परिवर्त्तक

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परिवर्त्तक प्राचीन भारत की शासन व्यवस्था में लिया जाने वाला कर था, जिसका वर्णन कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में किया है।

  • कौटिल्य के अनुसार एक अनाज देकर उसके बदले दूसरा अनाज लेना परिवर्त्तक कहलाता है।
  • प्राचीन भारतीय अर्थव्यवस्था में निम्नांकित कर भी प्रचलित थे-
  1. सीता कर
  2. राष्ट्र कर
  3. क्रयिक कर
  4. परिवर्त्तक कर
  5. प्रामित्यक कर
  6. आपमित्यक
  7. सिंहनिका कर
  8. अन्वजात कर
  9. व्ययप्रत्यात कर
  10. उपस्थान कर


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


कौटिलीय अर्थशास्त्रम्‌ |लेखक: वाचस्पति गैरोला |प्रकाशक: चौखम्बा विधाभवन, चौक (बैंक ऑफ़ बड़ौदा भवन के पीछे , वाराणसी 221001, उत्तर प्रदेश |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 157 |

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