उद्धवशतक

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:51, 17 July 2017 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - " शृंगार " to " श्रृंगार ")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

जगन्नाथदास रत्नाकर का 'उद्धव-शतक' दूतकाव्य की भ्रमरगीत परम्परा में है। इसका प्रकाशन 1931 ई. में हुआ।

भाषा

भाषा अलंकृत ब्रजभाषा और छन्द घनाक्षरी हैं। छन्द मुक्तक-काव्य की विशिष्टताओं से संयुक्त होते हुए भी प्रसंगानुकूल संग्रहीत होने के कारण इसे प्रबन्धात्मक रूप प्रदान करते हैं।

कथानक

कथानक गोपियों के विप्रलम्भ, कृष्ण सन्देश और उद्धव गोपी-संवाद के प्रसंगों से गुम्फित है। गोपियों अनन्य प्रेमिकाएँ और उद्धव परम ज्ञानी हैं। विप्रलम्भ श्रृंगार और शांत प्रधान रस हैं। विरह-निवेदन, गम्भीर उक्तियों, चमत्कारपूर्ण संवाद, नाटकीय और दार्शनिक प्रतिपादन स्पष्ट है। रसायन, वेदांत, तर्क, योग और विज्ञानसम्बन्धी कथन कवि की बहुज्ञता के परिचायक हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः