केन्द्र-राज्य प्रभाग

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केन्द्र-राज्य प्रभाग अथवा सी. एस. प्रभाग भारत के गृह मंत्रालय के अधीन भारत के केन्द्र शासित प्रदेश और राज्यों के संबंधों के कार्य देखता है, जिनमें इस प्रकार के संबंधों को शासित करने वाले संवैधानिक प्रावधानों का कार्यान्वनयन, राज्यपालों की नियुक्ति, नए राज्यों का सृजन, राज्य सभा / लोक सभा के लिए नामांकन, अन्तर्राज्य‍ सीमा विवाद, राज्यों में अपराध की स्थिति पर निगरानी रखना, राष्ट्रपति शासन लगाना और क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टनम (सी. सी. टी. एन. एस.) से संबंधित कार्य शामिल हैं।

केन्द्र-राज्य प्रभाग का अधिदेश

केन्द्र-राज्य प्रभाग निम्नलिखित मामलों से संबंधित कार्य करता है:

1. केन्द्र-राज्य संवैधानिक मामले
  • राज्यों में संवैधानिक संकट – किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने और प्रतिसंहरण से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत और अन्य संबंधित मामलों में उद्घोषणा जारी करना।
  • अंतर-राज्य परिषद के मामले, जिनमें केन्द्र-राज्य संबंधों पर सरकारिया आयोग द्वारा की गई सिफारिशें शामिल हैं।
2. राष्ट्रपति, राज्यपालों और राज्य सभा तथा लोक सभा में नामित सदस्यों से संबंधित मामले
  • सभी राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति, भत्ते और विशेषाधिकार।
  • राष्ट्रपति और केन्द्रीय मंत्रियों के वेतन, भत्ते और विशेषाधिकार।
  • भूत-पूर्व राष्ट्रपतियों और उप-राष्ट्रपतियों की पेंशन और सेवानिवृत्ति के अन्य लाभ।
  • संविधान के अनुच्छेद 80 (1) (क) के तहत राज्य सभा में नामांकन।
  • संविधान के अनुच्छेद 131 के अनुसार लोक सभा में दो आंग्ल भारतीयों का नामांकन।
3. राज्यों का पुनर्गठन
  • नए राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों के गठन की मांग।
  • राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 और अन्य पुनर्गठन कानूनों के उपबंधों की व्याख्या।
  • पूर्वोत्तर राज्यों के बीच / उनमें चल रहे विवादों को छोड़ कर अंतर-राज्य सीमा विवाद।
  • पुनर्गठन कानूनों के तहत पुनर्गठित राज्यों के बीच आस्तियों और परिसंपत्तियों का संविभाजन।
  • अनुच्छेद 371(2) के तहत विकास बोर्डों का गठन
4. आंचलिक परिषद
  • आंचलिक परिषदों से संबंधित वे वित्तीय और प्रशासनिक मामले जिनके लिए भारत सरकार की मंजूरी अपेक्षित है।
  • राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के उपबंधों के तहत पांच आंचलिक परिषदों का सृजन किया गया है, यथा पूर्वी आंचलिक परिषद, मध्य आंचलिक परिषद, पश्चिमी आंचलिक परिषद, दक्षिणी आंचलिक परिषद और उत्तरी आंचलिक परिषद। परिषदों के अध्यक्ष, केन्द्रीय गृह मंत्री होते हैं और प्रत्येक राज्य के मुख्य मंत्री, आंचलों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन परिषदों का उद्देश्य, बैठक के लिए साझा स्थल प्रदान करना और अंतर-राज्य तथा केन्द्र-राज्य समस्याओं को हल करना है।
5. अपराध निवारण और नियंत्रण
  • पुलिस’ और ‘लोक व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं। तथापि, गृह मंत्रालय, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, बच्चों और वृद्ध व्यक्ति जैसे समाज के कमज़ोर वर्गों के प्रति अपराधों को कम करने पर जोर देते हुए सभी अपराधों को प्रभावी ढंग से रोकने और नियंत्रित करने की दृष्टि से दांडिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में सुधार किए जाने पर और अधिक ध्यान देने के लिए राज्य सरकारों को समय-समय पर सलाह देता रहा है।
6. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एन. सी. आर. बी.) का प्रशासनिक नियंत्रण
  • वर्ष 1986 में गठित एन. सी. आर. बी. को अपराध संबंधी आंकड़े मिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
7. कारागार
  • संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची ।। के अनुसार कारागार, राज्य का विषय है और कारागार प्रशासन की मुख्य जिम्मेदारी, संबंधित राज्य सरकारों की है। तथापि, भारत सरकार ने वर्ष 2002-2003 में कारागारों के आधुनिकीकरण के लिए एक नई योजना शुरू की है जिसके तहत राज्य सरकारों को 75% अनुदान दिया जा रहा है, 25% उनसे आ रहा है। कारागार सुधारों से संबंधित नीतिगत कागजों का मसौदा तैयार किया जा रहा है।


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