सुनामी स्मारक, कन्याकुमारी

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सुनामी स्मारक तमिलनाडु राज्य के कन्याकुमारी नगर में स्थित एक स्मारक है जो स्टील का बना और इसकी ऊँचाई लगभग 16 फुट है। इस में जो दो हाथ बने हैं उनमें एक से सागर की लहर को रोकते हुए और दूसरे हाथ में आशा का दीपक जलाये रखते हुए दिखाया गया है। इस के डिजाईन को बनाने वाले बी. कनगराज हैं।

सुनामी का अर्थ

सुनामी का अर्थ है समुद्री तूफान। यह एक प्राकृतिक आपदा है। सूनामी जापानी शब्द है जो सू और नामी से मिल कर बना है। सू का अर्थ है समुद्र तट और नामी का अर्थ है लहरें। समुद्र के भीतर अचानक जब बड़ी तेज़ हलचल होने लगती है तो उसमें उफान उठता है। सैकड़ों किलोमीटर चौड़ाई वाली लहरें जब तट के पास आती हैं, तब लहरों का निचला हिस्सा ज़मीन को छूने लगता है। इनकी गति कम हो जाती है और ऊँचाई बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में जब ये तट से टक्कर मारती हैं तो तबाही होती है। उसके रास्ते में पेड़, जंगल या इमारतें कुछ भी आए, सब को तबाह कर देती है। अक्सर समुद्री भूकम्पों की वजह से ये तूफ़ान पैदा होते हैं।

इतिहास

26 दिसंबर 2004 के दिन हिंद महासागर के लगभग 14 देश सुनामी के प्रकोप का शिकार हुए थे। सबसे ज़्यादा प्रभावित इंडोनेशिया के आचेह प्रांत में सुनामी ने लगभग 1 लाख 70 हज़ार लोगों की जानें ले लीं थी। भारत में आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और पांडिचेरी में 34 लाख से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हुए। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में भी जबरदस्त नुकसान पहुँचाया। एक जानकारी के अनुसार लगभग 15 हज़ार व्यक्तियों की इस जलजले से मृत्यु हुई। इनमें 10 हजार लोग तो अकेले तमिलनाडु के तटीय इलाकों के ही रहने वाले थे। तमिलनाडु के कन्याकुमारी में सुनामी में मारे गये लोगों की याद में ही सुनामी स्मारक बनाया गया है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सुनामी स्मारक ,कन्याकुमारी (हिन्दी) भारत दर्शन। अभिगमन तिथि: 22 दिसम्बर, 2013।

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