जम्मू और कश्मीर की संस्कृति

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thumb|250px|कश्मीरी शॉल
Kashmiri Shawl
जम्मू और कश्मीर हस्‍त‍शिल्‍प यहाँ का परपंरागत उद्योग है। हाथ से बनी वस्‍तुओं की व्‍यापक रोजगार क्षमता और विशेषज्ञता को देखते हुए राज्‍य सरकार ह‍स्‍तशिल्‍प को उच्‍च प्राथमिकता दे रही है। कश्‍मीर के प्रमुख हस्‍तशिल्‍प उत्‍पादों में काग़ज़ की लुगदी से बनी वस्‍तुएं, लकड़ी पर नक़्क़ाशी, कालीन, शॉल और कशीदाकारी का सामान आदि शामिल हैं। हस्‍तशिल्‍प उद्योग से काफ़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित होती है। हस्‍तशिल्‍प उद्योग में 3.40 लाख कामगार लगे हुए हैं। उद्योगों की संख्‍या बढ़ी है। हस्तकला उत्पाद भी लद्दाख में महत्त्वपूर्ण हैं। विशेषकर कश्मीरी शालें, ग़लीचे और कम्बल।

त्‍योहार

आश्विन मास में शुक्‍ल पक्ष की दशमी को रावण पर राम की विजय के प्रतीक रूप में दशहरा या वियजदशमी का त्‍योहार मनाया जाता है। शिवरात्रि भी जम्मू और कश्‍मीर में श्रद्धा और भाक्ति के साथ मनाई जाती है। राज्‍य में मनाए जाने वाले चार मुस्लिम त्‍योहार हैं- ईद-उल-फितर, ईद उल ज़ुहा, ईद-ए-मिलाद या मीलादुन्नबी और मेराज आलम। मुहर्रम भी मनाया जाता हैं। लद्दाख का विश्‍व प्रसिद्ध गोम्‍पा उत्‍सव जून महीने में मनाया जाता है। हेमिस उत्‍सव का प्रमुख आकर्षक मुखौटा नृत्‍य है। लेह में स्पितुक बौद्ध विहार में हर साल जनवरी में होने वाले पर्व में काली की प्रतिमाएं बड़े पैमाने पर प्रदर्शित की जाती हैं। इसके अलावा सर्दी के चरम का त्‍योहार लोहड़ी तथा रामबन और पड़ोस के गांवों में सिंह संक्रांति और अगस्‍त माह में भदरवाह में मेला पात मनाया जाता हैं।


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