राजकीय संग्रहालय, एग्मोर
सन 1851 में शुरू किया गया यह भारत का दूसरा सबसे पुराना संग्रहालय है और इसमें पुरातात्विक, रोमन और संख्यावाचक संग्रह मौजूद हैं। इसके अलावा यहाँ अमरावती से बौद्ध खंडहरों के प्रदर्शक भी मौजूद हैं। यहां का एक प्रमुख आकर्षण कांस्य दीर्घा है जिसमें आधुनिक काल से लेकर 7वीं शताब्दी के पल्लव युग तक की मूर्तियां मौजूद हैं।
- यहाँ ब्रह्मांडीय नर्तक नटराज के रूप में भगवान शिव की मूर्तियाँ तथा भगवान शिव और देवी पार्वती की संयुक्त अभिव्यक्ति प्रदर्शित करते अर्धनारीश्वर रोर्प की एक चोल कांस्य मूर्ति भी मौजूद हैं।[1]
- हिंदू, बौद्ध और जैन मूर्तियों के साथ-साथ यहाँ मानवविज्ञान दीर्घाओं में ऐसे कई पुरातात्विक प्रतिनिधि मौजूद हैं जो प्रागैतिहासिक काल में दक्षिण भारतीय मानव इतिहास का परिचय देते हैं। सच तो यह है कि इसे यूरोप के बाहर मौजूद रोमन प्राचीन वस्तुओं का सबसे बड़ा संग्रह भी कहा जाता है।
- एग्मोर स्थित यह राजकीय संग्रहालय 16.25 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। यह छह स्वतंत्र इमारतों से बना है और इसमें 46 दीर्घाएँ हैं।
- इसने 1951 में अपनी पहली शताब्दी मनाई थी, जिसमें भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भाग लिया था।
- यह एक उत्कृष्ट संग्रहालय है, जिसमें राष्ट्रीय कला दीर्घा, समकालीन कला दीर्घा और बच्चों का एक संग्रहालय भी मौजूद है।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ राजकीय संग्रहालय (हिंदी) incredibleindia.org। अभिगमन तिथि: 23 मार्च, 2020।