फ़ादर एंथोनी मोंसेरात: Difference between revisions

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*'मोंसेरात' और उसके सहयोगी 'एकावीना', इन दोनों का अकबर ने भारी स्वागत किया था।
*'मोंसेरात' और उसके सहयोगी 'एकावीना', इन दोनों का अकबर ने भारी स्वागत किया था।
*अकबर ने अपने दूसरे पुत्र [[शहज़ादा मुराद|मुराद]] को पुर्तग़ाली भाषा सीखने के लिए साधु मोंसेरात के सुपुर्द कर दिया था।
*अकबर ने अपने दूसरे पुत्र [[शहज़ादा मुराद|मुराद]] को पुर्तग़ाली भाषा सीखने के लिए साधु मोंसेरात के सुपुर्द कर दिया था।
*मोंसेरात कई वर्ष अकबर के दरबार में रहा, और उसने लैटिन भाषा में जेशूइट मिशन का पूरा वृत्तान्त लिखा, जिसका वह सदस्य था।
*मोंसेरात कई [[वर्ष]] अकबर के दरबार में रहा, और उसने लैटिन भाषा में जेशूइट मिशन का पूरा वृत्तान्त लिखा, जिसका वह सदस्य था।
*यह विवरण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है, और अकबर के राज्यकाल के बारे में एक समसामयिक स्रोत ग्रन्थ है।
*यह विवरण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है, और अकबर के राज्यकाल के बारे में एक समसामयिक स्रोत ग्रन्थ है।
*मोंसेरात ने अकबर की शक्ल-सूरत, पोशाक, धार्मिक मान्यताओं, शहज़ादों व शहज़ादियों की शिक्षा आदि के बारे में विस्तार से लिखा है।
*मोंसेरात ने अकबर की शक्ल-सूरत, पोशाक, धार्मिक मान्यताओं, शहज़ादों व शहज़ादियों की शिक्षा आदि के बारे में विस्तार से लिखा है।

Revision as of 05:42, 7 January 2020

  • फ़ादर एंथोनी मोंसेरात 1580 ई. के लगभग मुग़ल दरबार में आया था।
  • वह एक जेशुइट साधु था, जिसे गोआ के पुर्तग़ाली अधिकारियों द्वारा मुग़ल दरबार में भेजा गया था।
  • फ़ादर एंथोनी मोंसेरात को ख़ासतौर पर मुग़ल बादशाह अकबर निमंत्रण पर भेजा गया था।
  • 'मोंसेरात' और उसके सहयोगी 'एकावीना', इन दोनों का अकबर ने भारी स्वागत किया था।
  • अकबर ने अपने दूसरे पुत्र मुराद को पुर्तग़ाली भाषा सीखने के लिए साधु मोंसेरात के सुपुर्द कर दिया था।
  • मोंसेरात कई वर्ष अकबर के दरबार में रहा, और उसने लैटिन भाषा में जेशूइट मिशन का पूरा वृत्तान्त लिखा, जिसका वह सदस्य था।
  • यह विवरण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है, और अकबर के राज्यकाल के बारे में एक समसामयिक स्रोत ग्रन्थ है।
  • मोंसेरात ने अकबर की शक्ल-सूरत, पोशाक, धार्मिक मान्यताओं, शहज़ादों व शहज़ादियों की शिक्षा आदि के बारे में विस्तार से लिखा है।
  • वह अकबर के साथ काबुल अभियान पर भी गया था।
  • उसने मुग़लकालीन शासन व्यवस्था, डाक वाहकों, जल घड़ी तथा नवरोज के उत्सव को भी उल्लिखित किया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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