भारतीय तटरक्षक

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भारतीय तटरक्षक (अंग्रेज़ी: Indian Coast Guard) या तटरक्षक बल एक नौसेना के समान सैन्य या अर्द्ध-सैन्य संगठन होता है, परन्तु इसका मुख्य कर्तव्य आतंकवाद और अपराध से एक देश के समुद्री क्षेत्रों की रक्षा करना है, इसके अतिरिक्त यह खतरे में पड़े पोतों और नौकाओं को बचाने का कार्य भी करते हैं। भारत का बल भारतीय तटरक्षक कहलाता है। कई देशों मे तटरक्षक बल एक कानून प्रवर्तन संगठन की भूमिका भी निभाते हैं।

स्थापना

18 अगस्‍त 1978 को संसद में अधिनियम पारित होने के द्वारा तटरक्षक सेवा के निर्माण का रूप ले सकी तथा वह 19 अगस्‍त 1978 को लागू हुआ। ‘एक ऐसा अधिनियम, जोकि सामुद्रिक तथा समुद्री क्षेत्रों में अन्‍य राष्‍ट्रीय हितों तथा संबद्ध मामलों के संरक्षण को ध्‍यान में रखते हुए भारत के समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा को सुनश्चित करने के लिए, संघ के एक सशस्‍त्र बल का गठन एवं विनियमन करें।’

आदर्श वाक्‍य

वयम् रक्षाम:" याने हम रक्षा करते हैं

उद्देश्य

  • हमारे समुद्र तथा तेल, मत्सय एवं खनिज सहित अपतटीय संपत्ति की सुरक्षा।
  • संकटग्रस्त नाविकों की सहायता तथा समुद्र में जान माल की सुरक्षा।
  • समुद्र, पोत-परिवहन, अनाधिकृत मछ्ली शिकार, तस्करी और स्वापक से संबंधित समुद्री विधियों का प्रवर्तन।
  • समुद्री पर्यावरण और पारिस्थितिकी का परिरक्षण तथा दुर्लभ प्रजातियों की सुरक्षा।
  • वैज्ञानिक आंकडे एकत्र करना तथा युद्ध के दौरान नौसेना की सहायता करने सहित हमारे समुद्र तथा अपतटीय परिसम्पत्तियों का संरक्षण करना।

कार्य

तटरक्षक, भारत के समुद्री क्षेत्रों में लागू सभी राष्ट्रीय अधिनियमों के उपबंधों का प्रवर्तन करने के लिए प्रमुख संस्था है, जो राष्ट्र एवं समुद्री समुदाय के प्रति निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करता है।

  • हमारे समुद्री क्षेत्रों में कृत्रिम द्वीपों, अपतटीय संस्थापनाओं तथा अन्य संरचना की सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित करना।
  • मछुवारों की सुरक्षा करना तथा समुद्र में संकट के समय उनकी सहायता करना।
  • समुद्री प्रदूषण के निवारण और नियंत्रक सहित हमारे समुद्री पर्यावरण का संरक्षण और परिरक्षण करना।
  • तस्करी-रोधी अभियानों में सीमा-शुल्क विभाग तथा अन्य प्राधिकारियों की सहायता करना।
  • भारतीय समुद्री अधिनियमों का प्रवर्तन करना।
  • समुद्र में जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करना।


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