रतनपुर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:36, 4 January 2015 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

रतनपुर अथवा 'रत्नपुर' छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर ज़िले में स्थित एक ग्राम और नगर पंचायत है। यह बिलासपुर शहर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रतनपुर विभिन्न राजवंशों के शासकों द्वारा लाये गए विशाल ऐतिहासिक बदलावों का साक्षी रहा है। यहाँ प्रवेश करते ही हैहय राजवंश के बाबा भैरवनाथ क्षेत्रपाल सिंह की एक नौ फुट लंबी मूर्ति देखने को मिलती है। मंदिरों की संख्या के कारण स्थानीय रूप से इस स्थान को छोटी काशी भी कहा जाता है। यह स्थान दुल्हरा नदी के तट पर है।

इतिहास

रतनपुर बिलासपुर से 10 मील दूर, छत्तीसगढ़ के हैहय नरेशों की प्राचीन राजधानी है। 11वीं शती ई. के प्रारंभिक काल से ही प्राचीन चेदि राज्य के दो भाग हो गये थे- 'पश्चिमी चेदि', जिसकी राजधानी त्रिपुरी में थी और 'पूर्वी चेदि' या 'महाकोसल', जिसकी राजधानी रत्नपुर थी। कहा जाता है कि रत्नपुर में पौराणिक राजा मयूरध्वज की राजधानी थी। छत्तीसगढ़ के प्राचीन राजाओं का बनवाया हुआ एक दुर्ग भी यहां स्थित है। रत्नपुर में अनेक प्राचीन मंदिरों के अवशेष हैं।[1]

रतनपुर और रायपुर राज्य क्रमशः शिवनाथ के उत्तर तथा दक्षिण में स्थित थे। प्रत्येक राज्य में स्पष्ट और निश्चित रूप से अठारह-अठारह ही गढ़ होते थे। गढ़ों की संख्या अठारह ही क्यों रखी गई थी, इसका निश्चित पता तो नहीं है, किन्तु रतनपुर से सन 1114 ई. के प्राप्त एक उल्लेख के अनुसार चेदि के हैहय वंशी राजा कोकल्लदेव के अठारह पुत्र थे और उन्होंने अपने राज्य को अठारह हिस्सों में बाँट कर अपने पुत्रों को दिया था। सम्भवतः उसी वंश परंपरा की स्मृति बनाये रखने के लिये राज्य को अठारह गढ़ों में बाँटा जाता था। प्रत्येक गढ़ में सात ताल्लुके और प्रत्येक ताल्लुके में कम से कम बारह ग्राम होते थे। इस प्रकार प्रत्येक गढ़ में कम से कम चौरासी ग्राम होना अनिवार्य था। ताल्लुके में ग्रामों की संख्या चौरासी से अधिक तो हो सकती थी, किन्तु चौरासी से कम कदापि नहीं हो सकती थी। चूँकि राज्य सूर्यवंशियों का था, अतः सूर्य की सात किरणों तथा बारह राशियों को ध्यान में रखकर ताल्लुकों और गाँवों की संख्या क्रमशः सात और कम से कम बारह रखी गईं थी। इस प्रकार सर्वत्र सूर्य देवता का प्रताप झलकता था।

महामाया मंदिर

रतनपुर में 'महामाया मंदिर' बहुत प्रसिद्ध है और राज्य भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है। कलचुरियों के राजा रतनसेन ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। यहाँ पर तालाब व उसके तट पर स्थित कुछ प्राचीन मंदिर भी हैं। भक्त श्रद्धालु मंदिर में प्रार्थना करने एवं आशीर्वाद मांगने यहां आते हैं। 'बुद्ध महादेव', 'रत्‍नेश्वर महादेव मंदिर' और 'लक्ष्मी मंदिर' रतनपुर के अन्य मंदिर हैं।

प्राचीन दुर्ग

रतनपुर में एक प्राचीन दुर्ग भी है, जो एक महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। दुर्ग अभी भी अच्छी स्थिति में है और पर्यटक यहां पर आकर इतिहास के बारे में जानकारियां बटोर सकते हैं। गणेश गेट काफ़ी लुभावना है। गंगा-यमुना नदियों की मूर्तियों के अलावा गेट पर एक प्राचीन पत्थर की मूर्ति क़िले के सबसे आकर्षक हिस्से के रूप में बनी हुई है। क़िले में प्रवेश करते ही ब्रह्मा, विष्णु, शिचोराय, जगरनाथ मंदिर और भगवान शिव के तांडव नृत्य की मूर्तियां हैं।[2]

कैसे पहुँचें

रतनपुर जाने के लिए रायपुर से बस सेवा आसानी से उपलब्ध है। रतनपुर पाली और कोरबा के निरधी से 15 से 30 किलोमीटर की दूरी पर है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 776 |
  2. रतनपुर, बिलासपुर (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 26 नवम्बर, 2014।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः