Difference between revisions of "नागदा"

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'''नागदा''' [[मध्य प्रदेश]] में [[उज्जैन]] से लगभग 30 मील उत्तर-पश्चिम में, पश्चिम रेलवे के [[मुम्बई]]-[[दिल्ली]] मार्ग पर, [[चम्बल नदी]] के तट पर स्थित है।  
*नागदा [[मध्य प्रदेश]] में [[उज्जैन]] से लगभग 30 मील उत्तर-पश्चिम में, पश्चिम रेलवे के [[मुम्बई]]-[[दिल्ली]] मार्ग पर, [[चम्बल नदी]] के तट पर स्थित है।  
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*[[मालवा]] के परमार नरेशों के [[अभिलेख|अभिलेखों]] में नागदा का प्राचीन नाम '''नागह्रद''' मिलता है।  
*[[मालवा]] के परमार नरेशों के अभिलेखों में नागदा का प्राचीन नाम '''नागह्रद''' मिलता है।  
 
 
*नागदा पर किये गये [[उत्खनन]] में प्रारंभिक लौह संस्कृति के प्रमाण मिले हैं।  
 
*नागदा पर किये गये [[उत्खनन]] में प्रारंभिक लौह संस्कृति के प्रमाण मिले हैं।  
 
*नागदा से दस प्रकार के [[लोह]] उपकरण मिले हैं। जिनमें दुधारी, कटार, कुल्हाड़ी का मूँठ, चम्मच, चिमटी, कुल्हाड़ी, छल्ला, बाणाग्र, चाकू और हँसिया उल्लेखनीय हैं।  
 
*नागदा से दस प्रकार के [[लोह]] उपकरण मिले हैं। जिनमें दुधारी, कटार, कुल्हाड़ी का मूँठ, चम्मच, चिमटी, कुल्हाड़ी, छल्ला, बाणाग्र, चाकू और हँसिया उल्लेखनीय हैं।  
*नागदा और [[एरण]] के उत्खननों एवं अन्य स्थलों की खुदाई के आधार पर उस पुराने मत को औचित्यपूर्ण नहीं माना गया है, जिनमें इन पुरा स्थलों पर ताम्रपाषाणिक संस्कृति की परिसमाप्ति के तत्काल बाद ऐतिहासिक युग की [[संस्कृति]] का प्रारम्भ माना जाता है। अब यह तथ्य संस्थापित हुआ है कि इन पुरा स्थलों पर भी, जहाँ पर संस्कृति के सातत्य की बात कही गयी थी, ऐसे प्रमाण मिलते हैं, जिनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि ताम्रपाषाणिक संस्कृति की परिसमाप्ति और प्रारम्भिक ऐतिहासिक युगीन संस्कृति के बीच में अनेक वर्षों का अंतराल रहा होगा।
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*नागदा और [[एरण]] के उत्खननों एवं अन्य स्थलों की खुदाई के आधार पर उस पुराने मत को औचित्यपूर्ण नहीं माना गया है, जिनमें इन पुरा स्थलों पर ताम्रपाषाणिक संस्कृति की परिसमाप्ति के तत्काल बाद ऐतिहासिक युग की [[संस्कृति]] का प्रारम्भ माना जाता है।  
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*अब यह तथ्य संस्थापित हुआ है कि इन पुरा स्थलों पर भी, जहाँ पर संस्कृति के सातत्य की बात कही गयी थी, ऐसे प्रमाण मिलते हैं, जिनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि ताम्रपाषाणिक संस्कृति की परिसमाप्ति और प्रारम्भिक ऐतिहासिक युगीन संस्कृति के बीच में अनेक वर्षों का अंतराल रहा होगा।
  
  
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[[Category:मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]]
 
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Revision as of 07:33, 8 October 2011

nagada madhy pradesh mean ujjain se lagabhag 30 mil uttar-pashchim mean, pashchim relave ke mumbee-dilli marg par, chambal nadi ke tat par sthit hai.

  • malava ke paramar nareshoan ke abhilekhoan mean nagada ka prachin nam nagahrad milata hai.
  • nagada par kiye gaye utkhanan mean praranbhik lauh sanskriti ke praman mile haian.
  • nagada se das prakar ke loh upakaran mile haian. jinamean dudhari, katar, kulha di ka mooanth, chammach, chimati, kulha di, chhalla, banagr, chakoo aur hansiya ullekhaniy haian.
  • nagada aur eran ke utkhananoan evan any sthaloan ki khudaee ke adhar par us purane mat ko auchityapoorn nahian mana gaya hai, jinamean in pura sthaloan par tamrapashanik sanskriti ki parisamapti ke tatkal bad aitihasik yug ki sanskriti ka prarambh mana jata hai.
  • ab yah tathy sansthapit hua hai ki in pura sthaloan par bhi, jahaan par sanskriti ke sataty ki bat kahi gayi thi, aise praman milate haian, jinase yah spasht ho jata hai ki tamrapashanik sanskriti ki parisamapti aur prarambhik aitihasik yugin sanskriti ke bich mean anek varshoan ka aantaral raha hoga.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh


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