एस. पी. भरुचा: Difference between revisions

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'''सम पिरोज भरुचा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sam Piroj Bharucha'', जन्म- [[6th मई]], [[1937]]<ref name="pp">{{cite web |url=https://nalsa.gov.in/patron-in-chief/hon-ble-mr-justice-s-p-bharucha |title=Hon’ble Mr. Justice S.P.Bharucha|accessmonthday=22 अगस्त|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=nalsa.gov.in |language=हिंदी}}</ref>) [[भारत]] के भूतपूर्व 30वें [[भारत के मुख्य न्यायाधीश|मुख्य न्यायाधीश]] थे। वह [[11 जनवरी]], [[2001]] को भारत के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए और [[6 मई]], [[2002]] तक इस पद पर रहे।<br/>
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*सम पिरोज भरुचा ने सन [[1960]] में मुम्बई उच्च न्यायालय के एक वकील के रूप में अपना क़ानूनी कॅरियर शुरू किया।
*सम पिरोज भरुचा ने सन [[1960]] में मुम्बई उच्च न्यायालय के एक वकील के रूप में अपना क़ानूनी कॅरियर शुरू किया।
*सन [[1977]] में उन्हें अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
*सन [[1977]] में उन्हें अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

Revision as of 06:04, 22 August 2022

सम पिरोज भरुचा (अंग्रेज़ी: Sam Piroj Bharucha, जन्म- 6 मई, 1937[1]) भारत के भूतपूर्व 30वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह 11 जनवरी, 2001 को भारत के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए और 6 मई, 2002 तक इस पद पर रहे।

  • सम पिरोज भरुचा ने सन 1960 में मुम्बई उच्च न्यायालय के एक वकील के रूप में अपना क़ानूनी कॅरियर शुरू किया।
  • सन 1977 में उन्हें अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
  • सन 1978 में सम पिरोज भरुचा को स्थायी कर दिया गया।
  • सम पिरोज भरुचा को सन 1991 में कर्नाटक उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
  • इसके बाद ही उन्हें 1992 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त किया गया और 2001 में वह मुख्य न्यायाधीश बने।
  • अपने कई महत्वपूर्ण क़ानूनी फैसलों के लिए सम पिरोज भरुचा जिम्मेदार हैं।
  • वह पांच न्यायाधीशों के संवैधानिक पैनल का हिस्सा थे, जिसने 2001 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में जयललिता की बर्खास्तगी पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था। यह भारत के इतिहास में किसी मुख्यमंत्री की पहली और एकमात्र बर्खास्तगी थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Hon’ble Mr. Justice S.P.Bharucha (हिंदी) nalsa.gov.in। अभिगमन तिथि: 22 अगस्त, 2021।

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