विक्रमशिला विश्वविद्यालय
विक्रमशिला विश्वविद्यालय नालन्दा के समकक्ष माना जाता था। इसका निर्माण पाल वंश के शासक धर्मपाल (770-810 ईसा पूर्व) ने करवाया था। धर्मपाल ने यहां की दो चीजों से प्रभावित होकर इसका निर्माण कराया था।[1]
- यह एक लोकप्रिय तांत्रिक केंद्र था जो कोसी और गंगा नदी से घिरा हुआ था। यहां मां काली और भगवान शिव का मंदिर भी स्थित है।
- यह स्थान उत्तरवाहिनी गंगा के समीप होने के कारण भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। एक शब्द में कहा जाए तो यह एक प्रसिद्ध तीर्थस्थान था। [2]
विषय
इतिहासकार पंचानन मिश्र का कहना है कि नालन्दा विश्वविद्यालय में एक द्वार का पता चला है जबकि विक्रमशिला में छह द्वार थे। द्वार की संख्या छह होने का तात्पर्य है कि यहां पर छह विषयों की पढ़ाई होती थी जिनमें केवल तंत्र विद्या ही नहीं बल्कि फीजिक्स, केमिस्ट्री, क्रिएटिव रिलीजन, कल्चर आदि शामिल थे। विक्रमशिला विश्वविद्यालय में लगभग दस हजार विद्यार्थियों की पढ़ाई होती थी और उनके लिए करीब एक सौ आचार्य पढ़ाने का काम करते थे। गौतम बुद्ध स्वयं यहा आए थे और यही से गंगा नदी पार कर सहरसा की ओर गए थे।
बौद्ध धर्म का प्रचार
यहां से तिब्बत के राजा के अनुरोध पर दिपांकर अतीश तिब्बत गए और उन्होंने तिब्बत से बौद्ध भिक्षुओं को चीन, जापान, मलेशिया, थाइलैंड से लेकर अफ़ग़ानिस्तान तक भेजकर बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया। विक्रमशिला विश्वविद्यालय में विद्याध्ययन के लिए आने वाले तिब्बत के विद्वानों के लिए अलग से एक अतिथिशाला थी। विक्रमशिला से अनेक विद्वान तिब्बत गए थे तथा वहाँ उन्होंने कई ग्रन्थों का तिब्बती भाषा में अनुवाद किया। विक्रमशिला के बारे में सबसे पहले राहुल सांस्कृत्यायन ने सुल्तानगंज के करीब होने का अंदेशा प्रकट किया था। उसका मुख्य कारण था कि अंग्रेजों के जमाने में सुल्तानगंज के निकट एक गांव में बुद्ध की प्रतिमा मिली थी। बावजूद उसके अंग्रेजों ने विक्रमशिला के बारे में पता लगाने का प्रयास नहीं किया। इसके चलते विक्रमशिला की खुदाई पुरातत्व विभाग द्वारा 1986 के आसपास शुरू हुआ।[3] इस विश्वविद्यालय के अनेकानेक विद्वानों ने विभिन्न ग्रंथों की रचना की, जिनका बौद्ध साहित्य और इतिहास में नाम है। इन विद्वानों में कुछ प्रसिद्ध नाम हैं- रक्षित, विरोचन, ज्ञानपाद, बुद्ध, जेतारि रत्नाकर शान्ति, ज्ञानश्री मिश्र, रत्नवज्र और अभयंकर। दीपंकर नामक विद्वान ने लगभग २०० ग्रंथों की रचना की थी। वह इस शिक्षाकेन्द्र के महान प्रतिभाशाली विद्वानों में से एक थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बिहार : प्रमुख ऎतिहासिक स्थल (हिंदी) (एच टी एम एल) kaverinews.com। अभिगमन तिथि: 14 अगस्त, 2010।
- ↑ {cite web|url=http://www.biharsamaylive.com/NewsDetails.aspx?lNewsID=16976&lCategoryID=274%7Caccessmonthday=14 अगस्त|accessyear=2010 |last=|first= |authorlink=|title= भागलपुर:एक परिचय|format=एच टी एम एल |publisher=kaverinews.com|language=हिंदी}}
- ↑ विक्रमशिला विश्वविद्यालय को लेकर सरकार गंभीर पहल नहीं कर रही (हिंदी) (एच टी एम एल) bhagalpurmycity.blogspot.com। अभिगमन तिथि: 14 अगस्त, 2010।
बाहरी कड़ियाँ
संग्रहालय-विक्रमशिला (हिंदी) (एच टी एम एल)। । अभिगमन तिथि: 14 अगस्त, 2010।
बिहार : प्रमुख ऎतिहासिक स्थल (हिंदी) (एच टी एम एल) kaverinews.com। अभिगमन तिथि: 14 अगस्त, 2010।
बिहार (हिंदी) (एच टी एम एल) kaverinews.com। अभिगमन तिथि: 14 अगस्त, 2010।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ