प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions
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{प्रागैतिहासिक चित्र क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-5,प्रश्न-7 | |||
|type="()"} | |||
-ग्रंथ चित्र | |||
+गुहा चित्र | |||
-काग़ज़ पर बने चित्र | |||
-वस्त्र पर बने चित्र | |||
||प्रागैतिहासिक चित्र गुहा चित्र है। [[पाषाण युग]] के मनुष्यों ने अपने चारो ओर के वातावरण की स्मृति को बनाए रखने के लिए तथा अपनी विजय का इतिहास व्यक्त करने की भावना के वशीभूत होकर इन चित्राकृतियों का निर्माण किया। | |||
{[[प्रागैतिहासिक काल]] के चित्र कहाँ स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-17,प्रश्न-7 | |||
|type="()"} | |||
+अल्तामिरा | |||
-बर्लिन | |||
-हॉलैंड | |||
-रोमीरा | |||
||प्रागैतिहासिक मानव द्वारा अंकित सर्वप्रथम चित्र उत्तरी स्पेन में अल्तामिरा गुफ़ा की गीली दीवारों पर हाथ की अंगुलियों द्वारा बनाई गई फीते के समान टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ हैं। यह गुफ़ा सेंतेंदर से 31 किमी. दूर उत्तरी स्पेन में स्थित है। यहाँ की गुफ़ाएँ सर्वोत्कृष्ट शिल्प का उदाहरण हैं। गुफ़ा की छत कहीं-कहीं 6-7 फीट ऊँची है, अत: छत पर अंकित चित्रों को देखने हेतु भूमि पर लेटना ठीक रहता है। यही कारण है कि इन्हें सर्वप्रथम 'मारिया सातुओला' नामक एक पांच वर्षीय बालिका ने देखी थी। | |||
{जयपुरी फ्रेस्को चित्रण निम्न में से वर्तमान में किस केंद्र पर सिखाया जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-37,प्रश्न-2 | |||
|type="()"} | |||
+वनस्थली | |||
-[[मद्रास]] | |||
-[[बंबई]] | |||
-[[वाराणसी]] | |||
||जयपुरी फ्रेस्को कला चित्रण वर्तमान में वनस्थली केंद्र पर सिखाया जाता है। वनस्थली विश्वविद्यालय महिलाओं की शिक्षा के लिए एक बेहतरीन विश्वविद्यालय है। | |||
{[[गोथिक कला]] के विकास में प्रमुख कारण कौन-से थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-11 | |||
|type="()"} | |||
-नगरीकरण, व्यापारिक विकास एवं शक्ति-संपन्न राजसत्ता | |||
-जनमानस की आकांक्षाएँ, नगरीकरण, धर्म गुरुओं का प्रभाव | |||
+कलाकारों के समूह, [[धर्म]], नवीन चेतना | |||
-नवीन कला धाराएँ, नवीन विचार, धर्म | |||
||[[गोथिक कला]] के विकास में प्रमुख कारण कलाकारों के समूह, [[धर्म]] तथा नवीन चेतना था। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) गोथिक शैली का आरंभ 12 वीं शती में [[फ़्राँस]] में हुआ। (2) सामाज के प्रत्येक व्यक्ति ने [[गोथिक कला]] में सहयोग दिया तथा सुंदर से सुंदर शैली के चर्चों (पूजा घरों) का निर्माण हुआ। | |||
{महान कला प्रेमी राजा उम्मेद सिंह (1771-1820 ई.) के समय में किस शैली में कार्य हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-47,प्रश्न-7 | |||
|type="()"} | |||
-[[बूंदी चित्रकला|बूंदी शैली]] | |||
+कोटा शैली | |||
-[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]] | |||
-[[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल शैली]] | |||
||राजा उम्मेद सिंह ने कोटा चित्रकला शैली को मौलिकता प्रदान की। राजा उम्मेद सिंह (1771-1820 ई.), के काल में कोटा शैली की बड़ी उन्नति हुई। राजा उम्मेद सिंह के शिकार के शौक के चलते चित्रकारों ने शिकार के चित्रण को काफी महत्त्व दिया। | |||
{'[[आइना-ए-अकबरी]]' का मुख्य [[चित्रकार]] कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-56,प्रश्न-7 | |||
|type="()"} | |||
-केशू दास | |||
+[[अबुल फ़ज़ल]] | |||
-समशाद | |||
-मोलाराम | |||
||'आइने अकबरी' [[अकबर]] के दरबारी [[अबुल फ़ज़ल]] द्वारा रचित (चित्रित) '[[अकबरनामा]]' का ही एक भाग है। अकबरनामा तीन भागों में है जिसमें से तीसरे भाग को '[[आइना-ए-अकबरी]]' कहते हैं। आइने अकबरी के भी अपने आप में पांच भाग हैं। [[मुग़ल साम्राज्य]] का भौगोलिक सर्वेक्षण तथा सभी प्रांतों विशेष तौर पर [[बंगाल]] के बारे में आंकड़ों पर आधारित विवरण प्रदान करता है। इस पुस्तक में शासन प्रणाली के नियमों का वर्णन किया गया है तथा इसमें अकबर द्वारा सभी सरकारी विभागों पर नियंत्रण के बारे में जानकरी मिलती है। | |||
{[[पहाड़ी चित्रकला]] मुख्यत: किस क्षेत्र की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-71,प्रश्न-7 | |||
|type="()"} | |||
-[[राजस्थान]] की पहाड़ियाँ | |||
-[[कश्मीर]] की पहाड़ियाँ | |||
+[[पंजाब]] की पहाड़ियाँ | |||
-[[उत्तर प्रदेश]] की पहड़ियाँ | |||
||पहाड़ी ([[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा]]) चित्रकला को डॉ. आर. ए. अग्रवाल ने मुख्यत: चार क्षेत्रों में विभक्त किया है- (1) [[कश्मीर|कश्मीर राज्य]] ([[सिंधु नदी|सिंधु]] तथा [[चिनाव नदी|चिनाव]] के बीच का क्षेत्र), (2) [[जम्मू]] (चिनाव एवं [[रावी नदी|रावी]] के मध्य के क्षेत्र), (3) जाति (रावी एवं [[सतलुज नदी|सतलुज]] के मध्य का क्षेत्र)-इसी में [[कांगड़ा]], [[गुलेर]], चम्बा, [[मंडी ज़िला|मंडी]], [[नूरपुर]] व [[कुल्लू]] रियासतें थीं, (4) विलासपुर, टिहरी व [[गढ़वाल|गढ़वाल राज्य]] (सतलज के दक्षिण-पूर्व तथा [[गंगा]]-[[जमुना]] के मध्य)। | |||
{[[राजा रवि वर्मा]] किस लिए जाने जाते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-90,प्रश्न-7 | |||
|type="()"} | |||
-वॉश पेंटिंग | |||
-टेम्परा पेंटिंग | |||
-जल रंग पेंटिंग | |||
+तैल रंग पेंटिंग | |||
||[[राजा रवि वर्मा]] तैल रंग की पेंटिंग के लिए जाने जाते थे। इन्होंने भारतीय जीवन और परंपरा को इस नई [[कला]] के द्वारा प्रतिष्ठा दिलाई। इस प्रकार तैल रंगों का आधुनिक चित्रकला में प्रयोग करने का श्रेय सर्वप्रथम राजा रवि वर्मा को जाता है। | |||
{सेंट बसील का गिर्जा कहाँ है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-102,प्रश्न-8 | |||
|type="()"} | |||
-[[रोम]] | |||
+मॉस्को | |||
-कांस्टेन्टीनोपल | |||
-वियना | |||
||सेंट बसील का गिर्जा रेड स्क्वायर, मॉस्को ([[रूस]]) में स्थित है। | |||
{यूरोपीय-चित्रकला में नवशास्त्रीयतावाद की प्रकृति को किसने बढ़ावा दिया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-114,प्रश्न-1 | |||
|type="()"} | |||
-विलियम हंट | |||
-टर्नर | |||
+डेविड | |||
-फ्रांस हाल्स | |||
||जैक्स लुईस डेविड (Jacques Louis David, 1748-1825) नव-शास्त्रीयता-वादी (Neoclassical) शैली का अपने युग का श्रेष्ठ कलाकार था। | |||
{प्रागैतिहासिक चित्रों के विषय क्या हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-6,प्रश्न-8 | |||
|type="()"} | |||
-पशु | |||
-मानव | |||
-पक्षी | |||
+पशु-मानव-पक्षी | |||
||प्रागैतिहासिक काल के चित्रों का विषय आखेट, युद्ध करते हुए तथा विजय के अवसर पर नृत्य करते हुए चित्रण करना ही तत्कालीन मानव का मुख्य रुचिकर विषय रहा है। स्त्री-पुरुष, पशु-पक्षी आदि के चित्र भी आदियुगीन मानव की विषय वस्तु रहे हैं। इस काल में जादू-टोने के रूप में अमूर्त भावन को भी विकसित किया गया। | |||
{[[स्पेन]] की किस गुफ़ा में अंगुलियों से बनाई गई रेखाएँ हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-17,प्रश्न-8 | |||
|type="()"} | |||
-लास्को | |||
-त्राय फ्रेरर्स | |||
+अल्तामिरा | |||
-ल कम्बारेली | |||
||प्रागैतिहासिक मानव द्वारा अंकित सर्वप्रथम चित्र उत्तरी स्पेन में अल्तामिरा गुफ़ा की गीली दीवारों पर हाथ की अंगुलियों द्वारा बनाई गई फीते के समान टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ हैं। यह गुफ़ा सेंतेंदर से 31 किमी. दूर उत्तरी स्पेन में स्थित है। यहाँ की गुफ़ाएँ सर्वोत्कृष्ट शिल्प का उदाहरण हैं। गुफ़ा की छत कहीं-कहीं 6-7 फीट ऊँची है, अत: छत पर अंकित चित्रों को देखने हेतु भूमि पर लेटना ठीक रहता है। यही कारण है कि इन्हें सर्वप्रथम 'मारिया सातुओला' नामक एक पांच वर्षीय बालिका ने देखी थी। | |||
{जयपुरी फ्रेस्को में निहित दीप्त रूप (चमचमाती सतह) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प सही है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-37,प्रश्न-3 | |||
|type="()"} | |||
-क्योंकि ये चमकदार पत्थर की सरह पर बनाए जाते हैं। | |||
-क्योंकि इन पर वार्निश की जाती है। | |||
+क्योंकि ये अकीक पत्थर से घोटाई करके चमकाए जाते हैं। | |||
-क्योंकि ये धूप में चमकते हैं। | |||
||जयपुरी फ्रेस्को में निहित दीप्त रूप के लिए उन्हें अकीक पत्थर से घोटाई करके चमकाया जाता था। हालांकि जयपुरी फ्रेस्को मार्बल तथा चमकदार टाइल्स पर भी बनाए जाते है, जिन्हें घोटाई की जरूरत नहीं होती थी। | |||
{किस काल में आंतरिक एवं ब्राह्य सज्जा एक साथ करने का विचार किया गया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-13 | |||
|type="()"} | |||
-[[आधुनिक काल]] | |||
-रोमनस्क काल | |||
-बाइजेन्टाइन काल | |||
+गोथिक काल | |||
||गोथिक काल में आंतरिक एवं बाह्य सज्जा एक साथ करने का विचार किया गया। इस काल के भवन प्राय: लंबे-पतले खंभों और नुकीले मेहराबों से बने होते थे। खंभों पर मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं। | |||
{'कोटा शैली' के उत्कृष्ट भित्ति-चित्र कहाँ देखने को मिलते हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-8 | |||
|type="()"} | |||
+झाला जी की हवेली | |||
-[[बगोर की हवेली उदयपुर|बगोर की हवेली]] | |||
-[[सिटी पैलेस जयपुर|सिटी पैलेस]] | |||
-माधव निवास | |||
||'कोटा शैली' के उत्कृष्ट भित्ति-चित्र' झाला जी की हवेली' में देखने को मिलते हैं। इसके अतिरिक्त कोटा शैली के भित्ति-चित्र 'राजमहल' तथा 'देवता जी' की हवेली में भी देखने को मिलते हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) [[राजस्थान चित्रकला|राजस्थान शैली]] के लघु चित्र कागज की मोटी तह (वसली) पर बनाए जाते थे। (2) कोटा शैली के पुष्टि मार्ग कथा प्रसंगों को अधिकांश 'रघुनाथ' तथा गोविंद नामक कलाकारों ने चिन्हित किया। | |||
Revision as of 12:06, 21 January 2018
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