चूड़ाकरण संस्कार

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
  • हिन्दू धर्म संस्कारोंमें चूड़ाकरण संस्कार अष्टम संस्कार है।
  • अन्नप्राशन करने के पश्चात चूड़ाकरण-संस्कार करने का विधान है।
  • यह संस्कार पहले या तीसरे वर्ष में कर लेना चाहिये। मनुस्मृति[1]के कथनानुसार द्विजातियों का पहले या तीसरे वर्ष में (अथवा कुलाचार के अनुसार) मुण्डन कराना चाहिये—ऐसा वेद का आदेश है।

इसका कारण यह है कि माता के गर्भ से आये हुए सिर के बाल अर्थात केश अशुद्ध होते हैं। दूसरी बात वे झड़ते भी रहते हैं।

  • जिससे शिशु के तेज की वृद्धि नहीं हो पाती है।
  • इन केशों को मुँडवाकर शिशु की शिखा (चोटी) रखी जाती है।
  • शिखा से आयु और तेज की वृद्ध होती है।

टीका-टिप्पणी

  1. मनुस्मृति (2।35)

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः