Difference between revisions of "इंदुलाल याज्ञिक"

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'''इंदुलाल याज्ञिक''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Indulal Yagnik'', जन्म:[[22 फरवरी]], [[1892]] [[खेड़ा ज़िला]], [[गुजरात]] - मृत्यु: [[1972]]) भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता इंदुलाल याज्ञिक 'आल इंडिया किसान सभा' के नेता थे।
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'''इंदुलाल याज्ञिक''' ([[अंग्रेज़ी]]: Indulal Yagnik; जन्म- [[22 फ़रवरी]], [[1892]], [[खेड़ा ज़िला]], [[गुजरात]]; मृत्यु- [[17 जुलाई]], [[1972]]) 'भारतीय स्वतंत्रता संग्राम' में भाग लेने वाले प्रमुख कार्यकर्ताओं में से एक थे। वे गुजरात प्रदेश के निर्माताओं में से एक और 'ऑल इंडिया किसान सभा' के नेता थे। उन्होंने 'गुजरात विद्यापीठ' की स्थापना की योजना बनाई थी। इंदुलाल याज्ञिक गुजरात की सत्याग्रह कमेटी के सचिव बनाये गए थे और वर्ष [[1923]] में गिरफ्तार करके यरवदा जेल में [[महात्मा गाँधी]] के साथ बंद थे। यह बात भी उल्लेखनीय है कि उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति 'महागुजरात सेवा ट्रस्ट' को दान कर दी थी।
==शिक्षा==
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==जन्म तथा शिक्षा==
इंदुलाल याज्ञिक ने [[मुम्बई]] से क़ानून  की डिग्री ली, लेकिन इंदुलाल याज्ञिक का मन वकालत में नहीं लगा।
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इंदुलाल याज्ञिक का जन्म 22 फ़रवरी, सन 1892 को गुजरात के [[खेड़ा ज़िला|खेड़ा ज़िले]] में हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम कन्हैयालाल था। इंदुलाल याज्ञिक ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा खेड़ा से ही प्राप्त की थी। वर्ष [[1906]] में हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद याज्ञिक ने 'गुजरात कॉलेज', [[अहमदाबाद]] में प्रवेश ले लिया। यहाँ से इंटर पास करने के बाद वे [[मुम्बई]] आ गये और फिर यहाँ बी. ए. की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने एल.एल.बी. की परीक्षा वर्ष [[1912]] में उत्तीर्ण की।
 
==कार्यक्षेत्र==
 
==कार्यक्षेत्र==
 
इंदुलाल याज्ञिक के ऊपर [[अरबिंदो घोष|अरबिंदो]] और [[एनी बेसेंट]] के विचारों का अधिक प्रभाव पड़ा। वे पत्रकारिता के क्षेत्र में आए। उन्होंने गुजराती पत्रिका ‘नवजीवन अणे सत्य’ का और शंकरलाल बैंकर के साथ ‘यंग इंडिया’ का प्रकाशन आरंभ किया। बाद में ये दोनों पत्र [[गांधीजी]] को सौंप दिए गए थे। इंदुलाल ने होमरूल लीग आंदोलन में भाग लिया और ‘गुजरात राजकीय परिषद’ की स्थपना की। किशोरी लाल मशरूवाला के साथ स्वदेशी का प्रचार किया और गुजरात विद्यापीठ की स्थापना की योजना बनाई। वे गुजरात की सत्याग्रह कमेटी के सचिव थे और [[1923]] में गिरफ्तार करके यरवदा जेल में [[महात्मा गाँधी]] के साथ बंद किए गए थे। जेल से छूटने के बाद उनके विचारों में परिवर्तन हुआ और वे किसान सभा में सम्मिलित हो गए। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय युद्ध विरोधी प्रचार करते हुए वे फिर गिरफ्तार हुए।  
 
इंदुलाल याज्ञिक के ऊपर [[अरबिंदो घोष|अरबिंदो]] और [[एनी बेसेंट]] के विचारों का अधिक प्रभाव पड़ा। वे पत्रकारिता के क्षेत्र में आए। उन्होंने गुजराती पत्रिका ‘नवजीवन अणे सत्य’ का और शंकरलाल बैंकर के साथ ‘यंग इंडिया’ का प्रकाशन आरंभ किया। बाद में ये दोनों पत्र [[गांधीजी]] को सौंप दिए गए थे। इंदुलाल ने होमरूल लीग आंदोलन में भाग लिया और ‘गुजरात राजकीय परिषद’ की स्थपना की। किशोरी लाल मशरूवाला के साथ स्वदेशी का प्रचार किया और गुजरात विद्यापीठ की स्थापना की योजना बनाई। वे गुजरात की सत्याग्रह कमेटी के सचिव थे और [[1923]] में गिरफ्तार करके यरवदा जेल में [[महात्मा गाँधी]] के साथ बंद किए गए थे। जेल से छूटने के बाद उनके विचारों में परिवर्तन हुआ और वे किसान सभा में सम्मिलित हो गए। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय युद्ध विरोधी प्रचार करते हुए वे फिर गिरफ्तार हुए।  
 
====राजनीति====
 
====राजनीति====
इंदुलाल याज्ञिक, [[1956]] में अलग गुजरात की मांग करते हुए [[लोक सभा]] के सदस्य चुने गए। याज्ञिक स्वतंत्र विचारों के व्यक्ति थे और गांधीजी तथा [[सरदार पटेल]] से अपना विचार भेद सार्वजनिक रूप से प्रकट करने में उन्हें संकोच नहीं था।
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वर्ष [[1956]] में अलग [[गुजरात]] की मांग करते हुए इंदुलाल याज्ञिक [[लोक सभा]] के सदस्य चुने गए। याज्ञिक स्वतंत्र विचारों के व्यक्ति थे और गांधीजी तथा [[सरदार पटेल]] से अपना विचार भेद सार्वजनिक रूप से प्रकट करने में उन्हें संकोच नहीं था।
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==सम्पत्ति का दान==
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इंदुलाल याज्ञिक ने अपनी पूरी संपत्ति 'महागुजरात सेवा ट्रस्ट' को दान कर दी थी। यह बात उनके वसीयतनामे में भी दर्ज थी। उनके निधन के बाद सहकारिता बैंक के सेफ़ डिपॉजिट में मिले वसीयतनामे के अनुसार उनके पास तब बैंक में कुल जमा राशि 17 हज़ार, 614 रुपये थी। याज्ञिक जी ने अपनी पुस्तकों की रॉयल्टी, दफ्तर का फर्नीचर तथा समस्त चल और अचल संपत्ति ट्रस्ट को दे देने का फैसला कर लिया था।
 
==निधन==
 
==निधन==
इंदुलाल याज्ञिक का निधन 1972 हुआ था।
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[[17 जुलाई]], [[1972]] को इंदुलाल याज्ञिक का निधन हुआ।
 
 
  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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Revision as of 11:32, 22 February 2013

iandulal yajnik (aangrezi: Indulal Yagnik; janm- 22 faravari, 1892, khe da zila, gujarat; mrityu- 17 julaee, 1972) 'bharatiy svatantrata sangram' mean bhag lene vale pramukh karyakartaoan mean se ek the. ve gujarat pradesh ke nirmataoan mean se ek aur 'aaul iandiya kisan sabha' ke neta the. unhoanne 'gujarat vidyapith' ki sthapana ki yojana banaee thi. iandulal yajnik gujarat ki satyagrah kameti ke sachiv banaye ge the aur varsh 1923 mean giraphtar karake yaravada jel mean mahatma gaandhi ke sath band the. yah bat bhi ullekhaniy hai ki unhoanne apani poori sanpatti 'mahagujarat seva trast' ko dan kar di thi.

janm tatha shiksha

iandulal yajnik ka janm 22 faravari, san 1892 ko gujarat ke khe da zile mean hua tha. inake pita ka nam kanhaiyalal tha. iandulal yajnik ne apani prarambhik shiksha khe da se hi prapt ki thi. varsh 1906 mean haee skool ki pariksha uttirn karane ke bad yajnik ne 'gujarat k aaulej', ahamadabad mean pravesh le liya. yahaan se iantar pas karane ke bad ve mumbee a gaye aur phir yahaan bi. e. ki digri prapt ki. isake bad unhoanne el.el.bi. ki pariksha varsh 1912 mean uttirn ki.

karyakshetr

iandulal yajnik ke oopar arabiando aur eni beseant ke vicharoan ka adhik prabhav p da. ve patrakarita ke kshetr mean ae. unhoanne gujarati patrika ‘navajivan ane saty’ ka aur shankaralal baiankar ke sath ‘yang iandiya’ ka prakashan aranbh kiya. bad mean ye donoan patr gaandhiji ko sauanp die ge the. iandulal ne homarool lig aandolan mean bhag liya aur ‘gujarat rajakiy parishad’ ki sthapana ki. kishori lal masharoovala ke sath svadeshi ka prachar kiya aur gujarat vidyapith ki sthapana ki yojana banaee. ve gujarat ki satyagrah kameti ke sachiv the aur 1923 mean giraphtar karake yaravada jel mean mahatma gaandhi ke sath band kie ge the. jel se chhootane ke bad unake vicharoan mean parivartan hua aur ve kisan sabha mean sammilit ho ge. dvitiy vishvayuddh ke samay yuddh virodhi prachar karate hue ve phir giraphtar hue.

rajaniti

varsh 1956 mean alag gujarat ki maang karate hue iandulal yajnik lok sabha ke sadasy chune ge. yajnik svatantr vicharoan ke vyakti the aur gaandhiji tatha saradar patel se apana vichar bhed sarvajanik roop se prakat karane mean unhean sankoch nahian tha.

sampatti ka dan

iandulal yajnik ne apani poori sanpatti 'mahagujarat seva trast' ko dan kar di thi. yah bat unake vasiyataname mean bhi darj thi. unake nidhan ke bad sahakarita baiank ke sef dip aaujit mean mile vasiyataname ke anusar unake pas tab baiank mean kul jama rashi 17 hazar, 614 rupaye thi. yajnik ji ne apani pustakoan ki r aauyalti, daphtar ka pharnichar tatha samast chal aur achal sanpatti trast ko de dene ka phaisala kar liya tha.

nidhan

17 julaee, 1972 ko iandulal yajnik ka nidhan hua.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

bahari k diyaan