तमिलनाडु की लोककथा-1

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 14:31, 31 July 2014 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "दरवाजे" to "दरवाज़े")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

[[चित्र:Vivekananda-Rock-Memorial.jpg|thumb|250px|विवेकानन्द रॉक मेमोरियल, कन्याकुमारी]]
अयोध्या में चूड़ामणि नाम का एक व्यक्ति रहता था। धन पाने की इच्छा से उसने बहुत दिनों तक भगवान की तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर एक रात धन देवता कुबेर ने उसे सपने में दर्शन दिए। उन्होंने कहा “सूर्योदय के समय तुम हाथ में लाठी लेकर घर के दरवाज़े पर खड़े हो जाना। कुछ देर बाद तुम्हारे पास एक भिक्षुक आएगा। उसके हाथ में एक भिक्षा पात्र होगा। जैसे ही तुम उस भिक्षा पात्र में अपनी लाठी अड़ाओगे वह सोने में परिवर्तित हो जाएगा। उसे तुम अपने पास रख लेना। ऐसा दस दिन करने से तुम्हारे पास दस सोने के पात्र हो जाएंगे। जिससे तुम्हारी जीवन भर की दरिद्रता दूर हो जाएगी।

रोज सुबह उठकर चूडामणि वैसा ही करने लगा जैसा कुबेर ने सपने में बताया था। एक दिन उसे ऐसा करते हुए पड़ोसी ने देख लिया। बस उसी दिन से चूडामणि का पड़ोसी नित्यप्रति किसी भिक्षुक की प्रतीक्षा में अपने घर के दरवाज़े पर लाठी लिए खड़ा रहता। बहुत दिन बाद अतंतः एक भिक्षुक उसके दरवाज़े पर भिक्षा मांगने आया। पडौसी ने भिक्षा पात्र पर डंडा छुआया। पर वह सोने में नहीं बदला। अंत में से गुस्सा आया और उसके आव देखा न ताव और भिक्षुक पर प्रहार करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में भिक्षुक के प्राण पखेरू उड़ गए। उसके इस कर्म की सूचना राजा तक पहुंची। राजकर्मचारी उसे गिरफ्तार कर राजा के सामने ले गए। अभियोग सिद्द होने पर पड़ोसी को मृत्युदंड दिया गया।

  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

भारतकोश में संकलित लोककथाऐं
झारखण्ड की लोककथा अल्मोड़ा की लोककथा अशोक की लोककथा लक्ष्मी माता की लोककथा सिंहासन बत्तीसी
तमिलनाडु की लोककथा-1 राजस्थान की लोककथा बुद्धि की लोककथा पिंगला की लोककथा वेताल पच्चीसी
पंजाब की लोककथा कंबुज की लोककथा लोहड़ी की लोककथा चतुराई की लोककथा पंचतंत्र

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः