जयसिंह द्वितीय चालुक्य

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:18, 17 May 2012 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) ('*अच्चण द्वितीय पश्चिमी [[चालुक्य साम्राज्य|चालुक्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
  • अच्चण द्वितीय पश्चिमी चालुक्यों की बढ़ती हुई शक्ति व दबाव को रोकने में विफल रहा।
  • ऐसी स्थिति में उसका भाई जयसिंह द्वितीय (1015 से 1045 ई.), उसे गद्दी से हटाकर सिंहासन पर बैठा।
  • इसका विरुद्ध 'जगदेकमल्ल' था, जो इसकी वीरता का परिचायक है।
  • जयसिंह द्वितीय ने 1015 ई. में अपने पूर्वजों के रणरक्तनीति का अनुसरण करते हुए उसने अपने राज्य की रक्षा की।
  • परमार राजा भोज कलचुरि राजा गंगेयदेव तथा चोल शासक राजेन्द्र चोल ने एक संघ बनाकर जयसिंह पर आक्रमण किए।
  • जयसिंह ने इनका सामना किया और इन्हें रोकने में पूरी तरह से सफल रहा।
  • 'तिरुवांलगाडु अभिलेख' में राजेन्द्र चोल को तैलप वंश का उन्मूलक कहा गया है।
  • जयसिंह ने 'सिंगदे', 'जयदेक्कमल्ल', 'त्रैलोकमल्ल', 'मल्लिकामोद', 'विक्रमसिंह' आदि उपाधियां धारण कीं।
  • 26 वर्ष के शासन के बाद 1047 ई. में जयसिंह की मृत्यु हो गई।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः