चमेली

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चमेली एक सुगंन्धित फूल है। यह सारे भारत में पाया जाता है। चमेली की बेल आमतौर पर घरों, बगीचों में और सारे भारत में लगाई जाती है। चमेली के फूलों की खुशबू बड़ी मादक और मन को प्रसन्न करती है। उत्तर प्रदेश के फर्रूख़ाबाद, जौनपुर, और गाजीपुर ज़िले में इसे विशेष तौर पर अधिक मात्रा में उगाया जाता है। सुपरिचित बेल होने के कारण सभी लोग इसे पहचानते है। चमेली के फूल, पत्ते तथा जड़ तीनों ही औषधीय कार्यों मे प्रयुक्त किये जाते हैं। इसके फूलों से तेल और इत्र(परफ्यूम) का निर्माण भी किया जाता है।

रंग

चमेली के पत्ते हरे और फूल सफेद रंग के होते है। लेकिन किसी-किसी स्थान पर पीले रंग के फूलों वाली चमेली की बेलें भी पायी जाती हैं।

स्वाद

चमेली का स्वाद तीखा और सुगन्धित होता है।

स्वरूप

चमेली की बेल वन, उपवन, बागों और पुष्प वाटिकाओं मे पायी जाती है। इसकी कली लंबी डंडी की होती है।

स्वभाव

चमेली की प्रकृति ठंडी होती है।

हानिकारक

चमेली का अधिक मात्रा में उपयोग गर्म स्वभाव वालों के लिए सिर दर्द पैदा करता है।

दोषों को दूर करने वाला

बनफ्सा और गुलाब के फूल चमेली के रोगों को दूर करते है।

तुलना

चमेली की तुलना नर्गिस से की जा सकती है।

मात्रा

औषधि के रूप में चमेली की 10 ग्राम तक की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।

अन्य उत्पाद

तेल- यह एक मुख्य व्यावसायिक उत्पाद है जो कि चमेली के फूलों से बनाया जाता है। इत्र- यह भी एक मुख्य व्यावसायिक उत्पाद है और यह भी चमेली के फूलों से ही बनाया जाता है।

गुण

चमेली के उपयोग से दिल खुश रहता है। इसके रस के पीने से वात और कफ दस्त के द्वारा बाहर निकल जाते है। यह शरीर को चुस्त- दुरूस्त करती है। यह वात और लकवा, गठिया के लिए हानिकारक होता है। इसकी सुगन्ध दिमाग को शक्तिशाली बनाती है। यह बालों को सफेद कर देती है।

चमेली के उपयोग से होने वाले सिर दर्द को दूर करने के लिए गुलाब का तेल और कपूर का तेल उपयोग में लाना चाहिए।


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