Difference between revisions of "ग्रेफाइट"

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'''ग्रेफाइट''' को 'काला सीसा' तथा 'प्लबगो' भी कहा जाता है। ग्रेफाइट [[कार्बन]] का [[खनिज]] है। ग्रेफाइट की रासायनिक प्रकृति सन 1779 में ''के. डब्लू शोले'' ने ज्ञात की और इसका नामकरण सन 1789 में ''ए. जी. वर्नर'' ने किया। ग्रेफाइट शब्द ग्रीक के शब्द ''ग्रेफी'' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'मैं लिखता हूँ'। कायान्तरित शैलों में मिलने वाली कार्बनिक संरचना में ग्रेफाइट की प्राप्ति होती है। ग्रेफाइट के साथ सिलिका एवं सिलिकेट जैसी अशुद्धियाँ भी पायी जाती हैं। ग्रेफाइट का उपयोग पेन्सिलों की लेड बनाने तथा [[परमाणु]] शक्ति के रिएक्टरो में मन्दक के रूप में किया जाता है।  
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'''ग्रेफाइट''' को 'काला सीसा' तथा 'प्लबगो' भी कहा जाता है। ग्रेफाइट [[कार्बन]] का [[खनिज]] है। ग्रेफाइट की रासायनिक प्रकृति सन 1779 में ''के. डब्लू शोले'' ने ज्ञात की और इसका नामकरण सन 1789 में ''ए. जी. वर्नर'' ने किया। ग्रेफाइट शब्द ग्रीक के शब्द ''ग्रेफी'' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'मैं लिखता हूँ'। कायान्तरित शैलों में मिलने वाली कार्बनिक संरचना में ग्रेफाइट की प्राप्ति होती है। ग्रेफाइट के साथ [[सिलिका]] एवं सिलिकेट जैसी अशुद्धियाँ भी पायी जाती हैं। ग्रेफाइट का उपयोग पेन्सिलों की लेड बनाने तथा [[परमाणु]] शक्ति के रिएक्टरो में मन्दक के रूप में किया जाता है।  
 
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ग्रेफाइट के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं- [[झारखण्ड]] में सोकरा, खनडीह तथा राजहरा क्षेत्र, [[उड़ीसा]] में कालाहांडी बाबूपाली, डेंगसरगी, विलियनगोड़ा, अखमलिक क्षेत्र तथा बोलंगिरि, सम्मलपुर, कोरापुट, फूलबनी तथा [[आन्ध्र प्रदेश]] में रम्पा, चोद्वारम<ref>[[पूर्व गोदावरी ज़िला|पूर्व गोदावरी]]</ref>, रैंडी बोडियार तथा हरीपुरम् क्षेत्र<ref>[[पश्चिम गोदावरी ज़िला|पश्चिम गोदावरी]]</ref>, खमामेत <ref>[[खम्मम]]</ref>, नरसीपट्टनम <ref>[[विशाखापटनम]]</ref>, सलूर<ref>[[श्रीकाकुलम]]</ref> तथा नरसरोपेट <ref>[[गुंटूर]]</ref>। [[अरुणाचल प्रदेश]]<ref>लोहित सीमान्त क्षेत्र</ref>, [[जम्मू कश्मीर]] <ref>उड़ी क्षेत्र</ref>, [[मध्य प्रदेश]]<ref>बेतुल</ref>, [[केरल]] <ref>त्रावनकोर</ref> तथा [[उत्तर प्रदेश]] में बहुत कम मात्रा में ग्रेफाइट का उत्पादन हुआ।
 
ग्रेफाइट के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं- [[झारखण्ड]] में सोकरा, खनडीह तथा राजहरा क्षेत्र, [[उड़ीसा]] में कालाहांडी बाबूपाली, डेंगसरगी, विलियनगोड़ा, अखमलिक क्षेत्र तथा बोलंगिरि, सम्मलपुर, कोरापुट, फूलबनी तथा [[आन्ध्र प्रदेश]] में रम्पा, चोद्वारम<ref>[[पूर्व गोदावरी ज़िला|पूर्व गोदावरी]]</ref>, रैंडी बोडियार तथा हरीपुरम् क्षेत्र<ref>[[पश्चिम गोदावरी ज़िला|पश्चिम गोदावरी]]</ref>, खमामेत <ref>[[खम्मम]]</ref>, नरसीपट्टनम <ref>[[विशाखापटनम]]</ref>, सलूर<ref>[[श्रीकाकुलम]]</ref> तथा नरसरोपेट <ref>[[गुंटूर]]</ref>। [[अरुणाचल प्रदेश]]<ref>लोहित सीमान्त क्षेत्र</ref>, [[जम्मू कश्मीर]] <ref>उड़ी क्षेत्र</ref>, [[मध्य प्रदेश]]<ref>बेतुल</ref>, [[केरल]] <ref>त्रावनकोर</ref> तथा [[उत्तर प्रदेश]] में बहुत कम मात्रा में ग्रेफाइट का उत्पादन हुआ।

Latest revision as of 08:08, 30 December 2014

thumb|250px|grephait grephait ko 'kala sisa' tatha 'plabago' bhi kaha jata hai. grephait karban ka khanij hai. grephait ki rasayanik prakriti san 1779 mean ke. dabloo shole ne jnat ki aur isaka namakaran san 1789 mean e. ji. varnar ne kiya. grephait shabd grik ke shabd grephi se liya gaya hai, jisaka arth hai 'maian likhata hooan'. kayantarit shailoan mean milane vali karbanik sanrachana mean grephait ki prapti hoti hai. grephait ke sath silika evan siliket jaisi ashuddhiyaan bhi payi jati haian. grephait ka upayog pensiloan ki led banane tatha paramanu shakti ke riektaro mean mandak ke roop mean kiya jata hai.

utpadan

grephait ke pramukh utpadak rajy haian- jharakhand mean sokara, khanadih tatha rajahara kshetr, u disa mean kalahaandi baboopali, deangasaragi, viliyanago da, akhamalik kshetr tatha bolangiri, sammalapur, koraput, phoolabani tatha andhr pradesh mean rampa, chodvaram[1], raiandi bodiyar tatha haripuramh kshetr[2], khamamet [3], narasipattanam [4], saloor[5] tatha narasaropet [6]. arunachal pradesh[7], jammoo kashmir [8], madhy pradesh[9], keral [10] tatha uttar pradesh mean bahut kam matra mean grephait ka utpadan hua.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

bahari k diyaan

sanbandhit lekh