Revision as of 11:13, 26 April 2016 by रविन्द्र प्रसाद(talk | contribs)('{{शब्द संदर्भ नया |अर्थ=एक ही जगह पर स्थिर रहने वाला।...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
नरेश्वर ! एक दिन मेरे द्वारा महातेजस्वी ब्रह्मर्षि नारद ठगे गये, अतः उन्होंने क्रोध से आविष्ट होकर मुझे शाप दे दिया- "तुम स्थावर वृक्ष की भांति एक जगह पड़े रहो, जब कभी राजा नल आकर तुम्हें यहां से अन्यत्र ले जायंगे, तभी तुम मेरे शाप से छुटकारा पा सकोगे।"
विशेष
वृक्ष प्राणवान होने पर भी गतिशील न होने के कारण 'स्थावर' ही हैं।