कृष्ण सिंह

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कृष्ण सिंह (अंग्रेज़ी: Krishna Singh, जन्म: 21 अक्टूबर, 1887, मुंगेर ज़िला, बिहार ; मृत्यु: 31 जनवरी, 1961) बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री तथा अधिवक्ता थे। ये 'बिहार केसरी' के नाम से प्रसिद्ध हैं। कृष्ण सिंह 2 जनवरी, 1946 से अपनी मृत्यु तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। बिहार, भारत का पहला राज्य था, जहाँ सबसे पहले उनके नेतृत्व में ज़मींदारी प्रथा का उन्मूलन उनके शासनकाल में हुआ। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद तथा अनुग्रह नारायण सिन्हा के साथ वे भी आधुनिक बिहार के निर्माता के रूप में जाने जाते हैं।

परिचय

कृष्ण सिंह का जन्म 21 अक्टूबर, 1887, मुंगेर ज़िला, बिहार में हुआ था। इन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एम.ए. और क़ानून की डिग्री ली और मुंगेर में वकालत करने लगे। किंतु गाँधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन आरंभ करने पर इन्होंने वकालत छोड़ दी और शेष जीवन सार्वजानिक कार्यों में ही लगाया। साइमन कमीशन के बहिष्कार और नमक सत्याग्रह में भाग लेने पर वे गिरफ्तार किए गए। भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 866 |

राजनैतिक जीवन

कृष्ण सिंह बड़े ओजस्वी अधिवक्ता थे। ये 1937 में केन्द्रीय असेम्बली के और 1937 में ही बिहार असेम्बली के सदस्य चुने गए। 1937 के प्रथम कांग्रेस मंत्रिमंडल में ये बिहार के मुख्यमंत्री बने। राजनैतिक बंदियों की रिहाई के प्रश्न पर इन्होंने और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविन्द बल्लभ पंत ने त्याग पत्र की धमकी देकर अंग्रेज सरकार को झुकाने के लिए बाध्य कर दिया था। 1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध आरंभ होने पर कृष्ण सिंह के मंत्रिमंडल ने त्याग पत्र दे दिया। 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह के लिए गांधी जी ने सिंह को बिहार का प्रथम सत्याग्रही नियुक्त किया था 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी ये जेल में बंद रहे।

1946 में कृष्ण सिंह फिर बिहार के मुख्यमंत्री बने और 1961 तक मृत्युपर्यंत इस पद पर रहे। इनके कार्यकाल में बिहार में महत्त्व के अनेक कार्य हुए। जमींदारी प्रथा समाप्त हुई, सिंद्री का खाद कारखाना, बरौनी का तेल शोधक कारखाना, मोकाना में गंगा पर पुल इनमें से विशेष उल्लेखनीय है। 31 जनवरी,1961 ई. को बिहार में इनका निधन हो गया।

निधन

कृष्ण सिंह का 31 जनवरी,1961 ई. को बिहार में निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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