उपस्थान: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=उपस्थान|लेख का नाम=उपस...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
Line 13: Line 13:
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=कौटिलीय अर्थशास्त्रम् |लेखक=वाचस्पति गैरोला|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=चौखम्बा विधाभवन, चौक (बैंक ऑफ़ बड़ौदा भवन के पीछे , वाराणसी 221001, उत्तर प्रदेश|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=158|url=}}
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=कौटिलीय अर्थशास्त्रम् |लेखक=वाचस्पति गैरोला|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=चौखम्बा विधाभवन, चौक (बैंक ऑफ़ बड़ौदा भवन के पीछे , वाराणसी 221001, उत्तर प्रदेश|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=158|url=}}
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{कर व्यवस्था}}
[[Category:कर व्यवस्था]][[Category:अर्थव्यवस्था]]
[[Category:कर व्यवस्था]][[Category:अर्थव्यवस्था]][[Category:इतिहास कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 12:39, 26 April 2018

चित्र:Disamb2.jpg उपस्थान एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- उपस्थान (बहुविकल्पी)

उपस्थान प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था में प्रचलित एक शब्द था, जिसका कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में उल्लेख किया है।

  • कौटिल्य के अनुसार बाट-तराजू कई पसंघा से, तौलने के बाद मुट्ठी-दो-मुट्ठी दिया हुआ अधिक अन्न, तौली या गिनी हुई वस्तु में कोई दूसरी ही वस्तु मिला देना, छीजन के रूप में ली हुई वस्तु, पिछ्ले वर्ष का बकाया और चतुराई से उपार्जित धन उपस्थान कहलाता है।
  • प्राचीन भारतीय अर्थव्यवस्था में निम्नांकित कर भी प्रचलित थे-
  1. सीता कर
  2. राष्ट्र कर
  3. सिंहनिका कर


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


कौटिलीय अर्थशास्त्रम् |लेखक: वाचस्पति गैरोला |प्रकाशक: चौखम्बा विधाभवन, चौक (बैंक ऑफ़ बड़ौदा भवन के पीछे , वाराणसी 221001, उत्तर प्रदेश |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 158 |

संबंधित लेख