाद को यूरोपीय से एशियाई रूप देने के लिए जाना जाता है।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
'''अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य'''
.माओ ने 'लंबी छलांग' (1958-1960), 'सैकड़ों फूलों का अभियान' (1957) और 'महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांन्ति' (1966-1967) जैसे क्रांन्तिकारी प्रयोग किए।
.माओ ने 'लंबी छलांग' ([[1958]]-[[1960]]), 'सैकड़ों फूलों का अभियान' ([[1957]]) और 'महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांन्ति' (1966-1967) जैसे क्रांन्तिकारी प्रयोग किए।
.माओ की प्रमुख रचनाएं क्रमश: 'ऑन कंट्राडिक्शन', 'न्यू डेमीक्रेसी, 'ऑन कोलिजन गवर्नमेंट', 'पीपुल्स डेमोक्रेटिक डिक्टेटरशिप' हैं।
.माओ की प्रमुख रचनाएं क्रमश: 'ऑन कंट्राडिक्शन', 'न्यू डेमीक्रेसी, 'ऑन कोलिजन गवर्नमेंट', 'पीपुल्स डेमोक्रेटिक डिक्टेटरशिप' हैं।
.माओ द्वारा दिए गए सिद्धांतों में प्रमुख अंतर्विरोध का नियम, 'समाजवादी पुनर्निर्माण की प्रक्रिया', 'सांस्कृतिक क्रांति की अवधारणा', 'असंगति का सिद्धांत', 'शक्ति का सिद्धांत', 'लोक युद्ध का सिद्धांत,' 'सशस्त्र क्रांन्ति का सिद्धांत', 'जनवादी लोकतंत्र का सिद्धांत' आदि हैं।
.माओ द्वारा दिए गए सिद्धांतों में प्रमुख अंतर्विरोध का नियम, 'समाजवादी पुनर्निर्माण की प्रक्रिया', 'सांस्कृतिक क्रांति की अवधारणा', 'असंगति का सिद्धांत', 'शक्ति का सिद्धांत', 'लोक युद्ध का सिद्धांत,' 'सशस्त्र क्रांन्ति का सिद्धांत', 'जनवादी लोकतंत्र का सिद्धांत' आदि हैं।


{माओ ने चीन में मार्क्सवाद की स्थापना करने के लिए किस विचारक के विचारों को उखाड़ फेंका? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-59,प्रश्न-45
{माओ ने [[चीन]] में मार्क्सवाद की स्थापना करने के लिए किस विचारक के विचारों को उखाड़ फेंका? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-59,प्रश्न-45
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-लेनिन
-लेनिन
+कन्फ्यूशियस
+कन्फ्यूशियस
-स्टालिन
-स्टालिन
-खुश्चेय
-खुश्चेव
||माओ ने चीन में मार्क्सवादी की स्थापना करने के लिए चीन के छठीं सदी ई. पू. के समाज सुधारक 'कन्फ्यूशियस' के चीनी समाज में व्याप्त विचारों व मान्यताओं को उखाड़ फेंका। माओ ने 'सांस्कृतिक क्रांति' के अपने आंदोलन के दौरान वर्ष 1973 में 'क्रिटिसाइज लिन बियाओ, क्रिटिसाइज कन्फ्यूशियम' (Critisize Lain Biao, Critisize Confucius) नामक आंदोलन चलाया जो वर्ष 1976 तक चला। इस आंदोलन में माओ ने चीनी इतिहास व संस्कृति की माओवादी व्याख्याएं की।
||माओ ने [[चीन]] में मार्क्सवाद की स्थापना करने के लिए चीन के छठीं सदी ई. पू. के समाज सुधारक 'कन्फ्यूशियस' के चीनी समाज में व्याप्त विचारों व मान्यताओं को उखाड़ फेंका। माओ ने 'सांस्कृतिक क्रांति' के अपने आंदोलन के दौरान वर्ष [[1973]] में 'क्रिटिसाइज लिन बियाओ, क्रिटिसाइज कन्फ्यूशियम' (Critisize Lain Biao, Critisize Confucius) नामक आंदोलन चलाया जो वर्ष [[1976]] तक चला। इस आंदोलन में माओ ने चीनी इतिहास व संस्कृति की माओवादी व्याख्याएं की।
 
 
{निम्नलिखित विचारकों में से कौन एक राज्य के यांत्रिक स्वरूप की अवधारणा का समर्थक नहीं है। (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-12,प्रश्न-47
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-हॉब्स
-मिल
-बेंथम
+ग्रीन
||ग्रीन एक आदर्शवादी विचारक है जो राज्य को एक सर्वोच्च नैतिक संस्था मानता है जबकि बेंथम, मिल, हॉब्स राज्य मानव-निर्मित यंत्र माना है, जिसका निर्माण व संचालन मानव ने अपने कल्याण के लिए किया है।
 
 
{"पचास वर्षों के मतभेद एवं एक दशक की अनिश्चितता के बाद दो पुराने शत्रु अब साझेदार होता हैं। यह किसने कहा था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-73,प्रश्न-55
|type="()"}
-बिल क्लिंटन
-लॉर्ड रॉबर्टसन
+जॉर्ज डब्ल्यू. बुश
-मिखाइल गोर्बाचोव
||उपरोक्त कथन जॉर्ज डब्ल्यू. बुश का है जिसे उन्होंने वर्ष [[2002]] में नाटो संगठन के रोम ([[इटली]]) सम्मेलन में कहा था। इस सम्मेलन में एक नाटो रूस संयुक्त परिषद का निर्माण किया गया जो रूस एवं नाटो के मध्य संयुक्त परियोजनाओं तथा मुद्दों को क्रियाविंत करने का प्रमुख राजनायिक उपकरण है। इस सम्मेलन में जॉर्ज बुश ने कहा था कि "पचास वर्षों के मतभेद एवं एक दशक की अनिश्चितता के बाद दी पुराने शत्रु अब साझेदार बन गए हैं।" ज्ञातव्य है कि नाटो एक सैन्य गठबंधन है जिसकी स्थापना [[1949]] में हुई थी।
 
{स्वतंत्रता का अधिकार एक- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-87,प्रश्न-22
|type="()"}
-नैतिक अधिकार है
-राजनीतिक अधिकार है
+नागरिक अधिकार है
-प्राकृतिक अधिकार है
||स्वतंत्रता का अधिकार एक 'नागरिक अधिकार' (Civil Rights) है। स्वतंत्रता के अधिकार के बिना व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं समाज का विकास संभव नहीं है। लास्की के अनुसार, "स्वतंत्रता से तात्पर्य एवं समाज का विकास संभव नहीं है। लास्की के अनुसार, "स्वतंत्रता से तात्पर्य उस शक्ति से होता है जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी इच्छानुसार अपने तरीके से बिना किसी बाहरी  बंधन के अपनी जीवन का विकास कर सके।" नागरिक अधिकारों में स्वतंत्रता के साथ-साथ जीवन का अधिकार, राजनीतिक समानता का अधिकार, समाजिक समानता का अधिकार एवं आर्थिक समानता का अधिकार समाहित है।
 
{बहुलवाद का समर्थन निम्न में से किस विचारक ने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-65
|type="()"}
-प्लेटो
+लास्की
-मार्क्स
-गार्नर
||संप्रभुता की अद्वैतवादिता की धारणा के विरुद्ध जिस विचारधारा का उदय हुआ, उसे हम 'राजनीतिक बहुलवाद' या 'बहुसमुदायवाद' कहते हैं। बहुलवाद का मत है कि सत्ता का केवल एक ही स्त्रोत नहीं है, यह विभिन्न क्षेत्रों में विभाजनीय है और इसे विभाजित किया जाना चाहिए। गियर्क, मैटलैण्ड, फिगिस, डिग्विट, क्रैब, जी.डी.एच. कोल तथा हेराल्ड लास्की बहुलवाद के प्रमुख विचारक हैं।
 
{[[भारत]] के [[उपराष्ट्रपति]] का कार्यकाल कितने वर्ष का है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-145,प्रश्न-52
|type="()"}
-3
-4
+5
-6
||[[संविधान]] के अनुच्छेद 63 के अनुसार, भारत का एक [[उपराष्ट्रपति]] होगा। संविधान में उपराष्ट्रपति पद के लिए किसी विशेष कार्य का उपबंध नहीं है। उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है तथा राज्य सभा के सभापति के देय वेतन और भत्ते का हकदार होता है। उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण करने की तारीख से 5 वर्ष तक पद धारण करेगा (अनुच्छेद-67)।
 
{राष्ट्रीय पार्टी की श्रेणी प्राप्त करने के लिए किसी भारतीय राजनीतिक पार्टी को कम-से-कम कितने राज्य से मतों के आधार पर मान्यता प्राप्त करना आवश्यक है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-155,प्रश्न-111
|type="()"}
-तीन
+चार
-पांच
-छ:
||किसी राजनीतिक पार्टी  को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में [[निर्वाचन आयोग]] द्वारा तभी स्वीकृत प्रदान की जाती है, जबकि निम्नलिखित तीन शर्तों में से कोई एक पूरी होती हो-
(i)उस राजनीतिक पार्टी द्वारा खड़े किए गए प्रत्याशियों को किन्हीं चार या अधिक राज्यों में गत [[लोक सभा]] चुनावों या उन राज्यों के [[विधान सभा]] चुनावों में पड़े कुल वैध मतों का कम से कम 6 प्रतिशत मत और साथ ही कम से कम चार लोक सभा सीटें प्राप्त हों।
(i)उस पार्टी को लोक सभा की कुल सदस्य संख्या की कम से कम 2 प्रतिशत सीटें प्राप्त हों तथा ये सदस्य कम से कम 3 राज्यों से चुने गए हों।
(iii)वह पार्टी कम से कम 4 राज्यों में राज्य स्तरीय दल की मान्यता प्राप्त हो।
 
 
{[[1835]] के  अपने भाषण में किसने 'समाजवाद' शब्द का बार-बार प्रयोग किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-61,प्रश्न-60
|type="()"}
+रॉबर्ट ओवन
-फोरियर
-बर्नार्ड शॉ
-मार्क्स
||वर्तमान में समाजवाद सबसे लोकप्रिय शब्द है। प्रारंभ में इस शब्द का प्रयोग व्यक्तिवादी और उदारवादी विचारों के विरुद्ध भावों को प्रदर्शित करने के लिए किया गया। [[1875]] में राबर्ट ओवन की अध्यक्षता में स्थापित 'सब राष्ट्रों के सब वर्गों के समुदाय' में समाजवाद और समाजवादी शब्द का बहुधा प्रयोग किया गया। ज्ञातव्य है कि राबर्ट ओवन ब्रिटिश समाजवाद के संस्थापकों में प्रमुख है जिसने  प्रथम बार समाजवाद शब्द का प्रयोग किया। ओवन के विचार उनकी पुस्तकों 'A New View of Sociey' तथा 'The Book of the New Moral Warld' में देखें जा सकते हैं।
 
 
{"तटस्थता राज्यों की वह अवस्था है जिसमें युद्ध के समय वे इस संघर्ष में भाग नहीं लेते और दोनों युद्धरत पक्षों से अपना शांतिपूर्ण संपर्क बनाए रखते हैं।" यह कथन निम्नांकित में से किसका है-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-76,प्रश्न-76
|type="()"}
-लास्की
-प्लेटो
-अरस्तू
+लॉरेंस
||लॉरेंस के अनुसार, "तटस्थता राज्यों की वह अवस्था है जिसमें युद्ध के समय वे इस संघर्ष में भाग नहीं लेते और दोनों युद्धरत पक्षों से अपना शांतिपूर्ण संपर्क बनाए रखते हैं"। अंतर्राष्ट्रीय कानून में तटस्थता (Neutrality) एक ऐसी अवधारणा है जिसका संबंध केवल युद्ध की अवस्था से है।
{निम्न में से किस लेखक के अनुसार शक्ति बंदूक की नली से निकलती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-56,प्रश्न-34
|type="()"}
-लेनिन
-ओपेनहीमर
-स्टालिन
+माओत्से तुंग
 
{"साम्यवादियों की कोई पितृभूमि नहीं होती है।" कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-59,प्रश्न-46
|type="()"}
-कार्ल मार्क्स
+लेनिन
-स्टालिन
-माओत्सेतुंग
||"साम्यवादियों की कोई पितृभूमि नहीं होती है।" यह कथन रूसी क्रांति के जनक ब्लादिमीर लेनिन का है। लेनिन ने यह कथन कार्ल मार्क्स के ऊपर लिखे एक निबंध में कहा था। इसके पहले कार्ल मार्क्स ने भी अपनी प्रसिद्ध रचना "कम्युनिस्ट मैनीफेस्टो" (साम्यवादी पार्टी का घोषणापत्र) में लिखा है कि 'मजदूरों का कोई देश नहीं होता" (Working men have no country)|
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.लेनिन का कथन है कि "राजनीतिक स्वतंत्रता की कोई भी मात्रा भूखी जनता को संतुष्ट नहीं कर सकती"।
.लेनिन ने कहा था कि "क्रांन्ति बिना क्रांतिकारी परिस्थितियों के संभव नहीं और साथ ही साथ सभी क्रांतिकारी परिस्थितियों से क्रांन्ति नहीं होती।"
मार्क्स के कुछ कथन निम्नलिखित हैं-
.मार्क्स का कथन है, "इतिहास खुद को दोहराता है, पहले एक त्रासदी की तरह, दूसरे एक मजाक की तरह। तथा
."दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ, तुम्हारे पास खोने को कुछ नहीं है, सिवाय अपना जंजीरों के।"
.पिछले सभी समाजों का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास रहा है।
</quiz>
</quiz>
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Revision as of 12:30, 1 November 2017

1 एक राज्य जो अपने नागरिकों को अधिकतम सामाजिक सुविधाएं प्रदान करे, कहलाता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-12,प्रश्न-46

समाजवादी राज्य
पुलिस राज्य
कल्याणकारी राज्य
सर्वोदय

2 "हमारी राजनीतिक प्रणाली में मंत्री, जो एक उच्च राजनीतिक पद का अध्यक्ष होता है, केवल काठ की गुड़िया के समान है।" यह किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-73,प्रश्न-54

जार्ज बर्नार्ड शॉ
मुनरो
मोरीजन
रैम्जे म्योर

3 हेनरी डेविड थोरो का विश्वास था कि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-86,प्रश्न-21

राज्य की आज्ञा को सदैव मानना चाहिए
राज्य के आदेश में संप्रभुता और नैतिकता का समावेश है
अंतरात्मा का आदेश राज्य के आदेश से ऊपर है
उपर्युक्त में से कोई नहीं

4 यथार्थवादी विचार की शास्त्रीय पुस्तक मानी जाने वाली कृति, 'पालिटिक्स एमंग नेशन्स' के लेखक-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-64

हेन्स मार्गेन्थाऊ हैं
हेनरी किसिंजर हैं
क्विन्से राइट हैं
मार्टिन राइट हैं

5 हमारे देश में किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रधान होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-145,प्रश्न-51

मुख्यमंत्री
कैबिनेट मंत्री
राज्यपाल
मुख्य सचिव

6 भारत में निर्वाचन परिणाम की घोषणा के कितने दिन पश्चात एवं उम्मीदवार को अपना निर्वाचन व्यय संबंधित अधिकारी को सौंप देने चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-155,प्रश्न-110

20 दिन
30 दिन
40 दिन
50 दिन

7 "समाजवाद से अभिप्राय आय की समानता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-61,प्रश्न-59

सैलरस
रसेल
राबर्ट
बर्नार्ड शॉ

8 "मंत्रिमंडलीय उत्तरदायित्व के लबादे में नौकरशाही पनपती है।" यह कथन है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-76,प्रश्न-75

रैम्जे म्योर का
हरमन फाइनर का
मैक्स वेबर का
लास्की का

9 "शक्ति बंदूक की नली से निकलती है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-56,प्रश्न-33

तिलक
लेनिन
भगत सिंह
माओत्से तुंग

10 माओ ने चीन में मार्क्सवाद की स्थापना करने के लिए किस विचारक के विचारों को उखाड़ फेंका? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-59,प्रश्न-45

लेनिन
कन्फ्यूशियस
स्टालिन
खुश्चेव

11 निम्नलिखित विचारकों में से कौन एक राज्य के यांत्रिक स्वरूप की अवधारणा का समर्थक नहीं है। (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-12,प्रश्न-47

हॉब्स
मिल
बेंथम
ग्रीन

12 "पचास वर्षों के मतभेद एवं एक दशक की अनिश्चितता के बाद दो पुराने शत्रु अब साझेदार होता हैं। यह किसने कहा था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-73,प्रश्न-55

बिल क्लिंटन
लॉर्ड रॉबर्टसन
जॉर्ज डब्ल्यू. बुश
मिखाइल गोर्बाचोव

13 स्वतंत्रता का अधिकार एक- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-87,प्रश्न-22

नैतिक अधिकार है
राजनीतिक अधिकार है
नागरिक अधिकार है
प्राकृतिक अधिकार है

14 बहुलवाद का समर्थन निम्न में से किस विचारक ने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-65

प्लेटो
लास्की
मार्क्स
गार्नर

15 भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यकाल कितने वर्ष का है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-145,प्रश्न-52

3
4
5
6

16 राष्ट्रीय पार्टी की श्रेणी प्राप्त करने के लिए किसी भारतीय राजनीतिक पार्टी को कम-से-कम कितने राज्य से मतों के आधार पर मान्यता प्राप्त करना आवश्यक है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-155,प्रश्न-111

तीन
चार
पांच
छ:

17 1835 के अपने भाषण में किसने 'समाजवाद' शब्द का बार-बार प्रयोग किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-61,प्रश्न-60

रॉबर्ट ओवन
फोरियर
बर्नार्ड शॉ
मार्क्स

18 "तटस्थता राज्यों की वह अवस्था है जिसमें युद्ध के समय वे इस संघर्ष में भाग नहीं लेते और दोनों युद्धरत पक्षों से अपना शांतिपूर्ण संपर्क बनाए रखते हैं।" यह कथन निम्नांकित में से किसका है-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-76,प्रश्न-76

लास्की
प्लेटो
अरस्तू
लॉरेंस

19 निम्न में से किस लेखक के अनुसार शक्ति बंदूक की नली से निकलती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-56,प्रश्न-34

लेनिन
ओपेनहीमर
स्टालिन
माओत्से तुंग

20 "साम्यवादियों की कोई पितृभूमि नहीं होती है।" कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-59,प्रश्न-46

कार्ल मार्क्स
लेनिन
स्टालिन
माओत्सेतुंग