XIV कॉर्प्स, भारत: Difference between revisions

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14 कोर के प्रतीक चिन्ह के बारे में बात करें तो इसमें एक तलवार को आर-पार करते हुए दो जलते हुए वज्र होते हैं। इसमें वज्र [[हिंदू]] और [[बौद्ध]] दोनों में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है और शक्ति तथा जीत का प्रतीक है। इस तरह के प्रतीक का कोई धार्मिक महत्व नहीं है। 14 कोर [[भारतीय सेना]] में एकमात्र कोर है जो पाकिस्तान और चीन दोनों का सामना करती है। दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र सियाचिन 14 कोर के दायरे में आता है।
14 कोर के प्रतीक चिन्ह के बारे में बात करें तो इसमें एक तलवार को आर-पार करते हुए दो जलते हुए वज्र होते हैं। इसमें वज्र [[हिंदू]] और [[बौद्ध]] दोनों में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है और शक्ति तथा जीत का प्रतीक है। इस तरह के प्रतीक का कोई धार्मिक महत्व नहीं है। 14 कोर [[भारतीय सेना]] में एकमात्र कोर है जो पाकिस्तान और चीन दोनों का सामना करती है। दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र सियाचिन 14 कोर के दायरे में आता है।


[[4 जुलाई]], [[2020]] को जब [[प्रधानमंत्री]] [[नरेंद्र मोदी]] ने [[लद्दाख]] में सैनिकों को सम्बोधित किया तो न केवल सैनिकों की हौसलफजाई की बल्कि उनकी वीरता को भी सलाम किया। इस दौरान पीएम मोदी ने एक कैप पहनी थी। यह कैप कोई साधारण कैप नहीं थी बल्कि यह उस 14वीं कोर की कैप थी, जिसे 'फ़ायर एंड फ़्यूरी' कहा जाता है। इस कैप में उसी कोर का चिह्न है। फ़ायर एंड फ़्यूरी वह कोर है जो लद्दाख में [[वास्तविक नियंत्रण रेखा]] की निगरानी करती है। इसकी वीरता के कई किस्से जगजाहिर हैं।
[[3 जुलाई]], [[2020]] को जब [[प्रधानमंत्री]] [[नरेंद्र मोदी]] ने [[लद्दाख]] में सैनिकों को सम्बोधित किया तो न केवल सैनिकों की हौसलफजाई की बल्कि उनकी वीरता को भी सलाम किया। इस दौरान पीएम मोदी ने एक कैप पहनी थी। यह कैप कोई साधारण कैप नहीं थी बल्कि यह उस 14वीं कोर की कैप थी, जिसे 'फ़ायर एंड फ़्यूरी' कहा जाता है। इस कैप में उसी कोर का चिह्न है। फ़ायर एंड फ़्यूरी वह कोर है जो लद्दाख में [[वास्तविक नियंत्रण रेखा]] की निगरानी करती है। इसकी वीरता के कई किस्से जगजाहिर हैं।
==दायित्व==
==दायित्व==
कारगिल की जंग के समय इस कमान का हेडक्‍वार्टर कुंबातांग था, जो कारगिल से करीब 28 किलोमीटर दूर है। जंग के समय इसे 56वीं माउंटेन ब्रिगेड के साथ मिलाया गया जो मतायन में है। 79वीं माउंटेन ब्रिगेड आमतौर पर द्रास में है और 192वीं माउंटेन ब्रिगेड भी यहीं हैं। 14 कोर पर [[चीन]] के अलावा [[पाकिस्तान]] से सटी सीमा का जिम्‍मा तो है ही साथ ही [[सियाचिन ग्लेशियर]] पर होने वाले सै‍निकों की तैनाती हो, यह कमान अपनी हर जिम्‍मेदारी को पूरा कर रही है। सेना की यह कमान रणनीतिक तौर पर काफी महत्‍वपूर्ण है और सियाचिन में सैनिकों को होने वाली जरूरी सामान की सप्‍लाई यहीं से होती है।
कारगिल की जंग के समय इस कमान का हेडक्‍वार्टर कुंबातांग था, जो कारगिल से करीब 28 किलोमीटर दूर है। जंग के समय इसे 56वीं माउंटेन ब्रिगेड के साथ मिलाया गया जो मतायन में है। 79वीं माउंटेन ब्रिगेड आमतौर पर द्रास में है और 192वीं माउंटेन ब्रिगेड भी यहीं हैं। 14 कोर पर [[चीन]] के अलावा [[पाकिस्तान]] से सटी सीमा का जिम्‍मा तो है ही साथ ही [[सियाचिन ग्लेशियर]] पर होने वाले सै‍निकों की तैनाती हो, यह कमान अपनी हर जिम्‍मेदारी को पूरा कर रही है। सेना की यह कमान रणनीतिक तौर पर काफी महत्‍वपूर्ण है और सियाचिन में सैनिकों को होने वाली जरूरी सामान की सप्‍लाई यहीं से होती है।

Latest revision as of 10:30, 4 July 2020

XIV कॉर्प्स अथवा फ़ायर एंड फ़्यूरी कॉर्प्स (अंग्रेज़ी: XIV Corps or Fire and Fury Corps) भारतीय सैन्य कोर है जो लद्दाख में तैनात हैं। ये वो सैनिक हैं जो हर पल चीन से सटी 'लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल' (एलएसी) पर नजर रखते हैं। लद्दाख में चीन से सटे बॉर्डर की जिम्‍मेदारी लेह स्थित 14 कोर पर है। इस कमांड को 'फ़ायर एंड फ़्यूरी' के नाम से भी जानते हैं।

परिचय

15 जून, 2020 को गलवान घाटी में चीन के साथ हिंसा हुई थी, उसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। ये सभी सैनिक लेह स्थित XIV कोर के तहत नियुक्त थे। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि- 'भारत मां के दुश्‍मनों ने आपकी आग और प्रकोप को देखा है।' फ़ायर का मतलब होता है आग और फ़्यूरी का मतलब है प्रकोप या प्रचंडता।' कई दशकों से इस कमांड के तहत आने वाले सैनिक अपनी बहादुरी का प्रदर्शन दुनिया के सामने करते आ रहे हैं। चाहे हर बार चीन की तरफ से होने वाली घुसपैठ हो या सियाचिन पर पाकिस्तान की बुरी नजर, यह कमान हमेशा दुश्‍मन के सामने सीना तानकर खड़ी रहती है। फ़ायर एंड फ़्यूरी कमान ही इस समय लद्दाख में एलएसी पर हो रहे निर्माण कार्यों पर नजर रख रही है।[1]

स्‍थापना

14 कोर (XIV कॉर्प्स) नॉर्दन कमांड का हिस्‍सा है जिसका हेडक्‍वार्टर उधमपुर] में है। इस कमान की स्‍थापना सन् 1962 में हुई थी। तब इसे नागालैंड स्थित हेडक्‍वार्टर से हटाकर तैयार किया गया था और उस समय इसे ईस्‍टर्न कमांड रिजर्व के तौर पर रखा गया था। करीब 30 साल तक ईस्‍टर्न कमांड में रहने के बाद इस कमान को सन् 1999 में लद्दाख लाया गया और तब से यह सही है। शुरुआत में इस कमांड को काउंटर इनसर्जेंसी का खात्‍मा करने के मकसद से तैयार किया गया था। कारगिल की जंग के समय इस कमान ने एक अहम रोल अदा किया था।

प्रतीक चिह्न

[[चित्र:Narendra-Modi-in-Ladakh.jpg|thumb|250px|लद्दाख में सैनिक सम्बोधन के दौरान नरेंद्र मोदी]] 14 कोर के प्रतीक चिन्ह के बारे में बात करें तो इसमें एक तलवार को आर-पार करते हुए दो जलते हुए वज्र होते हैं। इसमें वज्र हिंदू और बौद्ध दोनों में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है और शक्ति तथा जीत का प्रतीक है। इस तरह के प्रतीक का कोई धार्मिक महत्व नहीं है। 14 कोर भारतीय सेना में एकमात्र कोर है जो पाकिस्तान और चीन दोनों का सामना करती है। दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र सियाचिन 14 कोर के दायरे में आता है।

3 जुलाई, 2020 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख में सैनिकों को सम्बोधित किया तो न केवल सैनिकों की हौसलफजाई की बल्कि उनकी वीरता को भी सलाम किया। इस दौरान पीएम मोदी ने एक कैप पहनी थी। यह कैप कोई साधारण कैप नहीं थी बल्कि यह उस 14वीं कोर की कैप थी, जिसे 'फ़ायर एंड फ़्यूरी' कहा जाता है। इस कैप में उसी कोर का चिह्न है। फ़ायर एंड फ़्यूरी वह कोर है जो लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा की निगरानी करती है। इसकी वीरता के कई किस्से जगजाहिर हैं।

दायित्व

कारगिल की जंग के समय इस कमान का हेडक्‍वार्टर कुंबातांग था, जो कारगिल से करीब 28 किलोमीटर दूर है। जंग के समय इसे 56वीं माउंटेन ब्रिगेड के साथ मिलाया गया जो मतायन में है। 79वीं माउंटेन ब्रिगेड आमतौर पर द्रास में है और 192वीं माउंटेन ब्रिगेड भी यहीं हैं। 14 कोर पर चीन के अलावा पाकिस्तान से सटी सीमा का जिम्‍मा तो है ही साथ ही सियाचिन ग्लेशियर पर होने वाले सै‍निकों की तैनाती हो, यह कमान अपनी हर जिम्‍मेदारी को पूरा कर रही है। सेना की यह कमान रणनीतिक तौर पर काफी महत्‍वपूर्ण है और सियाचिन में सैनिकों को होने वाली जरूरी सामान की सप्‍लाई यहीं से होती है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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