ललित कला अकादमी: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 42: | Line 42: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान}} | |||
[[Category:कला_कोश]] | [[Category:कला_कोश]] | ||
[[Category:राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान]] | [[Category:राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 10:01, 28 December 2010
भारतीय कला के प्रति देश-विदेश में समझ बढ़ाने और प्रचार-प्रसार के लिए भारत सरकार ने नई दिल्ली में 1954 में ललित कला अकादमी (नेशनल अकादमी आफ आर्टस) की स्थापना की थी। लखनऊ, कोलकाता, चेन्नई, नई दिल्ली और भुवनेश्वर में क्षेत्रीय केंन्द्र हैं जिन्हें 'राष्ट्रीय कला केन्द्र' के नाम से जाना जाता है। इन केन्द्रों पर पेंटिंग, मूर्तिकला, प्रिन्ट-निर्माण और चीनी मिट्टी की कलाओं के विकास के लिए कार्यशाला-सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
संगठन और व्यवस्था
ललित कला अकादमी की एक समान्य कौंसिल है जिसमें कई सभासद, एक कार्यकारी बोर्ड, एक वित्त समिति (फ़ाइनैन्स कमेटी) आदि हैं। इस कौंसिल में प्रमुख कलाकार, केंद्रीय सरकार और विभिन्न-राज्यों के प्रतिनिधि और कला क्षेत्र के प्रमुख व्यक्ति हैं। अकादमी के प्रति दिन का कार्यक्रम कार्यकारिणी समिति के मंत्री और सामान्य कौंसिल के अन्य उत्तरदायी लोगों द्वारा संचालित होता है।
ललित कला अकादमी के 30 परिपूरक स्वीकृत कला संगठन संपूर्ण देश में हैं जो कि अकादमी के क्रियाकलापों और प्रदर्शनी कार्यक्रमों से संबंधित है। इसके अतिरिक्त 12 राज्य अकादमियाँ हैं जो केंद्रीय अकादमी की सहायक और सहकारी हैं। अकादमी के बजट में देशी और प्रांतीय अकादमी के कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान की भी व्यवस्था है।
प्रदर्शनी और पुरस्कार
अकादमी अपनी स्थापना से ही हर वर्ष समसामयिक भारतीय कलाओं की प्रदर्शनियां आयोजित करती रही है। 50-50 हज़ार रुपये के 15 राष्ट्रीय पुरष्कार भी प्रदान किए जाते हैं। प्रत्येक तीन वर्ष पर अकादमी समकालीन कला पर नई-दिल्ली में त्रैवार्षिक अंतराष्ट्रीय प्रदर्शनी (त्रिनाले इंडिया) आयोजित करती है। अकादमी हर वर्ष जाने-माने कलाकारों और कला क्षेत्र के इतिहासकारों को अपनी मानद उपाधि देकर सम्मानित करती है। विदेशों में भारतीय कला के प्रसार के लिए अकादमी अंतराष्ट्रीय द्विवार्षिक और त्रिवार्षिक सभाओं में नियमित रूप से भाग लेती है और अन्य देशों की कलाकृतियों की प्रदर्शनियां भी आयोजित करती है। देश के कलाकारों का अन्य देशों के कलाकारों के साथ मेलमिलाप और समझौतों के अंतर्गत कलाकारों को एक-दूसरे के यहाँ भेजने की व्यवस्था करती है।
प्रकाशन व्यवस्था
ललित कला अकादमी कला संस्थाओं व संगठनों को मान्यता प्रदान करती है और इन संस्थाओं के साथ-साथ राज्यों की अकादमियों को आर्थिक सहायता देती है। यह क्षेत्रीय केन्द्रों के प्रतिभावान युवा कलाकारों को छात्रवृत्ति भी प्रदान करती है। अपने प्रकाशन कार्यक्रम के तहत अकादमी समकालीन भारतीय कलाकारों की रचनाओं पर हिंदी और अंग्रेज़ी में मोनोग्राफ और समकालीन पारपंरिक तथा जनजातीय और लोक कलाओं पर जानेमाने लेखकों और कला आलोचकों द्वारा लिखित पुस्तकें प्रकाशित करती है। अकादमी अंग्रेज़ी में ‘ललित कला कंटेंपरेरी’ तथा हिंदी में 'समकालीन' कला नामक अर्द्धवार्षिक कला पत्रिकाएं भी प्रकाशित करती है। इसके अलावा अकादमी समय-समय पर समकालीन पेंटिग्स और ग्राफिक्स के बहुरंगी विशाल आकार के प्रतिफलक भी निकालती है। अकादमी ने अनुसंधान और अभिलेखन का नियमित कार्यक्रम भी शुरू किया है। भारतीय समाज और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं से संबद्ध समसामयिक लोककला सबंधी परियोजना पर काम करने के लिए अकादमी विद्वानों को आर्थिक सहायता देती है।
कार्य
ललित कला अकादमी में अनेक प्रकार के कार्यक्रम होते हैं जिन्हें हम मुख्य रूप से निम्नलिखित विभागों में विभक्त कर सकते हैं -
- प्रदर्शनी
- प्रकाशन
- निरीक्षण, विचार गोष्ठी, भित्तिचित्र बनाने की कला
- देशी कला संगठनों और प्रांतीय अकादमियों के समन्वित कार्यक्रम को प्रोत्साहित करना
- विदेशों से संपर्क और छात्रों एवं कलाकारों का आदान-प्रदान
प्रदर्शनी
प्रदर्शनी कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का आयोजन और विदेशों में भारतीय कला की प्रदर्शनी आयोजन, दोनों की व्यवस्था संस्था करती है जो सामयिक और प्रासंगिक दोनों ही प्रकार के विषयों पर आधारित होती है।
प्रकाशन
- राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी और प्रति वर्ष समकालीन भारतीय कला की श्रेष्ठ प्रतिनिधि कृतियों का चयन करती है। विदेशों में होने वाली भारतीय कला प्रदर्शनी के कार्यक्रमों का प्रस्तुतिकरण और व्यवस्थापन करती है। जिसमें चित्रकला, मूर्तिकला और कला के अन्य पक्षों के मुख्य देशी और विदेशी कला केंद्रों के श्रेष्ठ और चुने हुए सामयिक संग्रहों और कलाकारों का प्रस्तुतिकरण भी करती है।
- विदेशी कला प्रदर्शनी में भाग लेने, कलाकारों और सामान्य कलाकारों को विश्व की श्रेष्ठ कलाओं का ज्ञान और संपर्क स्थापित करने का अवसर प्रदान करती है।
- अकादमी का प्रकाशन संबंधी कार्य दो प्रकार का है -
- प्राचीन भारतीय कला का प्रकाशन,
- आधुनिक भारतीय कला का प्रकाशन।
- भारतीय ललित कला ग्रंथमाला के अंतर्गत पुस्तकें और लेख भारतीय चित्रकला और मूर्तिकला के प्रमुख स्कूलों से प्रकाशित की जाती है।
- 'ललित कला' नामक पत्रिका, जो भारतीय कला, पुरातन वस्तुओं और पूर्वदेशीय कला से संबंधित है, वर्ष में दो बार प्रकाशित की जाती है।
- ललित कला ग्रंथमाला के लेखों में समकालीन कला के प्रख्यात कलाकारों का विवरण रहता है।
- पत्रिका 'समकालीन ललित कला' वर्ष में दो बार प्रकाशित की जाती है। ये सभी प्रकाशन आकर्षक और सचित्र हैं जो सभी को आकर्षित करते हैं।
|
|
|
|
|