प्रफुल्लचंद्र घोष

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:22, 16 October 2016 by कविता बघेल (talk | contribs) (''''प्रफुल्लचंद्र घोष''' (अंग्रेज़ी: ''Prafulla Chandra Ghosh'', जन्म- ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

प्रफुल्लचंद्र घोष (अंग्रेज़ी: Prafulla Chandra Ghosh, जन्म- 1891 , ढाका ज़िला; मृत्यु- 1983 कोलकाता ) पश्चिम बंगाल के पहले मुख्यमंत्री थे। ये बहुपठित व्यक्ति थे । पुराण, उपनिषद् और गीता इनके प्रिय ग्रंथ थे। 1921 के असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण ये जेल भी गये थे। प्रफुल्लचंद्र घोष जाति प्रथा और छुआछूत के विरोधी थे और मानते थे कि बालक की शिक्षा ही उसकी मातृभाषा में होनी चाहिए। प्रफुल्लचंद्र घोष ने अनेक पुस्तकों की रचनाएं भी की थी। स्वामी विवेकानंद, अरविन्द घोष, गांधी जी और रविन्द्रनाथ टैगोर के विचारों का इन पर गहरा प्रभाव था।[1]

जन्म एवं शिक्षा

पश्चिम बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. प्रफुल्लचंद्र घोष का जन्म ढाका ज़िले में 1891 ई. में हुआ था। कॉलेज से एम.एस-सी. करने के बाद इन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से 1919 में पी-एच.डी.की उपाधि ली। ये बहुपठित व्यक्ति थे। पुराण, उपनिषद् और गीता प्रफुल्लचंद्र घोष के प्रिय ग्रंथ थे। पश्चिमी देशों के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का भी इन्होंने अध्ययन किया।

क्रांतिकारी जीवन

विद्यार्थी जीवन से ही डॉ. प्रफुल्लचंद्र घोष क्रांतिकारी आंदोलन की ओर आकर्षित हुए और अनुशीलन समिति के प्रभाव में आ गए, पर 1911 में कोलकाता कांग्रेस में भाग लेने के बाद इनके विचार बदल गए।

गांधी जी से भेंट

डॉ. प्रफुल्लचंद्र घोष की जब गांधी जी से भेंट हुई तो ये इनके विचारों से प्रभावित होकर असहयोग आंदोलन से जुड़ गये। जिस कारण इन्हें जेल भी जाना पड़ा। रचनात्मक कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए ढाका में प्रफुल्लचंद्र घोष ने 'अभय आश्रम' की स्थापना की। 1929 की लाहौर कांग्रेस में भाग लेने के बाद प्रफुल्लचंद्र घोष 1930 और 1931 में दो बार फिर गिरफ्तार हुए। प्रफुल्लचंद्र घोष ने 1939 की त्रिपुर कांग्रेस के समय सुभाष बाबू के विरोध में पट्टाभि सीतारमैया का समर्थन किया था। उसके बाद ही ये कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य बनाए गए। 1940 और 1942 में प्रफुल्लचंद्र घोष फिर गिरफ्तार हुए और 1944 में ही जेल से बाहर आ सके।

राजनीतिक जीवन

1947 में स्वतंत्रता के साथ साथ देश का विभाजन हो गया और प्रफुल्लचंद्र घोष पश्चिम बंगाल के पहले मुख्यमंत्री बनाये गये, परंतु कांग्रेस दल द्वारा अविश्वास प्रकट करने पर इन्हें 1948 में इस पद से हट जाना पड़ा। बाद में प्रफुल्लचंद्र घोष ने 'कृषक मजदूर पार्टी' बनाई जो आगे जाकर सोशलिस्ट पार्टी में मिल गई। 1967 में पश्चिम बंगाल की प्रथम संयुक्त मोर्चा सरकार में इन्होंने खाद्य मंत्री का पद संभाला। बाद में जब यह सरकार गिर गई तो विधान सभा में कांग्रेस के सहयोग से नई सरकार बनी और प्रफुल्लचंद्र घोष फिर एक बार मुख्यमंत्री बन गए। लेकिन 1969 के निर्वाचन में पराजित हो जाने के बाद ये राजनीति से अलग हो गए और अपना शेष जीवन सामाजिक कार्यों में लगाया। प्रफुल्लचंद्र घोष जाति प्रथा और छुआछूत के विरोधी थे और मानते थे कि बालक की शिक्षा उसकी मातृभाषा में होनी चाहिए।

रचनाएं

प्रफुल्लचंद्र घोष ने अनेक पुस्तकों की रचनाएं की। इनमें प्रमुख हैं -

  • प्राचीन भारतीय साहित्य का इतिहास
  • गीता बोध (गांधी जी की गुजराती पुस्तक का अनुवाद)
  • इंडियन नेशनल कांग्रेस
  • महात्मा गांधी आदि।

मृत्यु

डॉ. प्रफुल्लचंद्र घोष की मृत्यु 1983 कोलकाता में हो गई।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 487 |

|list20= |below= |belowstyle= }}

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः