Difference between revisions of "देवदत्त"

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*छठी शताब्दी, ई॰पू॰ [[भारत]] [[बौद्ध]] भिक्षु, जिन्होंने जीवन की कड़ी आचार संहिता लागू कर के संघ (बौद्ध भिक्षुओं) में सुधार लाने का प्रयास किया। वह [[बुद्ध]] के संबधी थे।  
 
*छठी शताब्दी, ई॰पू॰ [[भारत]] [[बौद्ध]] भिक्षु, जिन्होंने जीवन की कड़ी आचार संहिता लागू कर के संघ (बौद्ध भिक्षुओं) में सुधार लाने का प्रयास किया। वह [[बुद्ध]] के संबधी थे।  
*ऐसा समझा जाता है कि देवदत्त गौतम के कार्यकाल के 20 वें वर्ष में आंन्नद के साथ,जो शायद उनके भाई थे, संघ में सम्मिलित हुए।  
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*ऐसा समझा जाता है कि देवदत्त गौतम के कार्यकाल के 20 वें वर्ष में [[आनन्द (बौद्ध)|आनंद]] के साथ, जो शायद उनके भाई थे, संघ में सम्मिलित हुए।  
*[[मगध]] के राजकुमार [[अजातशत्रु]] के साथ अपनी मित्रता घनिष्ठ होने के 15 वर्ष बाद देवदत्त ने संध की औपचारिक बैठक में प्रस्ताव किया कि बुद्ध नेतृत्व छोड़कर उन्हें सौंप दें।  
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*[[मगध]] के राजकुमार [[अजातशत्रु]] के साथ अपनी मित्रता घनिष्ठ होने के 15 वर्ष बाद देवदत्त ने संघ की औपचारिक बैठक में प्रस्ताव किया कि बुद्ध नेतृत्व छोड़कर उन्हें सौंप दें।  
*इस प्रकार इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया और समझा जाता है कि देवदत्त ने आजातशत्रु को अपने वृद्ध पिता मगध के राजा बिंबसार को मार देने के लिए उकसाने की कामयाब कोशिश की और बुद्ध की हत्या करने के भी तीन असफल प्रयास किए-किराये के हत्यारे द्वारा, पर्वत से बुद्ध पर चट्टान गिराकर और सड़क पर भिक्षा एकत्रित करते समय उन पर पागल [[हाथी]] छोड़कर।
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*इस प्रकार इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया और समझा जाता है कि देवदत्त ने आजातशत्रु को अपने वृद्ध पिता मगध के राजा [[बिंबसार]] को मार देने के लिए उकसाने की कामयाब कोशिश की और बुद्ध की हत्या करने के भी तीन असफल प्रयास किए- किराये के हत्यारे द्वारा, पर्वत से बुद्ध पर चट्टान गिराकर और सड़क पर भिक्षा एकत्रित करते समय उन पर पागल [[हाथी]] छोड़कर।
 
*लोकप्रिय स्वीकृति भांपकर देवदत्त ने संघ के तपस्वियों के लिए और कड़े नियमों का प्रस्ताव किया, लेकिन प्रस्ताव पारित होने पर बुद्ध के 500 अनुयायियों को अलग होने के लिए उकसाया।  
 
*लोकप्रिय स्वीकृति भांपकर देवदत्त ने संघ के तपस्वियों के लिए और कड़े नियमों का प्रस्ताव किया, लेकिन प्रस्ताव पारित होने पर बुद्ध के 500 अनुयायियों को अलग होने के लिए उकसाया।  
*देवदत्त की गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं है। लेकिन शायद उन का उल्लेख अंगुतर निकाय (प्रमाणित गंथ) में गोतमक के नाम से मिलता है। क्योंकि देवदत्त के परिवार का नाम, गोतम (गौतम) था।
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*देवदत्त की गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं है। लेकिन शायद उनका उल्लेख [[अंगुत्तरनिकाय]] (प्रमाणित गंथ) में 'गोतमक' के नाम से मिलता है, क्योंकि देवदत्त के परिवार का नाम, गोतम (गौतम) था।
 
*[[चीन|चीनी]] यात्री [[ह्वेनसांग]] ने लिखा है कि [[बंगाल]] में 7वीं शताब्दी में मठों में मिक्षु देवदत्त के कुछ नियमों का पालन करते थे।  
 
*[[चीन|चीनी]] यात्री [[ह्वेनसांग]] ने लिखा है कि [[बंगाल]] में 7वीं शताब्दी में मठों में मिक्षु देवदत्त के कुछ नियमों का पालन करते थे।  
  

Revision as of 11:01, 11 February 2011

  • chhathi shatabdi, ee॰poo॰ bharat bauddh bhikshu, jinhoanne jivan ki k di achar sanhita lagoo kar ke sangh (bauddh bhikshuoan) mean sudhar lane ka prayas kiya. vah buddh ke sanbadhi the.
  • aisa samajha jata hai ki devadatt gautam ke karyakal ke 20 vean varsh mean anand ke sath, jo shayad unake bhaee the, sangh mean sammilit hue.
  • magadh ke rajakumar ajatashatru ke sath apani mitrata ghanishth hone ke 15 varsh bad devadatt ne sangh ki aupacharik baithak mean prastav kiya ki buddh netritv chho dakar unhean sauanp dean.
  • is prakar is prastav ko radd kar diya gaya aur samajha jata hai ki devadatt ne ajatashatru ko apane vriddh pita magadh ke raja bianbasar ko mar dene ke lie ukasane ki kamayab koshish ki aur buddh ki hatya karane ke bhi tin asaphal prayas kie- kiraye ke hatyare dvara, parvat se buddh par chattan girakar aur s dak par bhiksha ekatrit karate samay un par pagal hathi chho dakar.
  • lokapriy svikriti bhaanpakar devadatt ne sangh ke tapasviyoan ke lie aur k de niyamoan ka prastav kiya, lekin prastav parit hone par buddh ke 500 anuyayiyoan ko alag hone ke lie ukasaya.
  • devadatt ki gatividhiyoan ki koee janakari nahian hai. lekin shayad unaka ullekh aanguttaranikay (pramanit ganth) mean 'gotamak' ke nam se milata hai, kyoanki devadatt ke parivar ka nam, gotam (gautam) tha.
  • chini yatri hvenasaang ne likha hai ki bangal mean 7vian shatabdi mean mathoan mean mikshu devadatt ke kuchh niyamoan ka palan karate the.  



panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh