कर्णवेध संस्कार: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('*<u>हिन्दू धर्म संस्कारों में क...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
||
Line 4: | Line 4: | ||
*इसमें दोनों कानों को वेध करके उसकी नस को ठीक रखने के लिए उसमें सुवर्ण कुण्डल धारण कराया जाता है। | *इसमें दोनों कानों को वेध करके उसकी नस को ठीक रखने के लिए उसमें सुवर्ण कुण्डल धारण कराया जाता है। | ||
*इससे शारीरिक लाभ होता है। | *इससे शारीरिक लाभ होता है। | ||
== | ==संबंधित लेख== | ||
{{हिन्दू धर्म संस्कार}} | {{हिन्दू धर्म संस्कार}} | ||
__INDEX__[[Category:हिन्दू_संस्कार]] | __INDEX__[[Category:हिन्दू_संस्कार]] | ||
[[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]] | [[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]] |
Revision as of 13:34, 14 September 2010
- हिन्दू धर्म संस्कारों में कर्णवेध संस्कार नवम् संस्कार है।
- यह संस्कार कर्णेन्दिय में श्रवण शक्ति की वृद्धि, कर्ण में आभूषण पहनने तथा स्वास्थ्य रक्षा के लिये किया जाता है।
- विशेषकर कन्याओं के लिये तो कर्णवेध नितान्त आवश्यक माना गया है।
- इसमें दोनों कानों को वेध करके उसकी नस को ठीक रखने के लिए उसमें सुवर्ण कुण्डल धारण कराया जाता है।
- इससे शारीरिक लाभ होता है।