अंटार्कटिक महासागर

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अंटार्कटिक महासागर में अनेक हिमशैल तैरते रहते हैं। यह महासागर अंटार्कटिका महाद्वीप के चारों ओर फैला हुआ है। कतिपय भूगोलवेत्ताओं के अनुसार यह एक स्वतंत्र महासागर न होकर 'अंध महासागर' (अटलांटिक), प्रशांत महासागर तथा हिंद महासागर का दक्षिणी विस्तार मात्र है।

विस्तार

अंटार्कटिक महासागर की गहराई हार्न अंतरीप के पास 600 मील (लगभग 960 कि.मी.) है तो अफ़्रीका के दक्षिण स्थित अमुलहस अंतरीप के समीप 2,400 मील। इस महासागर में अनेक बड़े आकार के प्लावी 'हिमशैल' तैरते रहते हैं। कुछ हिमशैल तैरते-तैरते समीपस्थ अन्य महासागरों में भी चले जाते हैं। समुद्री खोजकर्ताओं ने इस सागर में कई इस प्रकार के प्लावी हिमशैल भी देखे हैं, जिनका क्षेत्रफल एक सौ वर्गमील से भी अधिक था। इनमें से कुछ हिमशैलों की मोटाई एक हज़ार फीट से भी अधिक थी। अंटार्कटिक महासागर के जल का सतह पर औसत तापमान 29.8° फ़ारनहाइट रहता है और तल पर यह तापमान 32° से 35° फ़ारनहाइट तक रहता है।

जीव जंतु

दक्षिण अमेरिका तक पहुँचते-पहुँचते इस सागर की मुख्य धारा दो भागों में विभक्त हो जाती है। एक धारा अमरीका महाद्वीप के पूर्वी तट के साथ-साथ उत्तर की ओर चली जाती है तथा दूसरी धारा पूरब की ओर हार्न अंतरीप से आगे बढ़कर निकल जाती है। इस क्षेत्र में छोटे-छोटे पौधे, पक्षी तथा अन्य जीव-जंतु पाए जाते हैं। व्हेल मछली के शिकार के लिए भी यह महासागर महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ से व्हेल का बड़ी मात्रा में व्यापार किया जाता है।


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