तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ली अनुवाक-4

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:48, 6 September 2011 by रेणु (talk | contribs) ('*तैत्तिरीयोपनिषद के [[तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य
  • इस अनुवाक में सर्वरूप, वेदों में सर्वश्रेष्ठ उपास्य देव 'इन्द्र' की उपासना करते हुए ऋषि कहते हैं कि वे उन्हें अमृत-स्वरूप परमात्मा को धारण करने वाला मेधा-सम्पन्न बनायें।
  • शरीर में स्फूर्ति, जिह्वा में माधुर्य और कानों में शुभ वचन प्रदान करें।
  • उन्हें सभी लोगों में यशस्वी, धनवान और ब्रह्मज्ञानी बनायें।
  • उनके पास जो शिष्य आयें, वे ब्रह्मचारी, कपटहीन, ज्ञानेच्छु और मन का निग्रह करने वाले हों।
  • इसी के लिए वे यज्ञ में उनके नाम की आहुतियां देते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः