उन्नाव लक्ष्मीनारायण: Difference between revisions
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Latest revision as of 11:17, 8 January 2020
उन्नाव लक्ष्मीनारायण
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पूरा नाम | उन्नाव लक्ष्मीनारायण |
जन्म | 1873 |
जन्म भूमि | गुंटूर ज़िला, आंध्र प्रदेश |
मृत्यु | 1958 |
कर्म भूमि | भारत |
प्रसिद्धि | अधिवक्ता तथा नेता |
नागरिकता | भारतीय |
जेलयात्रा | सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में सज़ा काटी। |
अन्य जानकारी | समाज सुधार के क्षेत्र में उन्नाव लक्ष्मीनारायण ने दूसरों के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया। अपनी पत्नी की सहमति से पांच अनाथ बालिकाओं को आश्रय प्रदान किया और उन्हें अपना कुल नाम भी दिया। |
उन्नाव लक्ष्मीनारायण (जन्म- 1873, आंध्र प्रदेश; मृत्यु- 1958) भारत के जानेमाने अधिवक्ता तथा नेता थे। भूतपूर्व भारतीय राष्ट्रपति वी.वी. गिरि उनके मित्र थे। ग्रामोद्योग, महिला उत्थान, शिक्षा, हरिजन उद्धार जैसे क्षेत्रों में उन्होंने विशेष कार्य किया। समाज सुधार के क्षेत्र में भी उन्होंने दूसरों के सामने कई उदाहरण प्रस्तुत किये।
परिचय
महात्मा गाँधी के आह्वान पर अपनी चलती वकालत को त्याग कर देश सेवा के क्षेत्र में कूदने वाले बैरिस्टर उन्नाव लक्ष्मीनारायण का जन्म आंध्र प्रदेश के गुंटूर ज़िले में सन 1873 ईसवी में हुआ था। उन्होंने इंग्लैंड और आयरलैंड में अध्ययन किया और 1916 में बैरिस्टर बनकर भारत लौटे। विदेशों में अध्ययन के समय उनकी मैत्री वी.वी. गिरि से भी हो गई थी, जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने।[1]
क्रांतिकारी गतिविधियाँ
स्वदेश लौटने पर लक्ष्मीनारायण ने गुंटूर में वकालत आरंभ की, पर कुछ ही समय के बाद गांधीजी के प्रभाव में आकर उन्होंने वकालत छोड़ दी और सत्याग्रह आंदोलन में सम्मिलित हो गए। शीघ्र ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। सविनय अवज्ञा आंदोलन में और भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने जेल की सजा भोगी।
रचनात्मक कार्य
उन्नाव लक्ष्मीनारायण की रचनात्मक कार्य में विशेष रुचि थी। ग्रामोद्योग, महिला उत्थान, शिक्षा, हरिजन उद्धार जैसे क्षेत्रों में उन्होंने विशेष कार्य किया। उनकी गणना अपने समय के आंध्र प्रदेश के प्रमुख व्यक्तियों में होती थी। वह आंध्र प्रदेश के जाने-माने नेता थे। उनकी स्थापित शिक्षण संस्थाओं में तेलुगु, संस्कृत और हिंदी की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता था।
समाज सुधार
समाज सुधार के क्षेत्र में भी उन्होंने दूसरों के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया। अपनी पत्नी की सहमति से उन्होंने पांच अनाथ बालिकाओं को आश्रय प्रदान किया और उन्हें अपना कुल नाम भी दिया।
मृत्यु
सन 1958 ईस्वी में उन्नाव लक्ष्मीनारायण का देहांत हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 102 |